यदि आप शरीर के बाहरी और भीतरी दोनों हिस्सों को स्वस्थ रखना चाहते हो, तो योगासन एक बहुत ही अच्छा उपाय है। लेकिन क्या यह अन्य आसनों की तुलना में ज्यादा लाभकारी है?
जब तक के दोनों हिस्से, यानी की भीतरी और बहरी हिस्से, स्वस्थ नहीं होंगे, तब तक कोई भी काम अच्छे से नहीं हो सकता है।
इसी प्रकार शरीर और मन का भी घनिष्ठ संबंध है। यदि इनमें से एक को नजरअंदाज कर दिया जाए, तो दूसरा स्वस्थ नहीं रह पाएगा।
हजारों साल पहले ऋषियों ने यह जान लिया था कि, स्वस्थ मन, स्वस्थ शरीर में ही रह सकता है। इसलिए अष्टांग योग में भी पहले योगासन दिया गया है और बाद में ध्यान आता है।
क्योंकि निरोगी शरीर में ही निरोगी मन रह सकता है। यदि शरीर निरोगी नहीं है, अर्थात शरीर में कोई कष्ट है या कोई रोग है, तो मन को शांत करना, निर्मल और शुद्ध करना मुश्किल हो जाता है।
निरोगी शरीर में ही निरोगी मन, ऐसा क्यों?
भोजन और दैनिक गतिविधियों के कारण, शरीर में उत्पन्न होने वाले मलमूत्र, अपशिष्ट उत्पाद, हानिकारक गैस जैसे की कार्बन डाई ऑक्साइड आदि का शरीर से बाहर निकल जाना बहुत जरूरी है।
यह सभी हानिकारक पदार्थ शरीर से पेशाब, मल मूत्र, त्वचा और फेफड़ों के सहारे बाहर निकाल दिए जाते हैं।
यदि इन दूषित पदार्थों को शरीर से बाहर नहीं निकाला गया, तो शरीर में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं।
और शरीर तथा मन का गहरा संबंध है, इसलिए यदि ये दूषित पदार्थ शरीर में जमा होने लग जाए, तो शरीर पर ही नहीं, मन पर भी असर होने लगता है।
योगासन से, ना सिर्फ शरीर की मांसपेशियां स्वस्थ होती है, बल्कि शरीर के भीतरी अंगों को भी व्यायाम मिल जाता है।
जिसकी वजह से शरीर में जमा हुए सारे दूषित पदार्थ अच्छी प्रकार से बाहर निकाल दिए जाते हैं।
जिससे शरीर निरोगी रहता है और मन भी निरोगी हो जाता है।
इसलिए, स्वस्थ शरीर और ध्यान के लिए योगासन बहुत जरूरी है।
लेकिन क्या व्यायाम के अन्य तरीकों की तुलना में योगासन विधि अधिक फायदेमंद है।
योगासन के महत्व
- व्यायाम के अन्य रूपों में, जैसे शरीर को सुडौल बनाने के व्यायामों में, आंतरिक यानी की भीतरी अंगों को पर्याप्त और सही प्रकार से व्यायाम नहीं मिलता है।
लेकिन योगासन, शरीर के आंतरिक भागों को भी पर्याप्त व्यायाम प्रदान करता हैं। परिणामस्वरूप, योगासन की सहायता से व्यक्ति लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकता है।
- योग के लिए बहुत सीमित स्थान और सीमित संसाधनों की आवश्यकता होती है।
- अन्य अभ्यासों में, जैसे की जीम में किये जाने वाले वेट ट्रेनिंग के एक्सरसाइज में, अक्सर एक साथी की आवश्यकता होती है, लेकिन योग में, एक व्यक्ति अकेले आसन कर सकता है।
- योगासनों में किये जाने वाले आसनों का, अन्य तरीकों के व्यायाम की तुलना में, मनुष्य के मन और अन्य इंद्रियों पर अधिक प्रभाव पड़ता है।
इसी कारण से, मनुष्य के मन की आंतरिक शक्ति विकसित होती है, जो मन और इंद्रियों को नियंत्रित कर सकती है।
- योगासन में अधिक भोजन की आवश्यकता नहीं है। इसलिए कोई विशेष लागत नहीं है।
- योगासनों के कारण शरीर से मल और अन्य हानिकारक पदार्थ ठीक से बाहर निकल जाते हैं।
नतीजतन, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और शरीर निरोगी रहता है और इन्फेक्शन से काफी हद तक बचाव हो जाता है।
- योगासन शरीर को लचीला बनाते हैं। जिससे कि मनुष्य को दिन भर कार्य करने में किसी प्रकार की अकड़न और थकान महसूस नहीं होती है।
- योगासन से शरीर के सभी अंगों में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार आता है, जिससे कि शरीर में रक्त का शुद्धिकरण काफी अच्छा हो जाता है।
- रीढ़ की हड्डियों के लचीलेपन पर मनुष्य का स्वास्थ्य बहुत हद तक निर्भर रहता है।
क्योंकि रीढ़ की हड्डियों के अंदर स्थित स्पाइनल कॉर्ड से ही, छाती, पेट, हाथ और पैरों के लिए नाड़ियाँ निकलती है। ये नाड़ियाँ इन हिस्सों में स्थित अंगों को जैसे कि ह्रदय, पेट के अंग, फेफड़े आदि को नियंत्रित करती है।
इसलिए रीढ़ की हड्डियों का लचीला रहना बहुत जरूरी है। और योगासन से, जैसे कि भुजंगासन, शलभासन आदि से, मनुष्य की रीढ़ की हड्डियों में लचीलापन बना रहता है।
- योगासन में बहुत कम ऊर्जा का उपयोग होता है, इसलिए बहुत थकान महसूस नहीं होती है। बल्कि रक्त अच्छी प्रकार शुद्ध होने से योगासन के बाद शरीर में ऊर्जा बढ़ जाती है।
- योगासन से मन को शांति मिलती है, मानसिक शक्ति बढ़ती है और बुद्धि का विकास होता है।
- योगासन से एंडोक्राइन ग्रंथियां भी सुचारू रूप से काम करने लगती है।
एंडोक्राइन ग्रंथियों से, जैसे कि थायराइड और पैंक्रियास से, निकले हुए हार्मोन शरीर के लगभग सभी अंगों पर प्रभाव डालते हैं।
यदि इन ग्रंथियों से हार्मोन का निकलना कम या ज्यादा हो जाए तो कई प्रकार के रोग होते हैं जैसे कि थायराइड के रोग और डायबिटीज आदि।
योगासन से एंडोक्राइन ग्रंथियां अच्छी प्रकार काम करने लगती है और उनमें से सही मात्रा में हार्मोन का स्त्राव होने लगता है।
- योगासन से कई बीमारियों में जैसे कि डायबिटीज, हाइपरटेंशन, पेट फूलना, कब्ज और सिरदर्द में लाभ मिलता है। किंतु किसी भी बीमारी में योगासन करने के पहले चिकित्सक से सलाह लेना बहुत जरूरी है।
- योगासन के माध्यम से शारीरिक और मानसिक विकास तो होता है; इसके अलावा, आध्यात्मिक विकास में भी मदद मिलती है।
- अधिक उम्र के लोग भी योग कर सकते हैं। हमारे ऋषियों ने इस पद्धति को हजारों वर्षों तक अपनाया था। इसलिए, वे एक लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते थे।
योगासनों के नियमित अभ्यास से
शरीर और मन को कम समय में अधिक आराम मिलता है,
मनुष्य का शरीर स्वस्थ रहता है,
शरीर के सारे दूषित पदार्थ अच्छी प्रकार से बाहर निकाल दिए जाते हैं, और
शरीर में कोई अशुद्धता नहीं रहती है।
नतीजतन, उसका मन हमेशा शांत और खुश रहता है।