Gastro-esophageal Reflux Disease – गैस्ट्रो-एसोफेगल रिफ्लक्स रोग


इस लेख में उपयोग किए गए मेडिकल शब्द और उनके हिंदी अर्थ –  

  • Digestive system – पाचनतंत्र 
  • Stomach – स्टमक, पेट, आमाशय, जठर
  • Esophagus – इसोफेगस, एसोफैगस, अन्नप्रणाली, घुटकी, घेघा, ग्रासनली, भोजननली, गले से अमाशय तक का भाग
  • Gastro-esophageal Reflux Disease – गैस्ट्रो-एसोफेगल रिफ्लक्स रोग, एसिड भाटा

गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग क्या है?

गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग तब होता है, जब स्टमक से एसिड एसोफैगस में वापस आ जाता है। जिसकी वजह से इसोफेगस की अंदर की लाइनिंग को नुकसान पहुँचना शुरू हो जाता है।

गैस्ट्रो शब्द पेट के लिए और एसोफेगल शब्द एसोफैगस के लिए उपयोग में लाया जाता है। रिफ्लक्स अर्थात वापस आना। इसलिए गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स अर्थात पेट से एसिड का इसोफेगस में वापस  आना।

एसोफैगस क्या है?

गले से पेट तक का भाग इसोफेगस कहलाता है। गले से उतरकर भोजन इसी नली से होता हुआ पेट में पहुंचता है।

एसोफैगस का वह हिस्सा जो पेट से जुड़ा रहता है, एक गोलाकार बैंड की तरह होता है। जब हम भोजन निगलते हैं,  तब यह बैंड शिथिल हो जाता है, और भोजन एसोफैगस से पेट में चला जाता है।

बाद में यह बैंड संकुचित होकर बंद हो जाता है, जिससे पेट में का एसिड और भोजन के कण वापस इसोफागस में वापस नहीं आ सकते।

जब यह बैंड कमजोर हो जाता है, या ठीक से बंद नहीं हो पाता है, तब पेट का एसिड एसोफैगस में आने लगता है और एसोफैगस की अंदर की लाइनिंग को नुकसान पहुंचाने लगता है। जिसकी वजह से एसोफैगस में सूजन आ जाती है।

क्या गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग किसी को भी हो सकता है?

कई लोगों को कभी-कभी एसिड रिफ्लक्स की तकलीफ़ हो जाती है। किन्तु जब यह तकलीफ़ सप्ताह में दो बार होने लगे, या फिर इसके लक्षण मध्यम से गंभीर रहते हो, तो यह गैस्ट्रोएसोफागीयल रिफ्लक्स रोग का संकेत है। यह रोग किसी भी व्यक्ति को हो सकता है।

अधिकांश मरीज़ों को खान-पान में और जीवनशैली में बदलाव और OTC दवाइयों से लक्षणों में आराम मिल जाता है। किंतु कुछ मरीज़ों को सर्जरी और स्ट्रांग दवाइयों की आवश्यकता पड़ सकती है।

गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग के लक्षण क्या है?

  • छाती में जलन महसूस होना। छाती में जलन खाना खाने के बाद और रात के समय अधिक हो जाती है,
  • छाती में दर्द,
  • खट्टी डकार
  • भोजन निगलने में कठिनाई,
  • गले में गांठ जैसा महसूस होना,

यदि रात के समय एसिड रिफ्लक्स की तकलीफ होती हो, तो निम्नलिखित लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे

  • गले में खराश
  • खांसी
  • यदि रोगी को अस्थमा हो तो उसके लक्षण बढ़ जाते हैं, या अस्थमा बढ़ जाता है,
  • नींद आने में मुश्किल

डॉक्टर से कब संपर्क करें?

यदि रिफ्लक्स के लक्षण गंभीर है और ओटीसी दवाइयाँ और खान पान में बदलाव से भी कोई फर्क ना हो रहा हो या,

एसिड रिफ्लक्स के लक्षण सप्ताह में दो बार से अधिक हो रहे हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।

यदि सांस लेने में तकलीफ हो रही हो, और छाती का दर्द जबड़े या ऊपर कि बाँह तक फैल रहा हो, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। क्योंकि ये लक्षण हार्ट अटैक के भी हो सकते हैं।

गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स के जोखिम कारक तत्व क्या है?

कुछ परिस्थितियों में गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग होने का ख़तरा बढ़ जाता है, जैसे की – 

  • मोटापा,
  • पेट का हर्निया (hiatal hernia), जिसमे डायाफ्राम में पेट के ऊपर की ओर उभार आ जाता है,
  • गर्भावस्था,
  • संयोजी ऊतक विकार (connective tissue disorder), जैसे कि स्क्लेरोडर्मा

एसिड रिफ्लक्स को बढ़ाने वाले कारणों में शामिल हैं:

  • धूम्रपान
  • अधिक भोजन या  रात को देर से भोजन करना
  • वसायुक्त या तले हुए खाद्य पदार्थ
  • कुछ पेय पदार्थ, जैसे शराब या कॉफी
  • कुछ दवाइयाँ जैसे कि एस्पिरिन

गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग से क्या जटिलतायें हो सकती है? (complications)

यदि गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग का एलाज नहीं किया गया, तो एसोफैगस में सूजन आ सकती है, जिसकी वजह से निचे दी गयी स्थितियां उत्पन हो सकती है – 

एसोफैगस की संकीर्णता –  पेट के एसिड के कारण एसोफैगस के निचले हिस्से को नुकसान पहुंच सकता है और वहां स्कार टिश्यू (ऊतक का गठन) बन सकता है। स्कार टिश्यू के कारण एसोफैगस का वह हिस्सा संकीर्ण ही जाता है, जिससे भोजन निगलने में समस्या होती है।

एसोफैगस में अल्सर  – एसोफैगस में एसिड के कारण अल्सर बन सकता है। जिसकी वजह से छाती में जलन, दर्द और निगलने में कठिनाई जैसे लक्षण आ सकते है और अलसर से रक्तस्राव भी हो सकता है। 

एसोफैगल कैंसर का जोखिम – Barrett’s esophagus – (बैरेट एसोफैगस) – एसिड के कारण एसोफैगस के ऊतक में परिवर्तन हो सकता हैं, जिसकी वजह से एसोफैगल कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।

गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स का उपचार कैसे किया जाता है?

जीईआरडी के लक्षणों की गंभीरता के आधार पर, चिकित्सक आपको खान पान और जीवनशैली में बदलाव, दवाइयाँ या सर्जरी की सालाह दे सकते है।

शुरुआत में जब लक्षण हलके हो तब खान पान में बदलाव और एंटासिड से लक्षणों में राहत मिल जाती है।

यदि लक्षण गंभीर हो तो पेट में एसिड कम करने के लिए एच 2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स या पीपीआई दवाइयां भी दे सकते है।

ज्यादातर मामलों में, जीईआरडी के लक्षणों को काम करने लिए जीवनशैली और खान पान में बदलाव और दवाएं पर्याप्त होती हैं। लेकिन कभी-कभी, सर्जरी की आवश्यकता होती है।

इसलिए, यदि दवाइयों से जीईआरडी के लक्षणों में सुधार नहीं होता है, तो चिकित्सक सर्जरी की सलाह दे सकते है।

जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार