आर्टरीज़ (Arteries) अर्थात धमनियाँ – पहले संक्षेप में
आर्टरीज़ आपके कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम का एक अहम हिस्सा हैं।
ये ऐसी ब्लड वेसल्स हैं जो ऑक्सीजन-युक्त खून को आपके पूरे शरीर तक पहुंचाती हैं।
ये ट्यूब जैसी होती है और इनकी दीवारें लचीली मांसपेशियों से बनी रहती है, जो यह सुनिश्चित करती हैं कि आपके अंगों और टिशूज़ को सही तरीके से ऑक्सीजन और पोषण मिलता रहे।
आर्टरीज़ में एथेरोस्क्लेरोसिस नामक एक बीमारी, खून के बहाव को धीमा कर सकती है।
अब आर्टरीज़ के बारें में विस्तार से देखेंगे। आर्टरीज़ को आसानी से समझने के लिए आर्टिकल में बीच-बीच में, विभिन्न स्थानों पर मेडिकल शब्दों के हिंदी अर्थ और उनके इंग्लिश शब्द दिए गए हैं।
आर्टरीज़ के इस पोस्ट में इन बातों के बारें में विस्तार से दिया गया है:
- आर्टरीज़ क्या हैं?
- आर्टरीज़ के प्रकार
- आर्टरीज़ और वेंस (Veins) में क्या अंतर है?
- आर्टरीज़ का काम क्या है?
- आर्टरीज़ की एनाटोमी जैसे की – आर्टरीज़ कहां स्थित होती हैं? दिखती कैसी हैं? आकार कितना बड़ा होता है? किससे बनी होती हैं? आदि
- आर्टरीज़ को प्रभावित करने वाली आम समस्याएं और उनके लक्षण
- आर्टरी जांचने के आम टेस्ट कौन-से हैं?
- आर्टरी से जुड़ी बीमारियों का इलाज – दवाइयां, सर्जरी
- आर्टरीज़ को स्वस्थ रखने के लिए सरल जीवनशैली के बदलाव
आर्टरीज़ – Arteries – धमनियाँ
आर्टरीज़ क्या हैं?
आर्टरीज़ ब्लड वेसल्स का एक प्रकार है, और यह ट्यूब जैसी (पाइप जैसी खोखली नाली) होती है। आर्टरीज़ आपके सर्कुलेटरी अर्थात कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम का हिस्सा हैं।
आर्टरीज़ खून को हार्ट से आपके शरीर की सभी सेल्स तक पहुंचाती हैं।
इनका मुख्य काम है ऑक्सीजन, पोषण और हार्मोन को पूरे शरीर में वितरित करना।
आर्टरीज़ यह सुनिश्चित करती हैं कि आपका शरीर स्वस्थ और जीवित रहे।
- आर्टरीज़ – arteries – धमनियाँ
- कार्डियोवास्कुलर सिस्टम – cardiovascular system – हृदयवाहिनी तंत्र, हृदयवाहिका तंत्र, हृदय और रक्त वाहिका तंत्र
- सर्कुलेटरी सिस्टम – circulatory – परिसंचरण तंत्र, रक्त परिसंचरण तंत्र
- ब्लड वेसल्स – blood vessels – रक्त वाहिकाएँ
- मसल्स – muscles – मांसपेशियाँ
- टिशूज़ – tissues – ऊतक
- नुट्रिएंट्स – nutrients – पोषक तत्व
आर्टरीज़ के प्रकार
आर्टरीज़ दो प्रकार की होती हैं, इलास्टिक (elastic) आर्टरीज़ और मस्क्युलर (muscular) आर्टरीज़।
ये दोनों खून को हार्ट से शरीर के विभिन्न टिशूज़ तक पहुंचाने में मदद करती हैं, लेकिन दोनों का काम थोड़ा अलग है।
इलास्टिक (elastic) आर्टरीज़
इनमें मस्क्युलर आर्टरीज़ की तुलना में अधिक इलास्टिक टिश्यू होता है और ये हार्ट के करीब होती हैं। इलास्टिक आर्टरीज़ आपके दिल से खून लेकर उसे अन्य arteries तक पहुंचाती है।
उदाहरण: एओरटा (aorta) और पल्मोनरी आर्टरी (pulmonary artery)।
मस्क्युलर (muscular) आर्टरीज़
इनमें इलास्टिक आर्टरीज़ की तुलना में अधिक स्मूथ मसल्स होती है।
मस्क्युलर आर्टरीज़ खून को शरीर के विभिन्न टिशूज़ तक ले जाती हैं।
उदाहरण: फेमोरल (femoral), रेडियल (radial) और ब्रेकियल (brachial) आर्टरीज़।
- इलास्टिक टिशू – elastic tissue – लचीला ऊतक
- एओरटा – aorta – महाधमनी
- पल्मोनरी आर्टरी – pulmonary artery – फुफ्फुसीय धमनी
- स्मूथ मसल्स – smooth muscles – स्निग्ध मांसपेशियाँ, चिकनी मांसपेशियाँ
- फेमोरल – femoral – जांघ की धमनी, ऊरु धमनी
- रेडियल – radial – कलाई की धमनी, अरीय धमनी
- ब्रेकियल – brachial – भुजा या बाजू की धमनी, बाहु धमनी
आर्टरीज़ और वेंस (Veins) में क्या अंतर है?
आर्टरीज़:
ऑक्सीजन-युक्त खून (oxygen-rich blood) को हार्ट से लेकर पूरे शरीर तक पहुंचाती हैं।
इनकी दीवारें मजबूत और मांसपेशियों वाली होती हैं ताकि ये हार्ट द्वारा पंप किए गए खून के हाई प्रेशर को संभाल सकें।
इनमें वाल्व्स (valves) नहीं होते क्योंकि खून का बहाव हार्ट से आने वाले प्रेशर के कारण एक ही दिशा में रहता है।
वेंस (Veins):
खून को वापस हार्ट तक ले जाती हैं, जब टिशूज़ और सेल्स उसमें से ऑक्सीजन ले चुके होते हैं।
यह खून डीऑक्सीजनटेड (deoxygenated) यानी बिना ऑक्सिजन (oxygen-poor) के होता है।
वेंस की दीवारें पतली होती हैं क्योंकि इनमें प्रेशर ज्यादा नहीं होता।
इनमें वाल्व्स होते हैं ताकि खून गलत दिशा में न जा सके।
नोट: एथेरोस्क्लेरोसिस: यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें आर्टरीज़ की दीवारों पर फैट और कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता है, जिससे खून का बहाव धीमा हो सकता है। इलास्टिक और मस्क्युलर आर्टरीज़ को उनकी लोच (elasticity) और मांसपेशियों की मात्रा के आधार पर पहचाना जाता है।
- वेंस – veins – शिराएँ
- वाल्व्स – valves – वाल्व, कपाट
- डीऑक्सीजनटेड ब्लड – deoxygenated blood – डीऑक्सीजनयुक्त रक्त, ऑक्सीजन रहित रक्त
- फैट – fat – वसा
आर्टरीज़ का काम क्या है?
आर्टरीज़ वह ब्लड वेसल्स हैं जो खून में मौजूद ऑक्सीजन और पोषक तत्व को पूरे शरीर तक पहुंचाती हैं।
आपका हार्ट ऑक्सीजन-युक्त खून (oxygen-rich blood) को आपके शरीर की सबसे बड़ी आर्टरी एओरटा में पंप करता है।
एओरटा आगे छोटी-छोटी आर्टरीज़ में विभाजित हो जाती है, जो अंततः खून को आपके शरीर के हर हिस्से तक पहुंचाती हैं।
आर्टरीज़ शरीर के अन्य अंगों की कैसे मदद करती हैं?
आर्टरीज़ आपके हर अंग को खून पहुंचाती हैं।
यह खून ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो आपके शरीर के हर अंग को सही तरीके से काम करने में मदद करता है।
कुछ खास आर्टरीज़ आपके अंगों या शरीर के अलग-अलग हिस्सों में खून पहुंचाती हैं:
कोरोनरी आर्टरीज़: हार्ट।
केरोटिड आर्टरीज़: ब्रेन, सिर, चेहरा और गर्दन।
वर्टिब्रल आर्टरीज़: ब्रेन और स्पाइन।
इलिएक आर्टरीज़: पेल्विस।
फेमोरल आर्टरी: पैर।
सबक्लेवियन आर्टरीज़: सिर, गर्दन और बाजू।
सीलिएक और मेसेन्टेरिक आर्टरीज़: डाइजेस्टिव सिस्टम।
- कोरोनरी आर्टरीज़ – Coronary arteries – हृदय की धमनियां
- केरोटिड आर्टरीज़ – Carotid arteries – गर्दन की धमनी
- वर्टिब्रल आर्टरीज़ – Vertebral arteries – मेरुदंडीय धमनी, कशेरुका धमनियाँ, कशेरुक धमनि
- इलिएक आर्टरीज़ – Iliac arteries – श्रोणीय धमनी, श्रोणिफलक धमनियाँ, श्रोणि धमनियां
- सबक्लेवियन आर्टरीज़ – Subclavian arteries
- सीलिएक और मेसेन्टेरिक आर्टरीज़ – Celiac and mesenteric arteries – जठर धमनी और आंत्र धमनी
आर्टरीज़ के बारे में कुछ दिलचस्प बातें
आर्टरीज़ को आपके सेंट्रल नर्वस सिस्टम से सिग्नल मिलते हैं, जिससे ये या तो संकरी (tighten) होती हैं या चौड़ी (open) होती हैं।
इससे आपका ब्लड प्रेशर यानी खून का दबाव प्रभावित होता है।
आर्टरीज़ खून के बहाव (blood flow) और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करती हैं।
ये अपनी मसल वॉल्स (muscle walls) को कसकर (tighten) या ढीला करके (loosen) यह काम करती हैं।
आपके शरीर का लगभग 10% खून किसी भी समय आर्टरीज़ में होता है।
पल्मोनरी आर्टरी: यह अकेली ऐसी आर्टरी है जो डीऑक्सीजनटेड ब्लड ले जाती है। यह आर्टरी हार्ट से लंग्स (lungs) तक खून ले जाती है ताकि वहां इसे ऑक्सीजन मिले।
- डाइजेस्टिव सिस्टम – digestive system – पाचन तंत्र
- सेंट्रल नर्वस सिस्टम – central nervous system – केंद्रीय तंत्रिका तंत्र
- ब्लड प्रेशर – blood pressure – रक्तचाप
- मसल वॉल्स – muscle walls – मांसपेशी दीवारें, मांसपेशी भित्ति
- लंग्स – lungs – फेफड़े
आर्टरीज़ कहां स्थित होती हैं?
आर्टरीज़ हार्ट से खून प्राप्त करने वाली एओरटा से शुरू होती हैं।
इसके बाद ये पूरे शरीर में छोटी-छोटी शाखाओं में बंट जाती हैं और हर हिस्से तक खून पहुंचाती हैं।
आर्टरीज़ दिखती कैसी हैं?
आर्टरीज़ नलियों (tubes) जैसी होती हैं।
इनकी दीवारें वेंस (veins) की तुलना में मोटी और मांसपेशियों वाली होती हैं ताकि ये हार्ट के लेफ्ट वेंट्रिकल (left ventricle) से आने वाले खून के दबाव को संभाल सकें।
इन्हें ऐसे समझें जैसे आपके घर में फर्नेस (furnace) के डक्ट्स होते हैं, जो गर्म हवा को पूरे घर में फैलाते हैं, लेकिन ये लचीली (flexible) होती हैं।
आर्टरीज़ का आकार कितना बड़ा होता है?
आपकी एओरटा, जो सबसे बड़ी आर्टरी है, का व्यास (diameter) लगभग 10 मिमी (mm) से 25 मिमी (0.4 इंच से 0.9 इंच) तक होता है।
अन्य आर्टरीज़ का व्यास 3 मिमी से 5 मिमी (0.11 इंच से 0.19 इंच) तक हो सकता है।
सबसे छोटी आर्टरीज़ जिन्हें आर्टिरिओल्स (arterioles) कहते हैं, उनका व्यास 0.30 मिमी से 0.01 मिमी के बीच होता है।
आर्टरीज़ किससे बनी होती हैं?
आपकी आर्टरीज़ तीन लेयर्स से बनी होती हैं:
ट्यूनिका इंटिमा (Tunica intima) – यह आर्टरी की अंदरूनी परत होती है, जिसमें इलास्टिक फाइबर (elastic fiber) वाले टिशू होते हैं।
ट्यूनिका मीडिया (Tunica media) – यह बीच की परत है, जो ज्यादातर स्मूथ मसल्स से बनी होती है। यह आर्टरीज़ को जरूरत के हिसाब से संकरा (tight) या चौड़ा (open) होने में मदद करती है।
ट्यूनिका एक्सटर्ना (Tunica externa) – यह बाहरी परत है, जो आसपास के टिशूज़ के साथ इंटरैक्ट करती है। इसमें नर्व्स (nerves) भी होती हैं, जो आर्टरी को फैलने या सिकुड़ने का सिग्नल देती हैं।
- एनाटॉमी – Anatomy – शरीर रचना विज्ञान
- लेफ्ट वेंट्रिकल – left ventricle – बायां निलय
- आर्टिरिओल्स – arterioles – धमनीकाएं, धमनिकाएँ
- इलास्टिक फाइबर – elastic fiber – लचीला तंतु, लचीले तंतु
- ट्यूनिका इंटिमा – Tunica intima – अंत:स्त्वचा
- ट्यूनिका मीडिया – Tunica media – मध्य त्वचा
- ट्यूनिका एक्सटर्ना – Tunica externa – बाह्य त्वचा
- नर्व्स – nerves – तंत्रिकाएँ, तंत्रिकाएं
स्थिति और विकार (Conditions and Disorders)
आर्टरीज़ को प्रभावित करने वाली आम समस्याएं कौन-सी हैं?
आर्टरीज़ को नुकसान पहुंचाने वाली स्थितियां:
एथेरोस्क्लेरोसिस: आर्टरी की दीवारों पर फैट और कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता है, जिससे खून का बहाव धीमा हो सकता है।
एन्यूरिज्म: आर्टरी में खिंचाव या गुब्बारे जैसा उभार, जो फट सकता है।
ब्लड क्लॉट: खून का थक्का, जो आर्टरी को ब्लॉक कर सकता है।
कोरोनरी आर्टरी डिजीज: हार्ट की आर्टरीज़ में एथेरोस्क्लेरोसिस।
केरोटिड आर्टरी डिजीज: गर्दन की केरोटिड आर्टरी में एथेरोस्क्लेरोसिस।
हाई ब्लड प्रेशर: ब्लड प्रेशर का ज्यादा होना।
हाई कोलेस्ट्रॉल: खून में कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा।
पेरिफेरल आर्टरी डिजीज: शरीर के बाहरी हिस्सों, जैसे पैरों में आर्टरीज़ का संकरा होना।
वेस्कुलाइटिस: ब्लड वेसल्स की सूजन।
- एन्यूरिज्म – Aneurysm – धमनीविस्फार, धमनी विस्फार
- ब्लड क्लॉट – Blood clot – रक्त का थक्का
- केरोटिड आर्टरी डिजीज – Carotid artery disease – गर्दन धमनी रोग, कैरोटिड धमनी रोग
- हाई ब्लड प्रेशर – High blood pressure – उच्च रक्तचाप
- हाई कोलेस्ट्रॉल – High cholesterol – उच्च कोलेस्ट्रॉल
- वेस्कुलाइटिस – Vasculitis – वाहिकाशोथ
- हार्ट अटैक – Heart attack – हृदयाघात, दिल का दौरा
- स्ट्रोक – Stroke – मस्तिष्काघात, आघात
आर्टरी से जुड़ी समस्याओं के आम लक्षण क्या हैं?
कुछ स्थितियां, जैसे हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल, बिना लक्षणों के होती हैं।
आप महसूस नहीं कर सकते कि आपकी आर्टरीज़ धीरे-धीरे सख्त (stiff) हो रही हैं या उनमें फैट और कोलेस्ट्रॉल (प्लाक – plaque) जमा हो रहा है।
यह समस्याएं खून के प्रवाह को धीमा या बाधित कर सकती हैं, जिससे आर्टरीज़ संकरी या ब्लॉक हो सकती हैं।
आर्टरी से जुड़ी समस्याओं के लक्षण:
सीने में दर्द।
हार्ट अटैक।
स्ट्रोक।
हाथों और पैरों में सुन्नपन या दर्द।
सांस लेने में तकलीफ।
पेट में दर्द।
थकान।
आर्टरी की सेहत जांचने के आम टेस्ट कौन-से हैं?
हेल्थकेयर प्रोवाइडर इन इमेजिंग टेस्ट्स से आपकी आर्टरीज़ को देख सकते हैं:
एंजियोग्राफी: आर्टरीज़ को देखने के लिए डाई और एक्स-रे का उपयोग।
सीटी स्कैन: आर्टरीज़ की डिटेल्ड तस्वीरें लेने के लिए।
एमआरआई: आर्टरीज़ और टिशूज़ की गहराई से जांच के लिए।
इकोकार्डियोग्राम: हार्ट और ब्लड फ्लो की अल्ट्रासाउंड से जांच।
इलाज – ट्रीटमेंट
आर्टरी से जुड़ी बीमारियों का इलाज कैसे होता है?
आर्टरी की समस्याओं का इलाज दवाइयों से लेकर सर्जिकल प्रक्रियाओं तक किया जाता है। इनमें शामिल हैं:
लाइफस्टाइल में बदलाव: स्वस्थ खानपान, नियमित व्यायाम और धूम्रपान छोड़ना।
दवाइयां
- कोलेस्ट्रॉल या ब्लड प्रेशर को कम करने वाली दवाइयां।
- ब्लड थिनर्स यानी खून को पतला रखने वाली दवाइयां।
- सूजन कम करने वाली दवाइयां, जैसे कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स।
प्रोसीजर और सर्जरी
- एंजियोप्लास्टी: ब्लॉक हुई आर्टरी को खोलना।
- कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्टिंग: हार्ट की ब्लॉक हुई आर्टरी का बायपास करना। अन्य ब्लॉक हुई आर्टरीज़ का सर्जिकल बायपास।
- केरोटिड एंडआर्टरेक्टॉमी: केरोटिड आर्टरी से प्लाक हटाना।
- एंजियोग्राफी – Angiography – धमनी चित्रण
- इकोकार्डियोग्राम – Echocardiogram – हृदय ध्वनि चित्र
- ब्लड थिनर्स – Blood thinners – रक्त पतला करने वाली दवाइयाँ
- कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स – Corticosteroids – कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, कॉर्टिकोस्टेरॉइड
- एंजियोप्लास्टी – Angioplasty – एंजियोप्लास्टी, धमनी प्लास्टी
- कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्टिंग – Coronary artery bypass grafting – कोरोनरी धमनी बायपास ग्राफ्टिंग, हृदय धमनी बाईपास रोपण
- केरोटिड एंडआर्टरेक्टॉमी – Carotid endarterectomy – कैरोटिड धमनी शल्यक्रिया
देखभाल (Care)
आर्टरीज़ को स्वस्थ रखने के लिए सरल जीवनशैली के बदलाव / सुझाव
जिन चीज़ों से आप अपने हार्ट को स्वस्थ रखते हैं, वे आपकी आर्टरीज़ के लिए भी फायदेमंद होती हैं। आप ये कर सकते हैं:
- ऐसा हेल्दी डाइट लें जिसमें ट्रांस फैट्स या सैचुरेटेड फैट्स न हों।
- नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।
- तंबाकू उत्पादों से बचें।
- हर रात 7 से 9 घंटे की नींद लें (व्यस्कों के लिए)।
- तनाव को अच्छे से संभालें।
- हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज़ का इलाज करवाएं।
- अपने वजन को स्वस्थ सीमा में रखें।
- शराब का सेवन सीमित करें।
निष्कर्ष – Conclusion
जब लोग अपने कार्डियोवास्कुलर सिस्टम (cardiovascular system) के बारे में सोचते हैं, तो वे ज्यादातर अपने हार्ट पर ध्यान देते हैं। लेकिन आर्टरीज़ भी उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
आर्टरीज़ आपके शरीर को ऑक्सीजन, पोषक तत्व (nutrients) और अन्य जरूरी तत्व खून के माध्यम से पहुंचाती हैं।
जब आप अपनी आर्टरीज़ का ध्यान रखते हैं, तो वे आपका ध्यान रखती हैं।
नियमित व्यायाम और सैचुरेटेड फैट्स की कम मात्रा वाला आहार आपकी आर्टरीज़ को स्वस्थ रखने और खून का प्रवाह बाधित होने से बचाने में मदद कर सकता है।
चूंकि हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल के शुरुआती चरणों में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होते हैं, इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने हेल्थकेयर प्रोवाइडर से इन्हें चेक करवाएं।
अगर ये सामान्य नहीं हैं, तो समय पर इलाज करवाना जरूरी है।
- हेल्दी डाइट – healthy diet – स्वस्थ आहार
- ट्रांस फैट्स – trans fats – ट्रांस वसा
- सैचुरेटेड फैट्स – saturated fats – संतृप्त वसा
- डायबिटीज़ – diabetes – मधुमेह