इस लेख में उपयोग किए गए कुछ महत्वपूर्ण मेडिकल शब्द और उनके हिंदी अर्थ –
- Alzheimer’s Disease – अल्जाइमर रोग
- Brain (ब्रेन) – मस्तिष्क
- Nervous System (नर्वस सिस्टम) – संचार तंत्र
- Neuron (न्यूरॉन) – तंत्रिका कोशिका
अल्जाइमर क्या है?
अल्जाइमर रोग मस्तिष्क से संबंधित एक विकार है, जिसमें मरीज़ की याददाश्त धीरे-धीरे कम होती जाती है। इसलिए इसे भूलने की बीमारी भी कहा जाता है।
इस रोग में मस्तिष्क की कोशिकाएं धीरे-धीरे नष्ट होने लगती है।
भूलने की समस्या कभी कभार सभी को हो जाती है, तो क्या यह अल्जाइमर रोग है?
उम्र बढ़ने के साथ साथ, हमारे शरीर के बाकी हिस्सों की तरह, हमारे दिमाग में भी बदलाव आते हैं। बातों को याद रखना मुश्किल होता जाता है और सोचने की क्षमता भी कम होती जाती है।
किंतु जब भूलने की समस्या इतनी गंभीर हो जाएँ कि दैनंदिन व्यवहार में उसका असर होने लगे, और साथ ही निचे दिए गए अल्जाइमर के लक्षण भी दिखाई देने लगे, तो यह इस बात का संकेत है कि, मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट हो रही है।
क्योंकि मौजूदा उपचार अल्जाइमर को ठीक नहीं कर पाता है, सिर्फ लक्षणों को कम कर सकता है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि इस रोग की रोकथाम (prevention) के लिए प्रयत्न किया जाए।
अर्थात इस रोग को शुरू ही ना होने दें, क्योंकि एक बार मस्तिष्क में अल्जाइमर के परिवर्तन शुरू हो गए, तो उसे ठीक करना बहुत मुश्किल है, या उसके लिए अभी उपचार उपलब्ध नहीं है।
इस लेख में हम देखेंगे कि अल्जाइमर क्या है, इसके कौन-कौन से लक्षण है और ऐसे कौन से उपाय है जिससे अल्जाइमर से बचा जा सकता है?
इस रोग को अल्झाइमर क्यों कहा जाता है?
जर्मन मनोचिकित्सक अलोइस अल्जाइमर ने, इस बीमारी का पहली बार 1906 में वर्णन किया था। इसलिए इस बीमारी का नाम उनके नाम पर अल्जाइमर रखा गया है।
क्या अल्जाइमर किसी भी उम्र में हो सकता है?
अलजाइमर रोग आम तौर पर 60 से 65 वर्ष की उम्र में शुरू होता है।
उम्र बढ़ने के साथ साथ याददाश्त और सोचने की क्षमता कम होती जाती है। किन्तु अल्जाइमर रोग बुढ़ापे का एक सामान्य हिस्सा नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर समस्या है, इसलिए इसके लक्षणों को किसी भी व्यक्ति में अनदेखा ना करें।
तो अल्जाइमर क्या सिर्फ बुढ़ापे का रोग है?
हालांकि अल्जाइमर अधिक उम्र के लोगो में ज्यादा पाया जाता है, किन्तु यह सिर्फ बुढ़ापे की बीमारी नहीं है। कुछ लोगों में यह विकार 65 वर्ष के पहले से भी शुरू हो सकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 200,000 अमेरिकियों को अल्जाइमर रोग 65 वर्ष से कम उम्र में शुरू हो गया है।
अल्जाइमर रोग के लिए प्रमुख कारक उम्र का बढ़ना है। इसलिए जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती हैं, अल्जाइमर रोग होने की संभावना भी बढ़ती जाती है।
क्या अल्जाइमर रोग एक आम बिमारी है?
अल्जाइमर रोग 65 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों में ज्यादा पाया जाता है। 65 से अधिक आयु वर्ग के लगभग 10% और 85 वर्ष से अधिक आयु के 50% व्यक्ति अल्जाइमर रोग से पीड़ित हो जाते है।
अल्जाइमर कितने समय तक रहता है?
अल्जाइमर रोग धीरे-धीरे बढ़ने वाला न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग है, जिसमें मस्तिष्क की कोशिकाएं धीरे-धीरे नष्ट होने लगती है। और यह रोग अपरिवर्तनीय है।
(Alzheimer Disease – progressive and irreversible neurodegenerative disorder)
इलाज से अल्झाइमर के लक्षणों को और बीमारी की बढ़ने की दर को कम किया जा सकता है। किंतु उपचार से अल्जाइमर पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाता है।
अल्जाइमर रोग मनोभ्रंश (dementia, डिमेंशिआ) का सबसे आम कारण है। 60 से 80 प्रतिशत मनोभ्रंश के मामलों में कारण अल्जाइमर रोग ही होता है।
अल्जाइमर के लक्षण क्या हैं?
उम्र बढ़ने के साथ याददाश्त में थोड़ी कमी आना स्वाभाविक है, लेकिन इसके कारण दैनिक कार्यों में या व्यवहार में इतनी मुश्किल नहीं आती है।
लेकिन, अल्जाइमर में, याददाश्त इतनी कम हो जाती है की, मरीज़ परिवार के सदस्यों को तक पहचान नहीं पाता है, घर का पता भूल जाता है और उसे चीजों के नाम भी नहीं याद रहते हैं।
अल्जाइमर रोग का सबसे आम लक्षण क्या है?
याददाश्त में कमी अल्जाइमर रोग का मुख्य लक्षण है।
हम सभी को कभी-कभार भूलने की समस्या हो सकती है, जैसे किसी चीज को कहीं रखकर भूल जाना या किसी का नाम भूल जाना।
किंतु अल्जाइमर रोग में याददाश्त और सोचने की क्षमता में कमी की समस्या इतनी गंभीर होती जाती है कि वह रोजमर्रा के कार्यों के लिए भी दुसरो पर निर्भर रहने लगता है।
शुरुआत में लक्षण हल्के होते हैं, और मरीज़ सिर्फ हाल की बातों को और घटनाओं को भूल सकता है। किंतु समय के साथ लक्षण गंभीर होते जाते हैं।
अल्जाइमर डिजीज में स्मृतिभ्रम के अलावा क्या अन्य लक्षण भी दिखाई देते है?
अल्जाइमर का सबसे आम और प्रारंभिक लक्षण है, नई सीखी गई जानकारी को याद रखने में कठिनाई होना, क्योंकि अल्जाइमर में परिवर्तन आम तौर पर मस्तिष्क के उस हिस्से में शुरू होता है, जो हमें नई बातें ग्रहण करने और उसे याद रखने में मदद करता है।
किन्तु जैसे-जैसे मस्तिष्क में होने वाला परिवर्तन, उसके दूसरे हिस्सों में फैलता जाता है, अन्य लक्षण दिखाई देने लगते हैं –
- जैसे की, समय और स्थान के बारे में कंफ्यूजन अर्थात भ्रम होना, मूड और व्यवहार में परिवर्तन, परिवार और देखभाल करने वालों को ना पहचानना और उनके बारे में निराधार संदेह होना, चलने, बोलने और निगलने में कठिनाई आदि।
दिमाग की कोशिकाएं धीरे-धीरे नष्ट होने से नीचे दिए हुए अन्य लक्षण खाई देने लगते हैं –
- याददाश्त का कम होना
- हाल की घटनाओं के बारे में भूल जाना
- अपना नाम या पता भूल जाना
- किसी भी चीज़ पर निर्णय ना ले पाना
- बोलने में तकलीफ या ठीक से न बोल पाना – अल्जाइमर में मरीज साधारण शब्दों को या समानार्थक शब्दों को भूलने लगता है, जैसे की टूथब्रश के टूथब्रीश शब्द भोल जाता है और मुँह की और इशारा करके वह चीज माँगता है। शब्दों को भूलने के कारण उसकी बोली और उसकी लिखावट भी अस्पष्ट होते जाती है।
- समय और ठिकाने के बारे में उलझन
- परिचित लोगो को न पहचानना
- दैनिक गतिविधियों में, जैसे कपड़े पहनना, वाहन चलाना, या खाना बनाने में कठिनाई होना
- अवसाद और तनाव
- नींद न आना
अल्जाइमर के चरण
अल्जाइमर एक प्रगतिशील बीमारी अर्थात बढ़ते जाने वाली बीमारी है। इसका अर्थ है कि इसके लक्षण धीरे-धीरे समय के साथ गंभीर होते जाते है।
अल्जाइमर सात चरणों में बाँटा गया है –
स्टेज 1 – इस स्तर पर व्यक्ति में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन परिवार के इतिहास अर्थात फॅमिली हिस्ट्री के आधार पर प्रारंभिक निदान हो सकता है।
स्टेज 2 – शुरुआती लक्षण, जैसे भूलने की बीमारी, जो की इसका मुख्य लक्षण है दिखाई देने लगता हैं।
व्यक्ति चीजों को इधर उधर रखकर भूलने लगता है। किन्तु सभी को लगता है की, यह उम्र बढ़ने के कारण हो रहा है।
स्टेज 3 – हल्की शारीरिक और मानसिक कमज़ोरी दिखाई देने लगती है, जैसे कि याददाश्त कमी के साथ साथ एकाग्रता में कमी। ये लक्षण मरीज़ को महसूस नहीं होते है, किन्तु उसके करीबी व्यक्ति को मरीज में ये बदलाव दिखाई देने लगते है।
स्टेज 3 मरीज को कुछ चीजों में कठिनाइयां आने लगती है, जैसे बातचीत के दौरान उसे सही शब्द याद नहीं आते है, नए परिचितों के नाम याद नहीं रख पाता है और किसी कार्य की योजना बनाने में मुश्किल आती है।
स्टेज 4 – इस चरण में लक्षण स्पष्ट हो जाते है, इसलिए अल्जाइमर का अक्सर इस स्टेज में निदान हो जाता है। इस स्टेज में मरीज को याददाश्त में कमी के कारण रोजमर्रा के कार्य करने में मुश्किल आने लगती है।
स्टेज 5 – इस स्टेज में लक्षण और गंभीर हो जाते है, जिसकी वजह से उसे परिवार वालों से या देखभाल करने वालों से मदद की आवश्यकता होती है।
स्टेज 6 – इस चरण में अल्जाइमर से पीड़ित व्यक्ति को बुनियादी कार्यों में, जैसे खाने और कपड़े पहनने में, भी मदद की आवश्यकता पड़ने लगती है।
स्टेज 7 – यह स्टेज अल्जाइमर का सबसे गंभीर और अंतिम चरण है। बीमारी के इस चरण में, मरीज अपने वातावरण में संवाद करने या प्रतिक्रिया देने की क्षमता खो देता हैं। वह शब्दों का और वाक्यों का उच्चारण कर सकता है, किंतु उनमें कोई तालमेल नहीं रहता है। इस चरण में मरीज को हर काम के लिए मदद की जरूरत पड़ती है।
अल्झाइमर में चिकित्सक से कब संपर्क करे?
आज भी, कई लोगों को अल्जाइमर के बारे में जानकारी नहीं है। इसलिए, जब इस रोग के लक्षण किसी बुजुर्ग व्यक्ति में दिखाई देते हैं, तो लोग उसे बूढ़ा हो गया है कह कर टाल देते है। और यह रोग बढ़ता जाता है और मरीज दूसरे व्यक्तियों पर निर्भर होता जाता है। इसलिए अल्जाइमर के लक्षण दिखाई देने पर उन्हें डॉक्टर के पास ले जाएं और अल्जाइमर या अन्य किसी बीमारी का इलाज कराएं। क्योंकि उपचार से अल्झाइमर के लक्षणों में सुधार हो सकता है।
हालांकि वर्तमान में उपलब्ध उपचार इस रोग को ठीक नही कर सकते हैं, किन्तु वे अस्थायी रूप से इसके लक्षणों को थोड़ा कम कर सकते हैं और मरीज के जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।
अल्जाइमर क्यों होता है?
अल्जाइमर रोग का सटीक कारण अभी भी समझ में नहीं आया है। कोई भी यह नहीं जानता है कि यह रोग क्यो होता है, पर इसपर काफी शोध किया जा रहा है।
अल्जाइमर में मस्तिष्क में परिवर्तन लक्षणों से बहुत पहले ही शुरू हो जाते हैं।
अल्जाइमर और मस्तिष्क
हमारे मस्तिष्क में अनगिनत (लगभग 100 बिलियन) न्यूरॉन्स होते हैं।
Neuron (न्यूरॉन) – तंत्रिका कोशिका
Neurons (न्यूरॉन्स) – तंत्रिका कोशिकाएं
प्रत्येक न्यूरॉन संचार नेटवर्क बनाने के लिए कई अन्य न्यूरॉन के साथ जुड़ता है।
मस्तिष्क के इन न्यूरॉन्स के समूहों में विशेष कार्य होते हैं। जैसे कुछ न्यूरॉन्स के समूह सोचने, सीखने और याद करने के लिए होते हैं, तो कुछ समूह देखने, सुनने और सूँघने के लिए होते हैं।
इन विशेष कार्यों को करने के लिए, मस्तिष्क की कोशिकाओं को निरंतर पोषक तत्व और ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
अल्जाइमर में मस्तिष्क में क्षति उन न्यूरॉन के समूह में शुरू होती है, जो हमें नई चीजें सीखने और याद रखने में मदद करती है। बाद में धीरे-धीरे यह क्षति दूसरे न्यूरॉन के समूह में फैलती जाती है।
क्या अल्जाइमर रोग किसी को भी हो सकता है?
अल्जाइमर रोग किसी भी व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन कुछ लोगों में इसके होने की संभावना अधिक होती है। निचे कुछ जोखिम कारक तत्व दिए है, जिनकी वजह से अल्जाइमर होने का ख़तरा बढ़ जाता है।
(जोखिम कारक तत्व अर्थात Risk Factors)
अल्जाइमर के जोखिम कारक क्या हैं?
उम्र – उम्र का बढ़ना इस रोग के लिए सबसे बड़ा जोखिम कारक है, और जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है इस बीमारी का खतरा भी बढ़ता जाता है।
परिवार का इतिहास – 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग, जिनके परिवार में अल्जाइमर की फॅमिली हिस्ट्री अर्थात आनुवंशिक इतिहास हैं, उनमें अल्जाइमर होने की संभावना अधिक होती है।
कुछ बीमारियां – इसके अलावा, मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर, मोटापे और सिर की चोट वाले लोगों को अल्जाइमर का खतरा बढ़ जाता है।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस विकार के होने का खतरा अधिक होता है।
क्या अल्जाइमर यह एक अनुवांशिक रोग हैं?
यदि परिवार में किसी को अल्जाइमर रोग का इतिहास है, तो यह बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। अर्थात यदि आपके परिवार के किसी सदस्य को यह रोग था, तो आपको यह रोग होने का अधिक खतरा हो सकता है।
अल्जाइमर का परीक्षण कैसे किया जाता है?
वृद्ध लोगों में लक्षणों के आधार डॉक्टर अल्झाइमर का निदान करते है। आपके चिकित्सक मस्तिष्क के विकारों की जांच के लिए सीटी स्कैन (CT scan) , एमआरआई (MRI) या पीईटी स्कैन (PET scan) जैसे परीक्षण करवाने के लिए कह सकते हैं।
अल्जाइमर का उपचार कैसे किया जाता है?
अल्जाइमर के उपचार के लिए कई नई दवाएँ उपलब्ध हैं, जो अल्जाइमर के लक्षणों को कम कर सकती हैं, रोग के बढ़ने की गति को कम कर सकती है और अन्य नए लक्षणों को रोक सकती हैं।
अल्जाइमर के इलाज के लिए बेहतर तरीके खोजने और रोग को विकसित होने से रोकने के लिए आज दुनिया भर में प्रयास चल रहा है।
क्या अल्जाइमर उपचार से ठीक हो सकता है?
हालांकि इस विकार का इलाज उपलब्ध है, लेकिन पूरी तरह ठीक होने की संभावना कम है।
अल्जाइमर रोग को रोकने के लिए क्या करें?
संतुलित और पौष्टिक आहार लें। भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियाँ और ताजे फल शामिल होना चाहिए। इनमें उच्च मात्रा में विटामिन और एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं, और ये मस्तिष्क की कोशिकाओं की क्षति को रोकते हैं। आहार का शुद्ध और प्राकृतिक होना जरूरी है।
नियमित व्यायाम करें। व्यायाम से शरीर में और मस्तिष्क में रक्त संचार बेहतर होता है और इस तरह मस्तिष्क की कोशिकाओं को उचित मात्रा में रक्त और ऑक्सीजन प्राप्त होता है। व्यायाम से उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और मोटापा जैसे विकार होने का ख़तरा भी काम हो जाता है।
नियमित योग, प्राणायाम और ध्यान करें। यह तनाव दूर करने में और अच्छी याददाश्त बनाए रखने में मदद करता है। मस्तिष्क को ठीक से काम करने के लिए, ऊर्जा की पर्याप्त सप्लाई की आवश्यकता होती है। इसलिए, गहरा श्वास, प्राणायाम और कपालभाति जैसी श्वास की क्रियाएँ मस्तिष्क को ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ाने में सहायता करती है।
तनाव मुक्त रहें। संगीत, विशेष रूप से जो मन को शांत कर सके, मस्तिष्क की किसी भी बीमारी के लिए बहुत उपयोगी होता है।
ज्ञानवर्धक किताबें पढ़ें, ताकि मस्तिष्क की कोशिकाएं सक्रिय रहें।
मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र (nervous system) को साफ रखने का प्रयास भी करना चाहिए, जिससे मस्तिष्क में विषाक्त पदार्थ जमा ना हो सके, और मस्तिष्क को पर्याप्त ऊर्जा मिलती रहे। आसान, प्राणायाम और संतुलित तथा पौष्टिक आहार मस्तिष्क में जमा हुये विषाक्त पदार्थ निकालने में हमारी मदद करता है।