Osteoporosis – ऑस्टियोपोरोसिस – हड्डियों में कमजोरी


ओस्टियोपोरोसिस क्या है?

ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिस में, हड्डियाँ कमजोर और खोखली हो जाती है। इतनी कमजोर कि थोड़ा सा झटका लगने पर, जैसे कि झुकने पर, वजन उठाने पर या जोर से खांसने पर हड्डियों में फ्रैक्चर तक हो सकता है।

हमारी हड्डी अंदर से कुछ इस प्रकार दिखती है। ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियाँ खोखली और कमजोर हो जाती है, जैसा कि इस चित्र में दायी बाजू की हड्डी में दिखाया गया है।

ऑस्टियोपोरोसिस के इस आर्टिकल में हम देखेंगे कि –

  • ओस्टियोपोरोसिस क्या है?
  • क्या ऑस्टियोपोरोसिस किसी भी व्यक्ति को हो सकता है?
  • क्या ऑस्टियोपोरोसिस एक आम समस्या है?
  • क्या ऑस्टियोपोरोसिस होने से रोका जा सकता है?
  • ऑस्टियोपोरोसिस कौन सी उम्र में होता है?
  • क्या ऑस्टियोपोरोसिस युवावस्था में भी हो सकता है? 
  • ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण क्या है?
  • डॉक्टर से कब संपर्क करें?
  • ऑस्टियोपोरोसिस का निदान कैसे किया जाता है?
  • बीएमडी टेस्ट कैसे किया जाता है? टी-स्कोर क्या है?
  • ऑस्टियोपोरोसिस का उपचार कैसे किया जाता है?
  • .ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम कैसे की जा सकती है?
नियमित व्यायाम से हड्डियां मजबूत रहती है और ऑस्टियोपोरोसिस का ख़तरा कम हो जाता है।

क्या ऑस्टियोपोरोसिस किसी भी व्यक्ति को हो सकता है?

ऑस्टियोपोरोसिस महिलाओं और पुरुषों दोनों में हो सकता है, किंतु महिलाओं में खासकर मेनोपॉज के बाद की उम्र में इस रोग के होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, हर तीन में से एक महिला, और हर आठ में से एक पुरुष ऑस्टियोपोरोसिस से प्रभावित है। (1)

मेनोपॉज के बाद महिलाओं में इसका खतरा क्यों बढ़ जाता है, इसके बारे में विस्तार से हम ऑस्टियोपोरोसिस के कारण इस सेक्शन में देखेंगे। 

पौष्टिक आहार से हमें कैल्शियम और अन्य खनिज तत्व मिलते हैं जो की हड्डी की मजबूती के लिए बहुत जरूरी होते हैं, और जो हमें ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारी से बचने में सहायता करते हैं।

क्या ऑस्टियोपोरोसिस एक आम समस्या है?

ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों का सबसे आम प्रकार का रोग है, और दुनियाभर में यह समस्या काफी तेजी से बढ़ रही है।

बदलती जीवन शैली, अधिक समय तक बैठे रहना, व्यायाम के प्रति लापरवाही और असंतुलित खानपान की आदतों के कारण ऑस्टियोपोरोसिस एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है।

ऑस्यटियोपोरोसिस के मरीजों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है की, विश्व स्वास्थ्य संगठन अर्थात WHO के अनुसार, ऑस्टियोपोरोसिस, हृदय रोग के बाद दूसरे नंबर की स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। (2)

गतिहीन जीवन शैली , कम शारीरिक गतिविधि और सूर्य के प्रकाश से कम संपर्क – हड्डी के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।

इसलिए, ज्यादा देर बैठकर काम करने से, कंप्यूटर, मोबाइल और लैपटॉप पर घंटों समय बिताने से या कुर्सी पर दिनभर बैठे रहने से हड्डियाँ कमजोर हो जाती है, जिससे बाद में ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर समस्या हो सकती है।

रोजान योगासन करने से मांसपेशियाँ मजबूत बनती है और जोड़ लचीले रहते हैं, जिससे शरीर संतुलित और स्थिर बना रहता है, और ऑस्टियोपोरोसिस में फ्रैक्चर का रिस्क कम हो जाता है।

क्या ऑस्टियोपोरोसिस होने से रोका जा सकता है?

  • कम से कम एक घंटा रोजाना व्यायाम करें,
  • पौष्टिक और संतुलित आहार का सेवन करें, 
  • जंक फूड और फास्ट फूड ना खाये,  क्योंकि इन चीजों में शरीर को हानि पहुंचाने वाले पदार्थ अधिक रहते हैं और पौष्टिक पदार्थ कम रहते हैं,
  • कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन डी से भरपूर आहार ले।

जीवन शैली,  पौष्टिक आहार और व्यायाम की सहायता से हड्डियों को मजबूत कैसे रखा जा सकता है और ऑस्टियोपोरोसिस से कैसे बचा जा सकता है इसके बारे में हम नीचे ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार में विस्तार से देखेंगे।

ऑस्टियोपोरोसिस कौन सी उम्र में होता है?

ऑस्टियोपोरोसिस का ख़तरा उम्र बढ़ने के साथ साथ बढ़ता जाता है। 50 वर्ष के बाद इसके होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।

क्या ऑस्टियोपोरोसिस युवावस्था में भी हो सकता है? 

हमारे शरीर में हड्डियों की कोशिकाओं का बनना और नष्ट होना निरंतर चलता रहता है।

बचपन और युवावस्था में हड्डियों के कोशिकाओं की बनने की दर नष्ट होने की दर से अधिक रहती है। इसलिए युवावस्था तक हड्डियां मजबूत होती जाती है, और उसका खनिज घनत्व बढ़ता रहता है।

20 वर्ष के बाद हड्डियों के कोशिकाओं के बनने की दर थोड़ी कम हो जाती है, और 30 वर्ष के आसपास हड्डियों की मजबूती अपने सबसे अधिक लेवल पर रहती है। उसके बाद जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, हड्डियों का बनना, उसके नष्ट होने की दर से कम होता जाता है।

ऑस्टियोपोरोसिस होने की संभावना इस बात पर निर्भर करती है कि, 30 साल की उम्र के में आपकी हड्डियाँ कितनी मजबूत है।

30 साल की उम्र के आसपास हड्डियों में खनिज का घनत्व अर्थात हड्डियों की मजबूती जितनी अधिक होगी, उतना ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा कम हो जाता है।

ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण क्या है?

ऑस्टियोपोरोसिस में शुरुआत में लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। किंतु जब हड्डियों में कमज़ोरी बढ़ जाती है, तब काफी गंभीर लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर की वजह से पीठ में दर्द होता है, कमर में सामने की ओर झुकाव आता है और हाइट थोड़ी कम हो जाती है। 

थोड़ा सा झटका लगने पर हड्डियों में फ्रैक्चर हो सकता है।

ऑस्टियोपोरोसिस के फ्रैक्चर कौन सी हड्डियों में होते हैं? 

ऑस्टियोपोरोसिस के फ्रैक्चर आमतौर पर कूल्हे (hip joints), कलाई या रीढ़ की हड्डी में होते हैं।

डॉक्टर से कब संपर्क करें?

शुरुआत में लक्षण दिखाई नहीं देते है, किन्तु, 

  • यदि आप किसी बीमारी की वजह से लंबे समय तक स्टेरॉयड ले रहे हो, 
  • या ऑस्टियोपोरोसिस का पारिवारिक इतिहास है, अर्थात आपके माता-पिता या भाई बहन को ऑस्टियोपोरोसिस हुआ हो या कूल्हे का फ्रैक्चर हुआ है, 
  • या महिलाओं में मेनोपॉज जल्दी शुरू हो गया हो,

तो ऑस्टियोपोरोसिस की जांच के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

ऑस्टियोपोरोसिस का निदान कैसे किया जाता है?

पारंपरिक एक्स-रे से हड्डी के फ्रैक्चर की पहचान तो कर सकते हैं, किन्तु हड्डियों में मिनरल्स अर्थात खनिज के घनत्व को माप नहीं सकते हैं।

जैसा कि हमने देखा, हड्डियों की मजबूती उसके अंदर स्थित कैल्शियम और बाकी मिनरल्स की वजह से होती है। हड्डियों में इन मिनरल्स का कम हो जाना अर्थात खनिज घनत्व कम हो जाना, जिसकी वजह से बोन्स कमजोर हो जाते है और फ्रैक्चर होने की सम्भावनाये बढ़ जाती है।

हड्डियों में मिनरल्स के घनत्व को विशिष्ट एक्स-रे तकनीक द्वारा मापा जाता है, जिसे बीएमडी जांच (अस्थि खनिज घनत्व , BMD test) कहते है।

बीएमडी जांच के लिए विभिन्न प्रकार के बीएमडी उपकरण उपलब्ध हैं, लेकिन सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण है, DXA या DEXA – डीएक्सए।

  • DEXA (डीएक्सए) – Dual Energy X-ray Absorptiometry (दोहरे ऊर्जा एक्स-रे अवशोषण)

डीएक्सए एक कम विकिरण एक्स-रे है, जो ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियों में हुये नुकसान के काफी छोटे से प्रतिशत का पता लगाने में भी सक्षम है। इसका उपयोग मुख्यत: रीढ़ और कूल्हे की हड्डी के घनत्व को मापने के लिए किया जाता है। लेकिन इससे पूरे कंकाल के अस्थि घनत्व को भी माप सकते है।

बीएमडी टेस्ट कैसे किया जाता है?

डीएक्सए से बीएमडी की जांच एक दर्द रहित जांच होती है, जिसमे आपको एक मेज पर लेटने के लिए कहा जाता है, और फिर एक स्कैनर की सहायता से हड्डियों में खनिज घनत्व को मापा जाता है।

ज्यादातर मरीजों में केवल कुछ हड्डियों की ही स्कैनर से जांच की जाती है, जैसे की कूल्हे और रीढ़ की हड्डियाँ।

बीएमडी टेस्ट के रिजल्ट टी-स्कोर (T-Score) से दिए जाते है।

ऑस्टियोपोरोसिस का निदान तब किया जाता है, जब किसी व्यक्ति का बीएमडी का टी-स्कोर -2.5 या उससे कम हो।

जब टी-स्कोर -1.0 से -2.4 के बीच होता तब उसे ऑस्टियोपीनिया कहा जाता है, जो ऑस्टियोपोरोसिस से पहले की स्थिति है, और जो यह संकेत देती है की हड्डियाँ कमजोर हो रही है।

BMD T-Score (बीएमडी टी-स्कोर)

Normal (साधारण) : -1 या उससे ऊपर का टी-स्कोर
Osteopenia (ऑस्टियोपीनिया) : टी-स्कोर -1 से कम और -2.5 से अधिक
Osteoporosis (ऑस्टियोपोरोसिस) : -2.5 या उससे कम का टी-स्कोर
Severe Osteoporosis (गंभीर ऑस्टियोपोरोसिस) : -2.5 या उससे कम का टी-स्कोर, और कम से कम एक फ्रैक्चर की उपस्थिति

यदि आपके बीएमडी जांच के परिणाम ऑस्टियोपोरोसिस या ऑस्टियोपीनिया दिखाते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपको फ्रैक्चर होगा। उपचार, जीवनशैली में बदलाव और आपके डॉक्टर द्वारा दी गयी दवाइयों से हड्डियों के नुकसान को कम कर सकते है, और फ्रैक्चर के खतरे को कम कर सकते हैं ।

References

  1. Sözen T, Özışık L, Başaran NÇ. An overview and management of osteoporosis. Eur J Rheumatol. 2017;4(1):46–56. doi:10.5152/eurjrheum.2016.048
  2. Shenoy S, Dhawan N, Sandhu JS. Effect of Exercise Program and Calcium Supplements on Low Bone Mass among Young Indian Women- A Comparative Study. Asian J Sports Med. 2012;3(3):193–199. doi:10.5812/asjsm.34690