अपेंडिक्स 2 – अपेंडिसाइटिस 2 – Appendicitis 2



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अपेंडिक्स के इस आर्टिकल में, अपेंडिसाइटिस का निदान, उपचार और अपेंडिक्स के ऑपरेशन के बाद बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में दिया है।

पिछले आर्टिकल में हमने देखा कि, अपेंडिक्स क्या है, अपेंडिक्स के लक्षण क्या होते हैं, अपेंडिक्स क्यों होता है, और उसके दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं। उसकी लिंक निचे दी गयी है –


अपेंडिसाइटिस का निदान कैसे किया जाता है?

आपके पेट में उठने वाला दर्द, अपेंडिसाइटिस की वजह से ही है, इसका निदान करने के लिए डॉक्टर, आपसे आपके लक्षणों के बारे में विस्तार से पूछते हैं, और फिर शारीरिक जांच, और पेट की जांच  करते हैं।

पेट की जांच

आपके डॉक्टर आपके पेट के दाहिने भाग पर, हाथ से हल्का सा दबाव डालते हैं।

अपेंडिसाइटिस में दबाव डालने, और उसके बाद हाथ उठाने के बाद, मरीज को पेट का दर्द, कुछ क्षण के लिए बढ़ा हुआ महसूस होता है, जो कि यह बताता है कि अपेंडिसाइटिस की वजह से उसके आजू बाजू की एरिया में सूजन आ गई है।

आपके डॉक्टर यह भी देखते हैं कि, अपेंडिक्स के ऊपर की पेट की मांसपेशियों में कितनी अकड़न आ गई है, और हाथ से दबाव देने पर क्या उस भाग की मांसपेशियों में अकड़न बढ़ जाती है।

 रक्त की जांच

रक्त की जांच में, सफेद ब्लड सेल्स की संख्या, बढ़ी हुई आ सकती है।

शरीर में जब कहीं इंफेक्शन होता है, तो रक्त में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है।

पेशाब की जांच

किडनी स्टोन या यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की वजह से भी, पेट में दर्द हो सकता है।

इसलिए पेशाब की जांच में यह पता चल जाता है कि, कहीं यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन या किडनी स्टोन की वजह से, पेट में दर्द तो नहीं हो रहा है।

एक्स-रे, सोनोग्राफी और सीटी स्कैन

अपेंडिसाइटिस के निदान की पुष्टि के लिए, या पेट की किसी अन्य बीमारी की संभावना को खारिज करने के लिए, आपके डॉक्टर कभी-कभी पेट का एक्सरे, सोनोग्राफी या सीटी स्कैन के लिए भी कह सकते हैं।


अपेंडिसाइटिस का उपचार कैसे किया जाता है?

अपेंडिक्स का उपचार, आमतौर पर सर्जरी के जरिए, अपेंडिक्स को निकाल कर किया जाता है।

सर्जरी के पहले एंटीबायोटिक दवाइयां दी जाती है, जिससे कि इंफेक्शन कंट्रोल किया जा सके।

अपेंडिक्स की सर्जरी को अपेंडेक्टोमी कहते हैं।

अपेंडिक्स की सर्जरी दो प्रकार से की जाती है।

  • एक है लेप्रोटोमी और
  • दूसरी है लैपरोस्कोपिक सर्जरी।

लेप्रोटोमी – ओपन सर्जरी

लेप्रोटोमी में ओपन सर्जरी की जाती है, अर्थात पेट में 2 से 4 इंच का एक इंसीजन यानी कि चीरा लगाया जाता है और अपेंडिक्स को काट कर निकाल दिया जाता है।

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के लिए बहुत ही छोटा सा चीरा लगाना पड़ता है।

लेप्रोस्कोपिक अपेंडेक्टोमी में सर्जन एक खास उपकरण, जिसे लेप्रोस्कोप कहते हैं, उसका उपयोग करते हैं।

लेप्रोस्कोप एक पतली ट्यूब जैसा रहता है, और उसमें एक छोटा सा वीडियो कैमरा लगा रहता है। उस ट्यूब को, सर्जन, छोटे से चीरे के जरिए पेट में डालते हैं और अपेंडिक्स को निकाल देते हैं।

लेप्रोस्कोपिक अपेंडिक्स सर्जरी के फायदे

आमतौर पर, लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद मरीज की रिकवरी जल्दी होती है और दर्द भी कम होता है।

यह उन मरीजों के लिए बेहतर ऑप्शन है, जिनकी उम्र ज्यादा है या फिर जिनका वजन ज्यादा है।

लेप्रोस्कोपिक अपेंडिक्स सर्जरी, कौन से मरीजों में कर सकते?

लेकिन लेप्रोस्कोपिक सर्जरी सभी अपेंडिसाइटिस के मरीजों के लिए नहीं की जा सकती।

यदि अपेंडिक्स फट गया हो और उसका इंफेक्शन आसपास के कुछ अंगों तक फैल गया हो, या फिर पस आसपास के अंगों पर फैल गया हो, तो बड़ा चीरा लगाकर अर्थात ओपन सर्जरी के जरिए ही सर्जरी की जाती है, जिससे कि सर्जन आसपास के सभी अंगों को साफ कर सके।

अपेंडिक्स के ऑपरेशन के बाद 2 से 3 दिन तक मरीज को अस्पताल में रहना पड़ता है।

ट्यूब से पस निकालने के बाद अपेंडिक्स की सर्जरी

कभी-कभी अपेंडिसाइटिस के अटैक के बाद, अपेंडिक्स, पस भरने की वजह से फट जाता है, किंतु उसका पस पेट में नहीं फैलता है, बल्कि, अपेंडिक्स के आस-पास ही, एक ही जगह पर जमा होकर, वहां पस का पॉकेट जैसा बन जाता है।

इसके इलाज के लिए सर्जन, पेट के बाहर से उस स्थान तक, एक छोटी सी ट्यूब डालते हैं।

यह ट्यूब, उस स्थान पर लगभग 2 हफ्ते तक रखते हैं, और उसमें से धीरे-धीरे पस निकाला जाता है।

साथ ही साथ, इंफेक्शन कंट्रोल करने के लिए, एंटीबायोटिक दवाइयां भी दी जाती है।

इंफेक्शन को कंट्रोल करने के बाद, अपेंडिक्स का ऑपरेशन किया जाता है जिसमें उस संक्रमित अपेंडिक्स को निकाल दिया जाता है।


अपेंडिक्स के ऑपरेशन के बाद की देखभाल

अपेंडिक्स के ऑपरेशन के बाद, रिकवर होने में कुछ हफ्ते लगते हैं। यदि अपेंडिक्स फट गया हो, तो रिकवर होने में ज्यादा समय लगता है।

नीचे रिकवरी के समय, बरती जाने वाली कुछ सावधानियों के बारे में दिया गया है। हॉस्पिटल से डिस्चार्ज के समय, डॉक्टर से इनके बारे में सलाह लेना, बहुत जरूरी है।

शारीरिक परिश्रम ना करें

यदि अपेंडिक्स का ऑपरेशन लेप्रोस्कोपी सर्जरी से किया गया है तो 4 से 5 दिनों तक कोई भी शारीरिक परिश्रम ना करें।

और यदि ऑपरेशन, ओपन सर्जरी से किया गया है तो 14 से 15 दिनों तक शारीरिक परिश्रम ना करें।

डिस्चार्ज के समय डॉक्टर से इसके बारे में अच्छी तरह समझ लेना जरूरी है, कि आप कौन सा काम कर सकते हैं, और कितना कर सकते हैं।

खांसते समय पेट को सपोर्ट दे

खांसते समय, हंसते समय या चलते समय, पेट को हाथ से सपोर्ट दे या फिर एक तकिए का सहारा दें, जिससे कि उस स्थान में दर्द ना हो, और उस स्थान पर तान ना पड़े।

यदि दर्द निवारक दवाइयों से आराम नहीं मिल रहा हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें

यदि पेन किलर दवाइयों से दर्द कम नहीं हो रहा हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें।

क्योंकि, यदि सर्जरी के स्थान पर दर्द रहेगा, तो स्ट्रेस आता है और उसकी वजह से जख्म भरने में समय लगता है और रिकवरी भी जल्दी नहीं होती है।

आराम करें

ऑपरेशन के बाद जब तक आप रिकवर नहीं हो जाते, तब तक आराम करें, कोई तनाव ना ले।

रिकवरी के बाद

रिकवरी के बाद आप अपने काम पर जाना शुरू कर सकते, और बच्चे स्कूल जाना शुरू कर सकते हैं।

रिकवरी के बाद जब, आप अपने काम शुरू करते हैं, तो धीरे-धीरे शुरू करें।

बच्चे ऑपरेशन के 1 हफ्ते के बाद स्कूल जाना शुरु कर सकते हैं।

लेकिन अधिक शारीरिक परिश्रम के कार्य, जैसे कि जीम जाना या फिर खेल कूद जैसे काम 2 से 4 हफ़्तों तक नहीं करना चाहिए।