आंखें: कैसे काम करती है, संरचना, आम स्थितियां और उपचार

Eyes: How it Works, Parts, Common Diseases and Treatment



आपकी आंखें एक महत्वपूर्ण सेंसरी ऑर्गन इंद्रिय अंग (sensory organ) हैं, जो बाहरी दुनिया के बारे में आपके मस्तिष्क को जानकारी भेजती हैं।

आपकी आंखें “देखने” का कार्य करती हैं, और जो सिग्नल्स वे भेजती हैं, उनसे आपका ब्रेन वह तस्वीर बनाता है जो आप देखते हैं।

आंखों से जुड़ी समस्याएं पूरे शरीर से संबंधित समस्याओं के संकेत भी हो सकती हैं, इसलिए विशेषज्ञ आंखों की देखभाल को प्राथमिकता देने की सलाह देते हैं।

  • सेंसरी ओर्गन्स – sensory organs – संवेदी अंग, इंद्रिय अंग
  • ब्रेन – brain – मस्तिष्क

आंखें क्या हैं?

आपकी आंखें वह इंद्रिय अंग (sensory organ) हैं जो आपको देखने में मदद करती हैं।

ये आसपास की दुनिया से दिखाई देने वाली रोशनी को पकड़ती हैं और इस प्रकार सिग्नल्स में बदलती है, जिससे आपका मस्तिष्क उसे समझ सके।

आपके मस्तिष्क के पास खुद देखने की क्षमता नहीं होती। इसे जानकारी प्राप्त करने के लिए आपकी आंखों (और अन्य इंद्रियों, जैसे सुनना और स्पर्श) की आवश्यकता होती है।

जब दोनों आँखें एक साथ काम करती हैं, तो आपको 200 डिग्री चौड़ा और 135 डिग्री लंबा दृश्य क्षेत्र (field of view) मिलता है।

जब आपकी आंखें ठीक से काम करती हैं, तो वे गहराई का अनुभव (depth perception) और 3D दृष्टि (3D vison) प्रदान करती हैं। साथ ही, ये रंगीन दृश्य भी देती हैं।

याद रखें कि दृष्टि (sight) और देखने की प्रक्रिया (vision) जरूरी नहीं कि एक ही चीज हो। भले ही बहुत से लोग इन शब्दों का इस्तेमाल एक-दूसरे की जगह करते हैं।

दृष्टि यानी की साइट वह है जो आपकी आंखें देखती हैं,
जबकि देखने की प्रक्रिया यानी की विज़न वह पूरी प्रक्रिया है, जो दृष्टि से शुरू होकर मस्तिष्क में समाप्त होती है, जब मस्तिष्क आँखों से भेजे गए सिग्नल्स को एक समझने योग्य रूप में बदलता है।

कार्य

आपकी आंखें कैसे काम करती हैं?

आपकी आंखें जो कुछ भी करती हैं, वह बाहरी दुनिया की रोशनी से शुरू होता है।

आपकी आंख की संरचना रोशनी को अंदर आने देती है और उसे कई साफ हिस्सों से होकर गुजरने देती है, जिनमें कॉर्निया, एक्वस ह्यूमर, लेंस और विट्रियस ह्यूमर जैसे विभिन्न साफ और पारदर्शी हिस्से शामिल हैं।

  • कॉर्निया – cornea
  • एक्वस ह्यूमर – aqueous humor
  • लेंस – lens
  • विट्रियस ह्यूमर – vitreous humor

ये संरचनाएं रोशनी को मोड़ती और फोकस करती हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि रोशनी सही जगह पर पहुंचे।

फोकस का सही होना जरूरी है। अगर यह सही नहीं होगा, तो आपको दिखाई देने वाली चीजें धुंधली दिखाई देगी।

आपकी आंख में मांसपेशियां होती हैं जो आपकी आंख के आकार में हल्का बदलाव करके फोकस को सही स्थान पर लाने में मदद करती हैं यानी की फोकस बिंदु को इस तरह से एडजस्ट करती है की लाइट की किरणे सही तरीके से retina पर पड़े।

जब रोशनी आपकी रेटिना की कोशिकाओं पर पड़ती है, तो ये कोशिकाएं आपके मस्तिष्क को संकेत भेजती हैं।

ये संकेत रोशनी के बारे में जितना संभव हो सके विवरण प्रदान करते हैं, जैसे रंग, तीव्रता आदि।

आपका मस्तिष्क इन संकेतों को समझता और प्रोसेस करता है और फिर वह छवि बनाता है जो आप देखते हैं। मस्तिष्क के इस प्रोसेस के बाद ही आप को पता चलता है की आप क्या देख रहे है।

आंखों की संरचना

आँख के पार्ट्स के बारे में जानना क्यों जरूरी हैं?

मानव आंखें जटिल होती हैं, और देखने और चीजों को समझने के लिए इसके कई भागों को सही तरीके से काम करना पड़ता है।

अगर आप आँख के हिस्सों के बारे में जानेंगे, तो आपको समझने में आसानी होगी कि आँख कैसे काम करती है और बीमारियाँ आपकी दृष्टि को कैसे प्रभावित कर सकती हैं।

आपकी आंख के विभिन्न भाग हैं:

  • कॉर्निया (cornea): Cornea आंख का सबसे बाहरी साफ़ पारदर्शी हिस्सा है जो आंख के सामने की तरफ स्थित रहता है।

    यह विंडशील्ड की तरह आपकी आंख के अंदरूनी हिस्से को सुरक्षित रखने का काम करता है।

    आपकी आंसू तरल इसे चिकना बनाए रखती है।

    कॉर्निया आंखों में प्रवेश करने वाली रोशनी को मोड़ने का भी काम करती है।
  • स्क्लेरा (Sclera): यह आपकी आंख का सफेद भाग है, जो आपकी आंख की सामान्य आकार और संरचना बनाता है।
  • कंजंक्टाइवा (Conjunctiva): यह एक पतली, पारदर्शी परत है जो स्क्लेरा को ढकती है और पलकों के अंदर की सतह पर भी होती है।
  • एक्वस ह्यूमर (Aqueous humor): यह एक तरल है जो आंख के अंदर के “एंटीरियर चेंबर” नामक स्थान को भरता है। यह तरल आपकी आंख के आकार को बनाए रखने में मदद करता है।
  • आईरिस (Iris): आंख का रंगीन भाग है जो pupil को घेरे रहता है।

    इसमें वे मांसपेशियां होती हैं जो आपकी पुतली (pupil) के आकार को नियंत्रित करती हैं, जिससे यह आंख में आने वाली रोशनी की मात्रा को नियंत्रित करता है।

    यह आपकी आंखों के रंग के लिए भी जिम्मेदार है, जो भूरे, नीले, हरे या हेजल (भूरा, पीला और हरा मिश्रण) हो सकते हैं।
  • पुतली (Pupil): यह आईरिस के अंदर का काला गोल भाग है। यह आपकी आंख में प्रकाश के प्रवेश को नियंत्रित करने के लिए चौड़ा और संकरा हो सकता है।

आंखें कैसे काम करती हैं?

  • लेंस (Lens): Lens आँख का वह पारदर्शी हिस्सा है जो iris के पीछे होता है और प्रकाश और छवियों को retina पर फोकस करने में मदद करता है।

    दूसरे शब्दों में, यह आंख में प्रवेश करने वाली रोशनी को केंद्रित करता है और उसे आंख के पिछले हिस्से तक निर्देशित करता है।
  • विट्रियस ह्यूमर (Vitreous humor): यह साफ, जैली जैसा, पारदर्शी, रंगहीन तरल पदार्थ है, जो लेंस और रेटिना के बीच आंख के पिछले दो-तिहाई हिस्से को भरता है।

    यह आंख के आकार को बनाए रखने में मदद करता है और इसे “विट्रियस जेल” या केवल “विट्रियस” भी कहा जाता है।
  • रेटिना (Retina): यह आपकी आंखों के पीछे की ओर एक पतली परत होती है, जिसमें प्रकाश-संवेदनशील सेल्स रहते हैं।

    यह प्रकाश को विद्युत संकेतों में बदलती है, जो optic nerve के जरिए दिमाग तक पहुंचते हैं।

    इसमें रॉड्स (कम रोशनी में देखने में मदद करते हैं) और कॉन्स (रंग देखने में मदद करते हैं) होते हैं।
  • मेक्युला (Macula): यह रेटिना का एक छोटा क्षेत्र है जो retina के बीच में स्थित है और यह आपकी दृष्टि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

    यह दृश्य क्षेत्र के केंद्र को नियंत्रित करता है और रंग व बारीक विवरण देखने में मदद करता है।
  • ऑप्टिक नर्व (Optic nerve): यह आपकी रेटिना को मस्तिष्क से जोड़ती है।

    यह एक डेटा केबल की तरह है, जो आपकी आंखों से संकेतों को मस्तिष्क के कई क्षेत्रों तक पहुंचाती है, यानी की इस डाटा केबल के कनेक्शन पॉइंट दिमाग के कई क्षेत्रों से जुड़े होते हैं।

Optic nerve (ऑप्टिक नर्व) आपकी आंखों और मस्तिष्क के बीच सीधा संबंध बनाती है।
आंखों का विकास भी आपकी retinas (रेटिनास) को आपके central nervous system (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र) यानी मस्तिष्क का हिस्सा बनाता है।

  • बाहरी मांसपेशियां (External muscles): ये आपकी आंख की स्थिति, संतुलन और गति को नियंत्रित करती हैं। ये आपकी आंख की संरचना में भी योगदान देती हैं, जो पास और दूर की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करती हैं।

स्थितियां और विकार

आंखों को प्रभावित करने वाली स्थितियां क्या हैं?

आंखों को प्रभावित करने वाली स्थितियां उस भाग पर निर्भर करती हैं, जो प्रभावित होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपकी आंखें विभिन्न प्रकार के ऊतकों से बनी होती हैं, जैसे मांसपेशियां, संयोजी ऊतक, नसें, रक्त वाहिकाएं आदि।

कुछ अलग-अलग प्रकार की आंख की बीमारियों में शामिल हैं – लेकिन यह सूची इन्हीं तक सीमित नहीं है:

  • Refractive errors (रेफ्रेक्टिव एरर्स): ये दृष्टि से जुड़ी समस्याएं होती हैं, जो तब होती हैं जब प्रकाश आपकी रेटिना पर सही से फोकस नहीं होता। रेफ्रेक्टिव एरर्स कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे बहुत जल्दी फोकस करना यानी रेटिना से पहले ही लाइट फोकस करना (nearsightedness) या बहुत देर से यानी लाइट रेज़ का रेटिना पर भी फोकस ना हो पाना (farsightedness)। इनमें दृष्टि में विकृति भी हो सकती है, जैसे astigmatism।
  • Corneal disorders (कॉर्नियल विकार): ये स्थितियां कॉर्निया को प्रभावित करती हैं। ये कई कारणों से हो सकती हैं, जन्मजात स्थितियों (जो जन्म के समय होती हैं) से लेकर ऐसी स्थितियां जो जीवन में बाद में विकसित होती हैं।
  • Retinal disorders (रेटिनल विकार): ये स्थितियां रेटिना को सीधे प्रभावित करने वाली समस्याओं के कारण हो सकती हैं। ये किसी दूसरी बीमारी का परिणाम भी हो सकती हैं, जैसे लैटिस डिजनरेशन, जो रेटिना के डिटैचमेंट का कारण बन सकती है।
  • Optic nerve-related conditions (ऑप्टिक नर्व से जुड़ी स्थितियां): ये आंखों और मस्तिष्क को जोड़ने वाली नर्व को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए ऑप्टिक न्यूराइटिस और ऑप्टिक एट्रोफी।
  • Age-related eye disorders (उम्र से जुड़ी आंखों की समस्याएं): ये समस्याएं उम्र बढ़ने के साथ अधिक आम हो जाती हैं, विशेष रूप से 65 वर्ष के बाद। इनमें छोटी समस्याएं जैसे नजदीक की दृष्टि में कमी (presbyopia) से लेकर गंभीर समस्याएं जैसे मोतियाबिंद शामिल हैं। कुछ उम्र से जुड़ी आंखों की बीमारियां, जैसे मैक्युलर डिजनरेशन या ग्लूकोमा, इतनी गंभीर हो सकती हैं कि स्थायी दृष्टिहीनता का कारण बन सकती हैं।

आपकी आंखें भी अन्य सामान्य स्थितियों और समस्याओं के प्रति संवेदनशील हो सकती हैं। इनमें शामिल हैं:

  • संक्रमण (Infections)।
  • चोट और आघात (Injuries and trauma)।
  • कैंसर (Cancer)।
  • जन्मजात विकृतियां (Congenital malformations)।

आंखों से जुड़ी स्थितियों के कुछ सामान्य लक्षण या संकेत क्या हैं?

आंखों की समस्याओं के लक्षण बहुत भिन्न हो सकते हैं।

इसका एक कारण वे कई अलग-अलग भाग हैं जो आपकी दृष्टि को प्रभावित करते हैं या इसमें योगदान करते हैं।

उदाहरण के लिए, एक मेटाबोलिक और सर्कुलेटरी स्थिति जैसे टाइप 2 डायबिटीज समय के साथ दृष्टिहीनता का कारण बन सकती है।

कुछ लक्षण केवल आपकी आंखों की सतह को प्रभावित करते हैं। अन्य आपकी आंखों के अंदर प्रभाव डाल सकते हैं।

कुछ प्रमुख प्रकार के लक्षणों में शामिल हैं:

  • आंख की सतह से जुड़ी समस्याएं।
  • आंख की उपस्थिति/संतुलन।
  • आंख का कार्य और दृष्टि।

आंख की सतह से जुड़ी समस्याएं

ये लक्षण आपकी आंखों की सतह या उसके आसपास के क्षेत्र को प्रभावित करते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • जलन (Irritation)।
  • लाल आंख (Red eye)।
  • पानी आना (Watery eyes)।
  • आंखों से निकलने वाला स्राव (Discharge), गंदगी या मवाद।

आंख की उपस्थिति/संतुलन

  • स्क्लेरा का रंग बदलना (जैसे नीला या पीला स्क्लेरा) या कंजंक्टिवा में खून आना।
  • आईरिस या पुतली में होने वाले रिफ्लेक्स या उपस्थिति में बदलाव (जैसे ल्यूकोकोरिया, कोलोबोमा आदि)।
  • आंखों का गलत संरेखण (strabismus), जिसमें आंखें अंदर की ओर (esotropia), बाहर की ओर (exotropia), ऊपर की ओर (hypertropia) या नीचे की ओर (hypotropia) हो सकती हैं।

आंख का कार्य और दृष्टि

आंखों से जुड़ी समस्याओं के लक्षण आपके देखने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकते हैं। चूंकि दृष्टि एक महत्वपूर्ण इंद्रिय है, इसलिए इससे संबंधित लक्षण जल्दी ध्यान में आ सकते हैं।

इनमें देखने में बदलाव या समस्या आ सकती है। उदाहरण के लिए:

  • साफ या सही ढंग से देखने में समस्या: धुंधली दृष्टि (blurred vision) रेफ्रेक्टिव एरर्स के कारण हो सकती है या विशिष्ट दृष्टि की समस्याएं जैसे रात में दिखाई न देना (night blindness) या रंग अंधता (color blindness)।
  • दृष्टि में कमी या खोना: अचानक दृष्टिहीनता, कम दृष्टि या पूरी तरह दृष्टिहीनता (blindness)।
  • विकृत दृष्टि: दोहरी दृष्टि (double vision) या ऑक्यूलर माइग्रेन की वजह से दिखाई देने वाली चमकीली रोशनी या धब्बे (auras)।
  • प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता (photosensitivity या photophobia): यह तब होता है जब तेज रोशनी आपको इतना दर्द या असुविधा पैदा करती है कि आप अधिक उजली जगहों से बचने की कोशिश करते हैं और धीमी या कम रोशनी वाली जगहों को पसंद करते हैं

आपकी आंखों और मस्तिष्क के बीच का संबंध कैसे लक्षणों को प्रभावित करता है

यह याद रखना भी जरूरी है कि कई बार आंखों से जुड़ी समस्याओं — विशेष रूप से दृष्टि/देखने में बदलाव या आंखों की गति नियंत्रण से जुड़े लक्षण — का कारण केवल आंखों की स्थिति ही नहीं होती।

कई बार यह आपके शरीर के अन्य हिस्सों में किसी समस्या के कारण भी हो सकता है।

उदाहरण के लिए, पीलिया (jaundice) के समय स्क्लेरा का पीला हो जाना।

यह कहा जाता है कि “आंखें आत्मा की खिड़की होती हैं,” लेकिन चिकित्सा की दृष्टि से, ये मस्तिष्क की स्थिति को भी प्रकट करती हैं।

आंखों से जुड़े लक्षण हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स को मस्तिष्क से संबंधित समस्याओं और स्थितियों की पहचान करने में मदद करते हैं।

यही कारण है कि दृष्टि में बदलाव जैसे लक्षण मस्तिष्क संबंधी समस्याओं जैसे concussion या stroke के संकेत हो सकते हैं।

आंखों की सेहत की जांच के लिए कुछ सामान्य परीक्षण क्या हैं?

कई परीक्षण ऐसे हैं जो आंखों को सीधे प्रभावित करने वाली स्थितियों का पता लगा सकते हैं या आंखों से संबंधित लक्षणों का कारण बन सकते हैं।

इनमें सबसे महत्वपूर्ण एक नियमित आंखों की जांच (eye exam) है।

नियमित आंखों की जांच से आप लक्षण दिखने से पहले ही कई आंखों की स्थितियों का पता लगा सकते हैं और अन्य स्थितियों जैसे टाइप 2 डायबिटीज में लंबे समय तक दृष्टि को नुकसान से बचा सकते हैं।

अन्य सामान्य परीक्षणों में शामिल हैं:

  • कलर ब्लाइंडनेस टेस्ट।
  • सामान्य इमेजिंग टेस्ट, जैसे अल्ट्रासाउंड या एमआरआई (MRI)।
  • ग्लौकोमा टेस्ट।
  • इंट्राऑक्यूलर प्रेशर टेस्ट।
  • रेटिनल इमेजिंग टेस्ट।
  • स्लिट लैम्प एग्जाम।
  • विज़ुअल एक्युटी टेस्ट।
  • विज़ुअल फील्ड टेस्ट।

आपके लक्षणों और संभावित कारणों के आधार पर, आपका आंखों के विशेषज्ञ या अन्य हेल्थकेयर प्रोवाइडर विशेष परीक्षणों की सिफारिश कर सकते हैं। वे आपके लक्षणों को प्रभावित करने वाले अन्य शारीरिक तंत्रों के लिए भी परीक्षण का सुझाव दे सकते हैं। आपकी आंखों की देखभाल करने वाला विशेषज्ञ आपकी परीक्षण के विकल्पों के बारे में सबसे अच्छी जानकारी दे सकता है।

आंखों की स्थितियों के कुछ सामान्य उपचार क्या हैं?

आंखों की स्थितियों के लिए कई संभावित उपचार हो सकते हैं, और ये उपचार काफी भिन्न हो सकते हैं।
कुछ सामान्य या हल्की समस्याओं का सरल उपचार हो सकता है, जबकि अन्य समस्याओं के लिए उन्नत देखभाल की आवश्यकता हो सकती है।

आंखों की देखभाल के कुछ प्रकार के उदाहरण:

  • दृष्टि सुधार (Vision correction):
    यह निकट दृष्टि दोष (nearsightedness), दूर दृष्टि दोष (farsightedness) या उम्र के साथ होने वाली नजदीक की दृष्टि की कमी जैसे दृष्टि की समस्याओं का मुख्य उपचार है।
    आंखों के चश्मे (eyeglasses) और कॉन्टेक्ट लेंस सबसे सामान्य विकल्प हैं।
    कुछ लोगों को विशेष चश्मे या लेंस की आवश्यकता होती है, जबकि अन्य को केवल पढ़ने के चश्मे (reading glasses) की जरूरत हो सकती है।
    कुछ लोग दृष्टि सुधार सर्जरी (vision correction surgery) का भी चयन कर सकते हैं।
  • दवाएं (Medications)
    दवाएं कई स्थितियों का इलाज कर सकती हैं जो सीधे या परोक्ष रूप से आपकी आंखों को प्रभावित करती हैं।
    किस प्रकार की दवा दी जाएगी, यह स्थिति पर निर्भर करता है। इनमें आंखों में लगाने वाली दवाइयां जैसे ड्रॉप्स या मरहम शामिल हो सकते हैं या फिर खाने की दवाइयां, इंजेक्शन या इन्फ्यूजन द्वारा दी जाने वाली दवाएं भी हो सकती हैं।
  • सर्जरी
    कई आंखों की स्थितियों का इलाज सर्जरी से किया जा सकता है। इनमें विभिन्न तरीके होते हैं, जैसे फेकोइमल्सिफिकेशन (ultrasound का उपयोग कर मोतियाबिंद तोड़ने की प्रक्रिया), क्रायोथेरेपी (ज्यादा ठंड का उपयोग), रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन (गर्मी का उपयोग) और लेज़र सर्जरी।

आंखों की समस्याओं के उपचार में और भी कई तरीके शामिल हो सकते हैं। क्योंकि प्रभावित करने वाले कारक कई होते हैं, आपके आंखों के विशेषज्ञ या हेल्थकेयर प्रोवाइडर से सबसे अच्छा मार्गदर्शन मिलेगा। वे आपके लिए सही विकल्प बता सकते हैं और आपको उस उपचार का चयन करने में मदद करेंगे जो सबसे प्रभावी हो सकता है।

Care (देखभाल)

अपनी आंखों की देखभाल और उन्हें स्वस्थ कैसे रखें?

आप अपनी आंखों को स्वस्थ रखने के लिए कई चीजें कर सकते हैं:

  • नियमित रूप से आंखों की जांच करवाएं
    हर किसी को एक से दो साल में एक बार आंखों की जांच करानी चाहिए, चाहे उन्हें चश्मे की जरूरत हो या न हो।
    अगर आपकी आंखों की बीमारी का जोखिम अधिक है, तो आपको अधिक बार जांच की आवश्यकता हो सकती है। आपके आंखों के विशेषज्ञ आपको बता सकते हैं कि आपको कितनी बार जांच करानी चाहिए।
  • आंखों की सुरक्षा पहनें
    सुरक्षा चश्मे या गॉगल्स पहनने से आंखों में चोट या नुकसान से बचा जा सकता है।
    हालांकि यह एक अतिरिक्त कदम लग सकता है, लेकिन यह आपको दर्द और स्थायी नुकसान से बचा सकता है।
  • तंबाकू का सेवन बंद करें या कभी शुरू न करें
    निकोटीन वाले उत्पाद, जिनमें ई-सिगरेट और चबाने वाला तंबाकू शामिल हैं, समय के साथ रक्त वाहिकाओं की समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
    यह आंखों की छोटी और नाजुक रक्त वाहिकाओं के लिए विशेष रूप से हानिकारक हो सकता है।
  • पोषण का ध्यान रखें
    आवश्यक विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में प्राप्त करना आंखों की सेहत के लिए मददगार होता है।
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें
    आपका वजन और समग्र स्वास्थ्य आपकी आंखों की सेहत को प्रभावित कर सकता है।
  • आंखों से संबंधित लक्षणों की अनदेखी न करें
    दृष्टि में बदलाव या आंखों से संबंधित लक्षण अक्सर किसी बड़ी समस्या के शुरुआती संकेत हो सकते हैं।
    अगर आपको कोई परेशानी है तो आंखों के विशेषज्ञ से बात करें। पूछने से बेहतर है कि समस्या न हो और अगर है तो उसे जल्दी ठीक किया जा सके।

आंखों से संबंधित समस्याओं के लिए कब चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए?

कुछ आंखों में बदलाव या लक्षणों का मतलब होता है कि आपको (या जिसे आप देखभाल कर रहे हैं) चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।

कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  • अचानक दृष्टि खो जाना (आंशिक या पूरी तरह से) जो एक या दोनों आंखों को प्रभावित करता है।
  • यदि आपको आंख में चोट लगती है या आपकी आंख की सतह पर कुछ अटका हुआ महसूस होता है, भले ही वहां कुछ नजर न आए।
  • आंखों के आसपास या उस पर जलने की स्थिति (यहां तक कि छोटे जलन)।
  • कोई भी चोट जो आपकी आंख को लाल, सूजी हुई, चोटिल या खून बहने वाली बना देती है।
  • ऐसी चोट या स्थिति जिसमें आपकी आंख की कक्षा (eye socket) के आसपास सूजन आ जाती है।
  • अगर आपकी आंखें सामान्य से ज्यादा बाहर की ओर उभरी हुई लगती हैं।
  • अगर आपकी दृष्टि अचानक से धुंधली, कोहरे जैसी या अस्पष्ट हो जाती है।
  • आंखों के लक्षण के साथ उल्टी, ठंड, बुखार या संक्रमण के अन्य लक्षण।
  • अचानक रोशनी की चमक, फ्लोटर्स की संख्या में तेजी से वृद्धि, या ऐसा दिखना जैसे आपकी दृष्टि का कुछ हिस्सा एक अंधेरे पर्दे से ढका हुआ है।
  • अगर आपको “कैलिडोस्कोप” दृष्टि का अनुभव होता है।
  • अगर आपकी आंखें एक दिशा में आसानी से नहीं घूमतीं जहां वे सामान्य रूप से घूम सकती हैं।
  • अचानक “टनेल विज़न” (केवल सामने की चीजें देखने में सक्षम होना) आ जाना।
  • केंद्रित दृष्टि में विकृति या कमी (बिना किनारे की दृष्टि में बदलाव के साथ या बिना)।

इसके अलावा भी कई अन्य कारण हो सकते हैं। जब भी संदेह हो, तुरंत चिकित्सा सहायता लेना सबसे सुरक्षित विकल्प होता है। यह आपकी दृष्टि और आंखों की सुरक्षा करने में मदद कर सकता है या कभी-कभी आपके जीवन को भी बचा सकता है।

सबसे सामान्य आंखों की समस्याएं क्या हैं?

सबसे आम आंखों की समस्याएं (अस्थायी स्थितियों जैसे आंखों में संक्रमण या जलन के अलावा) में शामिल हैं:

  • रेफ्रेक्टिव एरर्स – दृष्टि की त्रुटियां (Refractive errors)
  • उम्र संबंधी मोतियाबिंद (Age-related cataracts)
  • उम्र संबंधी मैक्युलर डिजनरेशन (Age-related macular degeneration)
  • रेटिनोपैथी, विशेष रूप से डायबिटीज से संबंधित रेटिनोपैथी
  • ग्लौकोमा या ग्लूकोमा (Glaucoma)
  • ड्राई आई डिजीज, सूखी आंखों की बीमारी (Dry eye disease )

Conclusion – निष्कर्ष

आपकी आंखें आपके मस्तिष्क की “खिड़की” हैं जो दुनिया की रोशनी को इकट्ठा करती हैं और आपके मस्तिष्क को वह तस्वीर बनाने में मदद करती हैं जो आप देखते हैं।

जब आपकी आंखें ठीक से काम करती हैं तो इसे नजरअंदाज करना आसान है, लेकिन जब यह सही से काम नहीं करती, तो इसे बहुत याद किया जाता है।

आप अपनी आंखों की सुरक्षा और देखभाल के लिए कई सरल चीजें कर सकते हैं।

यदि आपको अपनी दृष्टि और उससे संबंधित किसी स्वास्थ्य समस्या को लेकर कोई चिंता है, तो किसी आंखों के विशेषज्ञ या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से बात करें। वे आपको अधिक जानकारी दे सकते हैं और आपकी दृष्टि को सुरक्षित रखने के लिए कदम उठाने में मदद कर सकते हैं।

यदि कभी कोई संदेह हो, तो चिकित्सा पेशेवर से बात करें या चिकित्सा सहायता लें।

देरी न करना आपकी लंबी अवधि की दृष्टि समस्याओं से बचाव कर सकता है।