Anemia – एनीमिया



1. एनीमिया क्या है?

एनीमिया सबसे आम प्रकार का रक्त का विकार है, जिसमें रक्त में रेड ब्लड सेल्स की संख्या कम हो जाती है, या हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है।

एनीमिया को हिंदी में खून की कमी या रक्ताल्पता (रक्त+अल्पता) भी कहा जाता है।

  • रेड ब्लड सेल्स (Red blood cells) – लाल रक्त कोशिकाएं

रेड ब्लड सेल्स (Red blood cells) को आर बी सी (RBC) भी कहते हैं और हीमोग्लोबिन को Hb भी कहते है।

भारतीय महिलाओं और बच्चों में एनीमिया सबसे आम बीमारियों में से एक है। लगभग 50% महिलाएं और बच्चे एनीमिया से पीड़ित रहते हैं।


2. हीमोग्लोबिन का नार्मल लेवल क्या है?

हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर हैं:

  • पुरुषों में – 13.5 से 17.5 gm/dL और
  • महिलओं में – 12.0 to 15.5 gm/dL

gm/dL यानी की ग्राम प्रति डेसीलीटर और डेसीलीटर मतलब 100 ml होता है।

हीमोग्लोबिन का स्तर कितना हो जाने पर उसे एनीमिया समझना चाहिए?

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वयस्क पुरुष में 13 g/dL से कम हीमोग्लोबिन वयस्क महिला में, जो गर्भवती नहीं है में, 12 g/dL से कम और गर्भवती महिलाओं में 11 g/dL से कम हीमोग्लोबिन होना एनीमिया का प्रमाण माना जाना चाहिए।


3. रेड ब्लड सेल्स और हीमोग्लोबिन कम हो जाने से क्या होता है?

रेड ब्लड सेल्स, हीमोग्लोबिन की मदद से, फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर शरीर के सभी अंगों तक पहुंचाने का काम करते हैं।

लेकिन, यदि किसी कारण से रक्त में आरबीसी की संख्या कम हो जाती है, या हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है, तो रक्त की ऑक्सीजन लेकर जाने की क्षमता कम हो जाती है, जिसकी वजह से शरीर के अंगों को ऑक्सीजन की सप्लाई ठीक से नहीं हो पाती है।

शरीर के सेल्स को ऑक्सीजन पर्याप्त नहीं मिलने के कारण, थकान और कमजोरी महसूस होने लगती है, और एनीमिया के अन्य लक्षण दिखाई देने लगते हैं।


4. एनीमिया के लक्षण क्या है?

एनीमिया के कुछ आम लक्षण है –

  • थकान
  • कमजोरी
  • चक्कर आना, बेहोशी छाना या सिर में भारीपन महसूस होना
  • सिर दर्द
  • नाखून, आँखों की पलकों के अंदर और जीभ पर लाली कम हो जाती है यानी की सफेद दिखाई देने लगते है।
  • त्वचा पर पीलापन दिखाई देना, पीली चमड़ी
  • ब्रिटल नेल्‍स अर्थात नाखूनों की कमजोरी, यानी की ऐसे नाखून जो आसानी से टूट जाते हो।
  • ह्रदय की अनियमित धड़कन
  • सांस लेने में तकलीफ, साँस फूलना
  • छाती में दर्द
  • हाथों या पैरों का ठंडा होना
  • स्पष्टता के साथ न सोच पाना या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई

यदि आपको इनमे से कोई भी लक्षण हो, तो अपनै चिकित्सक से संपर्क करें।

एनीमिया के लक्षण, उसके कारणों के आधार पर अलग अलग हो सकते हैं।

यदि एनीमिया किसी बीमारी की वजह से होता है, तो उस बीमारी के लक्षण एनीमिया के लक्षण को ढँक देते हैं, और फिर जब उस बीमारी के लिए रक्त की जांच की जाती है, तब पता चलता है कि मरीज को एनीमिया भी हो गया है।

शुरुआत में एनीमिया के लक्षण हल्के होते हैं, और मरीज को पता नहीं चलता कि उसे एनीमिया हो गया है। किंतु जैसे-जैसे एनीमिया गंभीर होता जाता है, उसके लक्षण भी गंभीर होते जाते हैं, और थकान और कमजोरी के साथ साथ अन्य लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं।


5. एनीमिया रोग से कैसे बचें?

एनीमिया कई प्रकार के होते हैं और हर एक प्रकार का अपना एक कारण है।

लेकिन, सबसे आम प्रकार का एनीमिया है, आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया और विटामिन की कमी से होने वाला एनीमिया।

संतुलित और पौष्टिक आहार के साथ, हम इन दो प्रकार के एनीमिया से, जो सबसे कॉमन हैं, काफी हद तक बच सकते हैं।

इसलिए, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पौष्टिक और संतुलित आहार खाएं।

आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी 12 से भरपूर आहार लें।

हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए, अधिक से अधिक मात्रा में सब्ज़ियां, खासकर हरी सब्जियां खाना चाहिए। मूंगफली, गुड़, और साबुत अनाज को दैनिक आहार में शामिल किया जाना चाहिए। ऐसे आहार की मदद से, शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाया जा सकता है।

आयरन युक्त खाद्य पदार्थों के लिए सब्जियां, खासकर हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे की पालक, मेथी, साथ ही ब्रोकोली, बीट यानी की चुकंदर, आलू, टोंडली

फलों में – सेब, अनार, केला, तरबूज, स्ट्रॉबेरी।

अनाज में – सभी अनाज और दालें, चावल, छोले, राजमा, मटकी।

मांसाहारी खाद्य पदार्थों में – अंडे, मछली, चिकन, मटन, विशेष रूप से लिवर अर्थात यकृत।

अन्य खाद्य पदार्थ: गुड़, टोफू, ओट्स, काजू, मूंगफली, जर्दालु अर्थात खुबानी में भी आयरन काफी मात्रा में रहता है।

आहार में लिए गए आयरन को शरीर सही प्रकार से अवशोषित कर सके, इसके लिए भोजन में विटामिन सी के खाद्य पदार्थों का भी समावेश करें, और भोजन के तुरंत बाद चाय या कॉफी ना ले।

शराब और धूम्रपान की लत से दूर रहें।

यदि रसोई में भोजन बनाते समय लोहे के बर्तनों का उपयोग किया जाए, तो भोजन में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है।

पौष्टिक आहार के साथ साथ व्यक्तिगत और आसपास के परिसर की स्वच्छता भी बहुत महत्वपूर्ण है। यदि परिसर स्वच्छ नहीं रहा तो बच्चों में पेट का इंफेक्शन हो सकता है जिसकी वजह से बच्चों में एनीमिया हो सकता है।

प्रेग्नेंसी के समय आयरन और विटामिन की आवश्यकता बढ़ जाती है,और उसे पूरा करने के लिए, गर्भवती महिला को आयरन और विटामिन की गोलियां दी जाती है। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान एनीमिया को रोकने के लिए, डॉक्टर द्वारा दी गयी आयरन और फोलिक एसिड की दवाएं समय पर लेनी चाहिए।


6. एनीमिया का रोग कितने दिनों तक रह सकता है?

एनीमिया कुछ दिनों के लिए हो सकता है, या फिर यह रोग दीर्घकालिक अर्थात लंबे समय तक भी रह सकता है।


7. क्या एनीमिया गंभीर रोग है?

कुछ लोगों में एनीमिया एक हल्के या मामूली रोग तक ही सीमित रहता है,
जिसमें थकान और कमजोरी जैसे लक्षण महसूस होते हैं,

लेकिन कुछ लोगों में यह गंभीर रोग बन जाता है, जिसकी वजह से दिल, दिमाग जैसे महत्वपूर्ण अंगों पर भी असर होने लगता है।

यदि किसी अन्य बीमारी के लिए खून की जांच के समय, यह पता चलता है कि आपको एनीमिया है, तो डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि एनीमिया की वजह से शरीर पर कई गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं।


8. डॉक्टर से कब संपर्क करें?

यदि आपको बिना किसी वजह से थकान और कमजोरी महसूस हो रही हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें।

थकान और कमजोरी के बहुत से कारण है, इसलिए यह जरूरी नहीं कि यदि आपको थकान और कमजोरी महसूस हो रही हो, तो आपको एनीमिया हो गया है।

लेकिन, एनीमिया की संभावना को खारिज करने के लिए डॉक्टर से संपर्क और सलाह बहुत जरूरी है, क्योंकि एनीमिया की वजह से बाद में शरीर पर कई गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं।

कभी-कभी रूटीन ब्लड टेस्ट में या फिर ब्लड डोनेशन के समय रक्त की जांच से यह पता चलता है कि रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा या रेड ब्लड सेल्स कम हो गए हैं, जोकि एनीमिया होने का संकेत है। तब एनीमिया के उपचार के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।


9. एनीमिया का निदान कैसे किया जाता है?

एनीमिया का निदान, मरीज के लक्षण, शारीरिक जांच, और ब्लड टेस्ट के जरिए किया जाता है।

ब्लड टेस्ट में जो सबसे महत्वपूर्ण टेस्ट है वह है कम्पलीट ब्लड काउंट अर्थात हीमोग्राम, जिसे सीबीसी (CBC) भी कहते हैं।

ब्लड टेस्ट के जरिए, रक्त में रेड ब्लड सेल्स की संख्या का और हीमोग्लोबिन की लेवल का पता चल जाता है।

साथ ही साथ यह भी पता चल जाता है कि, रेड ब्लड सेल्स का साइज और शेप कैसा है। लाल रक्त कोशिकाओं के साइज और आकार की जानकारी, एनीमिया के प्रकार को समझने में मदद करती है।

एनीमिया का निदान होने के बाद, उसके कारणों का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट के लिए भी कह सकते हैं।


10. एनीमिया का उपचार कैसे किया जाता है?

एनीमिया का इलाज, उसके कारण और उसके प्रकार पर निर्भर करता है।

आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया सबसे आम प्रकार का है, इसके लिए एनीमिया में आयरन और विटामिन की गोलियां दी जाती है।

गंभीर एनीमिया में, आयरन का इंजेक्शन और कभी-कभी ब्लड भी चढ़ाना पड़ सकता है।

एनीमिया के कारणों का पता चलने के बाद, उन कारणों को दूर करने के लिए अन्य उपचार किए जाते हैं।


11. लाल रक्त कोशिकाएं और हीमोग्लोबिन क्या है?

लाल रक्त कोशिकाएं क्या हैं?

एक वयस्क मनुष्य के शरीर में 5 से 6 लीटर रक्त होता है। इस रक्त में तीन प्रकार की रक्त कोशिकाएं रहती है।

  1. RBC अर्थात red blood cells, जिन्हे हिंदी में लाल रक्त कोशिकाएं कहते है। RBC पूरे शरीर में ऑक्सीजन ले जाने का काम करते है।
  2. WBC अर्थात white blood cells, जिन्हे सफेद रक्त कोशिकाएं कहते है। WBC हमारे शरीर को इन्फेक्शन से बचाने का काम करते है। और
  3. प्लेटलेट्स (Platelets), जिनका मुख्य कार्य है ब्लीडिंग को रोकना। चोट लगने पर प्लेटलेट्स चोट के स्थान पर रक्त का थक्का या पपड़ी जैसा जमा देती है, जिससे रक्तस्त्राव रूक जाता है।

हीमोग्लोबिन (Haemoglobin) क्या है?

रेड ब्लड सेल्स में एक आयरन युक्त प्रोटीन रहता है, जिसे हीमोग्लोबिन कहते है। इसी हेमोग्लोबिन के कारण, लाल रक्त कोशिकाओं का रंग लाल होता है।

रक्त लाल क्यों दिखता है?

रक्त में लाल रक्त कोशिकाएं काफी ज्यादा संख्या में रहती है, इसलिए रक्त का रंग लाल होता है।

रेड ब्लड सेल्स और हीमोग्लोबिन शरीर में क्या काम करते है?

रेड ब्लड सेल्स, हीमोग्लोबिन की मदद से, फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर शरीर के सभी अंगो तक पहुंचाने का काम करते हैं।

और फिर कोशिकाओं से कार्बन डाइऑक्साइड लेकर, फेफड़ों तक पहुंचाते हैं, ताकि उस दूषित हवा को शरीर से बाहर निकाला जा सके।

रेड ब्लड सेल शरीर में कहां तैयार होते हैं?

रेड ब्लड सेल्स, बोन मेरो (bone marrow) अर्थात अस्थि मज्जा में, नियमित रूप से उत्पन्न होते हैं।

बोन मेरो एक मुलायम स्पंज के समान होता है, जो बड़ी हड्डियों के भीतर रहता है।

हमारा शरीर, बोन मेरो में आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन बी-12 और कुछ अन्य पोषक तत्वों की सहायता से हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करता है।

ये पोषक तत्व हमें पौष्टिक आहार के जरिये मिलते है।


12. एनीमिया क्यों होता है?

जब रक्त में स्थित रेड ब्लड सेल्स में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है, या फिर रेड ब्लड सेल्स की संख्या कम हो जाती है, तब एनीमिया होता है।

इस प्रकार की स्थिति, तीन बातों से हो सकती है –

  1. यदि शरीर में रेड ब्लड सेल्स का निर्माण कम हो जाए
  2. ब्लीडिंग की वजह से, शरीर से रक्त के साथ साथ, रेड ब्लड सेल्स बाहर चले जाए
  3. या फिर शरीर रेड ब्लड सेल्स को नष्ट करना शुरू कर दें।

नीचे हम देखेंगे ऐसे कौन से कारण हैं जिनकी वजह से ऊपर दी गई तीन स्थितियां शरीर में उत्पन्न हो सकती है।

  • आयरन की कमी की वजह से एनीमिया – (Iron Deficiency Anemia) – यह सबसे आम प्रकार का एनीमिया है। यह एनीमिया शरीर में आयरन की कमी के कारण होता है। गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया एक आम समस्या है। इस प्रकार का एनीमिया, ब्लीडिंग के समय, रक्त के समय रक्त के अधिक बह जाने की वजह से भी हो सकता है।

  • विटामिन की कमी की वजह से एनीमिया – फोलिक एसिड और B12 की कमी की वजह से भी एनीमिया हो सकता है।

एनीमिया के कुछ अन्य कारण है –

  • इन्फ्लेमेशन अर्थात सूजन की वजह से एनीमिया – इस प्रकार का एनीमिया कुछ दीर्घकालिक बीमारियों में जैसे कि रूमेटाइड अर्थराइटिस और किडनी की बीमारियों में हो सकता है।

  • अप्लास्टिक एनीमिया – यह एक दुर्लभ किंतु बहुत ही गंभीर प्रकार का एनीमिया है

  • बोन मैरो की बीमारियों की वजह से एनीमिया – बोन मैरो की कुछ बीमारियां जैसे कि ल्यूकेमिया और माइलोफाइब्रोसिस

  • हिमोलिटिक एनीमिया – जब शरीर में रेड ब्लड सेल्स तेजी से नष्ट होने लगते हैं, तब हेमोलिटिक एनीमिया होता है।

  • सिकल सेल एनीमिया – यह एक अनुवांशिक एनीमिया है। जिसमें रेड ब्लड सेल्स का आकार बदल जाता है, जिसकी वजह से रेड ब्लड सेल्स तेजी से नष्ट होना शुरू हो जाते हैं।

एनीमिया के उपचार के लिए आपको आहार में बदलाव करना पड़ता है, और यदि एनीमिया ज्यादा हो तो चिकित्सक दवाई दे सकते है। पौष्टिक और संतुलित आहार से आप कुछ प्रकार के एनीमिया, जैसे की आयरन और विटामिन की कमी से होने वाले एनीमिया को होने से रोक सकते है।