सरल व्यायाम


सरल व्यायामसे जितना शरीर के सभी अंगो को फायदा होता है, उतना कठिन व्यायामसे नहीं। सरल व्यायामसे मांसपेशियाँ जल्दी नहीं थकती, और इससे एक ही व्यायाम कितने ही बार किया जो सकता है। किन्तु कठिन व्यायाम बहुत देर तक या बहुत बार नहीं किये जा सकते। कठिन  व्यायामोंसे मांसपेशियोंको हानि पहुंचने की भी आशंका रहती है।

इसलिए स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए या सुधारने के लिए ऐसे ही व्यायाम  चुनना चाहिए जिन से मांसपेशियों को एक बार में ही कठिन परिश्रम ना करना पड़े और उन्हें नुकसान ना पहुंचे।

नियमित सरल व्यायाम से मनुष्य अपने शरीरको स्वस्थ, अंगों को फुर्तीला, मांसपेशियों को पुष्ट, अपनी गति को सुंदर और रोबदार,  पाचन – शक्तिको प्रबल, और बुद्धिको प्रखर बनाए रख सकता है।

इस लेख में हम देखेंगे कि ऐसे कौन से सरल व्यायाम हैं जिनसे आप अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते है।

साधारण व्यायामेंमें टहलना बहुत ही सहज और उपयोगी है।  टहलते समय शरीर को सीधा रखने और आगे बढ़ने में शरीर की कई मांसपेशियों को मेहनत करनी पड़ती है इसलिए शरीर को उपर्युक्त परिश्रम देने के लिए कम से कम तीन-चार मील नित्य टहलना चाहिए।

किस प्रकार टहलना चाहिए?

टहलते समय कंधों को पीछे और छाती को आगे बढ़ी हुई, और सिरको सीधा रखकर, शरीर को सीधा रखना चाहिए। इससे पीठकी मांसपेशियां पुष्ट रहती है और शरीर सुंदर दिखाई देता है।

हाथों को सहज रीतिसे हिलने देना चाहिए। हथेली खुली और पीछे की ओर रहनी चाहिए। कदम रखते समय पहले एडी और फिर अंगूठा रखना चाहिए। पैर दृढ़ताके साथ रखना चाहिए।

शुरू शुरू में बहुत लंबे कदम नहीं रखना चाहिए। धीरे-धीरे कदम की लंबाई और टहलने की दूरी बढ़ाकर एक घंटे में तीन या चार मील का फासला तय करना चाहिए।

दौड़ना, कूदना और उछलना, टहलनेके परिवर्तित रूप है। इनके द्वारा साधारण रीतिसे टहलने की अपेक्षा शरीर को अधिक लाभ पहुंचता है। जिस मनुष्य को अधिक परिश्रम करने की आदत नहीं, उसे शुरू शुरू में बहुत दूर तक दौड़ना उचित नहीं। शुरू शुरू में धीरे-धीरे और थोड़ी दूर तक दौड़ना चाहिए। इससे ह्रदय और फेफड़ों में अधिक कार्य करने की ताकत आ जाती है।

कौन सा व्यायाम कितनी बार करना चाहिए?

निचे दिए गए व्यायाम शुरू शुरू में 5 बार करना चाहिए। दो-तीन हफ़्तों के बाद इनकी संख्या बढ़ाकर १० कर देना चाहिए अर्थात 10 बार व्यायाम करना चाहिए। एक या दो महीने के बाद 15 बार यह व्यायाम करना चाहिए। शारीरिक शक्ति और अवस्था के ख्याल से व्यायाम की संख्या घटाई और बढ़ाई जा सकती है।