क्या व्यायाम से मांसपेशियां तंदुरुस्त बनती है?


मानव शरीर के भीतर 600 से अधिक मांसपेशियां होती हैं। मांसपेशियों में बहुत बारीक तंतु होते हैं, और उनमें फैलने और सिकुड़ने की शक्ति होती है।

यदि मांसपेशीयों से काम ना लिया गया तो क्या होता है?

अच्छी तंदरुस्त और पुष्ट मांसपेशी के तंतु बड़े और लाल रंग के होते हैं। उन में लचकपन और शक्ति अधिक रहती हैं।

वह मांसपेशी जिस से काम नहीं लिया जाता, बहुत कमजोर हो जाती है। उसके तंतु बहुत पतले और ढीले पड़ जाते हैं और उन में पीलापन आने लगता है। उनकी फैलने और सिकुड़ने की शक्ति नष्ट हो जाती है।

जब मांसपेशीयों का उपयोग करने लगते है, तो क्या होता है?

जिस समय पतली कमजोर मांसपेशी से फैलने और सिकुड़ने का काम लिया जाता है, उस समय उसका ढीलापन दूर हो जाता है। उसमें गहरा लाल रंग आ जाता है।

रंग के इस परिवर्तन का कारण अधिक और शुद्ध रक्त का प्रवाहित होना है। शुद्ध रक्त दौड़ने से मांसपेशियों को नवीन पौष्टिक पदार्थ मिलता है और उससे उसके तंतु पुष्ट होते हैं।

व्यायाम निरंतर करने से मांसपेशियों को पौष्टिक पदार्थ प्राप्त होते हैं, इससे वे क्रम क्रम से बढ़ते हैं और उनकी असाधारण वृद्धि हो जाती हैं।

नियमित व्यायाम के कारण मांसपेशियां ऐसी दृढ़ और सबल हो जाती है कि कोई भी काम, बिना किसी कष्ट या कठिनताके, कर सकते हैं।

स्वस्थ मांसपेशियाँ और जीवन

शरीर में पुष्ट मांसपेशियों का होना एक विशिष्ट गुण है। स्वस्थ मांसपेशियां मनुष्य को जीवन की सभी अवस्थाओं के लिए योग्य बना देती है, जिससे कि मनुष्य सभी कार्यों में उत्तमता के साथ भाग ले सकता है।

मनुष्य की जीवन गति में ऐसे हजारों कार्य आते हैं, जिनमें सबल, पुष्ट और परिश्रमी मांसपेशियां काम देती है और उनमें उनका प्रयोग अमूल्य होता हैं।

जीवन की ऐसी कोई अवस्था नहीं जिसमें वे उनको योग्य न बना सकती हो और अधिक उत्तमता के साथ कार्य में भाग ना ले सकती हो।

शरीर में हल्कापन और लचीलापन

उचित और नियमित शारीरिक व्यायाम से केवल शरीर की वृद्धि ही नहीं होती, बल्कि शरीर लचीला और स्वस्थ बन जाता है।

चलते समय मनुष्य की चाल या गति अच्छी और शोभनीय होती है। कमर की ढिलाई, पाँव जल्दी-जल्दी न उठना, ढीली चाल आदि निर्बल मांसपेशियों का परिणाम है, जिनसे उचित रीति से घूमने फिरने का काम नहीं लिया गया है।

व्यायाम करने से हल्कापन और लचीलापन चाल में दिखाई देता है, जो व्यायाम न करने वाले मनुष्यों में नहीं दिखाई देता हैं।

व्यायाम शरीर की कुरुपता दूर करता है

मांसपेशियों को उचित रीति से काम में लगाने से कंधों की गोलाई, छाती का चपटा पन, कमर का टेढ़ापन आदि शारीरिक कुरूपता दूर हो जाती है। शरीर सुंदर और सुडौल बन जाता है। मुख पर तेज़ आ जाता है और मनुष्य दीर्घायु होता है।

मांसपेशियों को परिश्रम देने से केवल स्वास्थ्य या शारीरिक शक्ति का विकास ही नहीं होता, बल्कि शरीर की प्रत्येक इंद्रियों पर इसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।

मजबूत हड्डियां और जोड

अस्थि पंजर की हड्डियों को भी मांसपेशियों से मदद मिलती हैं। उनका संगठन दृढ़ रहता है, मजबूत बनता है।

मांसपेशियों की कमजोरी से जोड़ ढीले पड़ जाते हैं, जिससे शरीर के भिन्न-भिन्न भागों की दशा बिगड़ जाती है। मांसपेशियों की निर्बलता के कारण ही कंधे गोल बन जाते हैं, छाती चपटी हो जाती है।

उपयुक्त और नियमित व्यायाम से सिर्फ मांसपेशियां बढ़ती और मजबूत ही नहीं होती, शरीर की यह कुरूपता भी दूर हो जाती है।

व्यायाम और शरीर के दोनों तरफ की मांसपेशियां

उचित रीति से व्यायाम करने से शरीर के दोनों ओर की मांसपेशियां समान रूप से पुष्ट होती है। किंतु शरीर के एक ही और अधिक जोर लगाने से एक ही और की मांसपेशियां पुष्ट होती है।

साधारणत: जिस काम में कुशलता, फुर्ती और ताकत की जरूरत होती है, उसमें दाहिना हाथ ही बढ़ता है। इसलिए मनुष्य जितना जोर दाहिने हाथ पर देता है, उतना बाएं हाथ पर नहीं। इससे बाएं हाथ की मांसपेशियों की अपेक्षा दाहिने हाथ की मांसपेशियों अधिक पुष्ट हो जाती है।

इसी प्रकार शरीर के दाहिने हिस्से पर अधिक जोर देने से, उस हिस्से की मांसपेशियां बाएं हिस्से की मांसपेशियों की अपेक्षा अधिक बढ़ जाती है। किंतु इससे रीढ़में, जो कि बाई ओर झुक जाती है, कुरूपता आ जाती है और कंधा नीचे हो जाता है।

इसलिए, व्यायाम उस रीतिसे करना चाहिए जिससे शरीर के दोनों ओर की मांसपेशियां समान रूप से पुष्ट हो।