हाइपोथायरायडिज्म के इस लेख में उपयोग किए गए कुछ महत्वपूर्ण मेडिकल शब्द और उनके हिंदी अर्थ –
- Thyroid gland – थायराइड ग्रंथि
- Hypothyroidism – हाइपोथायरायडिज्म
- Endocrine gland – एंडोक्राइन ग्रंथि
- Hormone – हॉर्मोन
- Calories – कैलोरीज, कैलोरी, शरीर में ऊर्जा की एक इकाई या माप
थायराइड क्या है?
थायराइड रोग नहीं बल्कि हमारे शरीर की एक महत्वपूर्ण ग्रंथि का नाम है।
थायराइड ग्रंथि के रोग को आम भाषा में लोग कहते है, थायराइड हो गया है। किंतु थायराइड रोग नहीं है, बल्कि ग्रंथि का नाम है।
यह थायरॉइड ग्रंथि अर्थात थायरॉइड ग्लैंड, तितली के आकार की एक छोटी सी ग्रंथि है, जो हमारे गर्दन के निचले हिस्से में सामने की ओर स्थित रहती है।
तो फिर हाइपोथायरायडिज्म क्या है?
हाइपोथायरायडिज्म इसी थायराइड ग्रंथि का एक रोग है।
थायराइड ग्रंथि के कई प्रकार के रोग होते है, लेकिन हाइपोथायरायडिज्म, थायराइड ग्रंथि का सबसे आम प्रकार का रोग है। (Hypothyroidism is the most common thyroid problem)
क्या हाइपोथायरायडिज्म किसी भी आयु के व्यक्ति में हो सकता है?
हां, हाइपोथायरायडिज्म किसी भी आयु के व्यक्ति में हो सकता है।
किन्तु, महिलाओं में, खास तौर पर 60 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में, इसके होने की संभावना अधिक रहती है।
हाइपोथायरायडिज्म में क्या होता है?
हाइपोथायरायडिज्म (hypothyroidism), एक ऐसी स्थिति है, जिसमें थायरॉयड ग्रंथि से थायराइड हार्मोन का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं हो पाता है, जिससे शरीर में थाइरोइड हॉर्मोन की कमी हो जाती है।
- इसलिए, इसे अंडरएक्टिव थायरॉयड भी कहते है।
थायरॉयड ग्रंथि से निकलने वाला थाइरोइड हॉर्मोन शरीर के लिए बहुत आवश्यक हार्मोन हैं।
- क्योंकि, यदि शरीर में थायराइड हार्मोन की कमी हो जाए, तो कई प्रकार के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
- और बाद में यह कई गंभीर बीमारियों का, जैसे कि मोटापा, जोड़ों की तकलीफ, ह्रदय की बीमारियां और बांझपन का कारण भी बन सकता है।
हाइपोथाइरॉएडिज्म में क्या होता है, यह समझने के लिए यह यह जानना जरूरी है की,
- थायराइड ग्रंथि का शरीर में क्या महत्व है, और
- उसके द्वारा निर्मित थायराइड हार्मोन शरीर के लिए क्यों जरूरी है?
इसलिए पहले संक्षिप्त में यह देखते है की, थाइरोइड ग्रंथि और थाइरोइड हॉर्मोन क्या है?
थायराइड ग्रंथि क्या है?
थायराइड ग्रंथि तितली के आकार की छोटी सी ग्रंथि है, जो गर्दन के निचले हिस्से में सामने की ओर स्थित रहती है।
थायराइड ग्रंथि दो प्रकार के थायराइड हार्मोन बनाती है – T4 और T3
T4 अर्थात थायरोक्सिन (thyroxine) और
T3 अर्थात ट्राईआयोडोथायरोनिन (triiodothyronine)
थायराइड ग्रंथि को थायराइड हार्मोन का निर्माण करने के लिए आयोडीन की जरूरत होती है। हम जो भोजन करते हैं और पानी पीते हैं, उसमें हमें आयोडीन मिलता है। थायराइड ग्रंथि इसी आयोडीन की मदद से थायराइड हार्मोन बनाती है।
थायराइड हार्मोन शरीर के लिए क्यों जरूरी है?
थायराइड हार्मोन शरीर की कई क्रियाओं को नियंत्रित करता है, जैसे कि चयापचय (metabolism) की क्रिया।
चयापचय (चय-अपचय – metabolism) वह क्रिया है जिससे हमारा शरीर भोजन से ऊर्जा उत्पन्न करता है। शरीर के अंगों को कार्य के लिए उर्जा की जरूरत पड़ती है, चाहे वह हाथ पैरों की मांसपेशियां हो, ह्रदय, दिमाग या पेट की आंत हो।
इसलिए यदि शरीर में थायराइड हार्मोन की कमी हो जाए तो चयापचय की गति धीमी हो जाती है और शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है।
जैसा की हमने देखा शरीर के प्रत्येक अंग को कार्य के लिए ऊर्जा की आवश्यकता रहती है, इसलिए हाइपोथायराइडिज्म में ऊर्जा की कमी के कारण थकान और शरीर के विभिन्न अंगों से संबंधित लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
थायराइड हार्मोन शरीर के तापमान को भी सामान्य बनाए रखने में मदद करता है, ह्रदय गति को प्रभावित करता है और प्रोटीन के निर्माण में भी सहायता करता है।
हाइपोथायरायडिज्म धीरे-धीरे विकसित होता है और प्रारंभिक अवस्था में इसके लक्षण अस्पष्ट रहते हैं।
किंतु यदि उपचार नहीं किया गया तो कुछ वर्षो के बाद हाइपोथायरायडिज्म कई गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे कि मोटापा, ह्रदय रोग, जोड़ों में दर्द या बांझपन।
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण क्या है?
(Hypothyroidism symptoms in Hindi)
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण धीरे-धीरे (कई महीनों से वर्षों तक धीरे-धीरे) विकसित होते हैं और हार्मोन की कमी के गंभीरता के अनुसार यह लक्षण मरीजों में अलग अलग हो सकते हैं।
प्रारंभिक अवस्था में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण अस्पष्ट या मामूली होते है, जैसे की थकान या वजन बढ़ना, लेकिन मरीज उन्हें यह कह कर अनदेखा कर देता है कि शायद यह उम्र बढ़ने के कारण हो रहे हैं।
किंतु हार्मोन की कमी जैसे-जैसे बढ़ती जाती है, चय-अपचय की प्रक्रिया धीमी होने लगती है और अन्य लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण इस प्रकार है –
थकान
थकान हाइपोथायराइडिज्म का सबसे आम या प्रमुख लक्षण है।
थायराइड हार्मोन हमारे भोजन से (भोजन में स्थित कार्बोहाइड्रेट और फैट से) ऊर्जा बनाने में शरीर की मदद करता है और शरीर में ऊर्जा का संतुलन बनाए रखता है।
कैलोरी ऊर्जा की एक इकाई या माप है।
शरीर में –
1 ग्राम फैट से 9 कैलोरी और
1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट से 4 कैलोरी उत्पन्न होती है ।
थायराइड हार्मोन यही कार्य करता है – कार्बोहाइड्रेट और फैट से कैलोरी अर्थात इंधन उत्पन्न करने में शरीर की मदद करना।
कैलोरी की आवश्यकता मनुष्य के शरीर और कार्य पर निर्भर करती है, किंतु एक पुरुष के लिए दिन भर में 2000 से 3000 कैलोरी की आवश्यकता होती है और एक महिला के लिए 1600 से 2400 कैलोरी की आवश्यकता होती है।
क्योंकि हमें प्रत्येक कार्य के लिए कैलोरी रूपी इंधन की जरूरत रहती है, इसलिए यदि शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाए तो हमें थकान महसूस होती है।
हाइपोथायरायडिज्म में थायराइड हार्मोन की कमी के कारण भोजन से ऊर्जा का सही ढंग से उत्पादन नहीं हो पाता है। इसलिए थकान इस रोग का प्रमुख लक्षण है।
अनपेक्षित वजन बढ़ना, मोटापा
वजन बढ़ना यह हाइपोथायराइडिज्म का दूसरा आम लक्षण है।
हाइपरथायराइडिज्म में थकान के कारण मरीज की कार्य क्षमता में कमी आती है। इसलिए उसका वजन धीरे धीरे बढ़ने लगता है।
थायराइड हार्मोन की कमी के कारण कार्बोहाइड्रेट और फैट का सही तरीके से ऊर्जा में परिवर्तन नहीं हो पाता है, इसलिए बचा हुआ फैट शरीर में जमा होने लगता है।
अनापेक्षित इसलिए क्योंकि मरीज यह महसूस करता है कि उसकी भोजन की मात्रा पहले जैसी ही है किंतु फिर भी उसका वजन बढ़ रहा है। क्योंकि फैट का पूरी तरह से ऊर्जा में परिवर्तन नहीं होने के कारण वह शरीर में जमा होने लगता है और वजन बढ़ने लगता है।
ज्यादा ठंड लगना या ठंड के प्रति अधिक संवेदनशीलता
भोजन से उत्पन्न ऊर्जा के कारण हमारे शरीर में गर्मी रहती है। इसलिए थायराइड हार्मोन हमारे शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है।
जब हम व्यायाम करते हैं तब शरीर को अधिक ऊर्जा की जरूरत रहती है, इसलिए शरीर अधिक ऊर्जा का उत्पादन करता है। अधिक ऊर्जा के कारण हमें गर्मी महसूस होती है और पसीना आने लगता है।
लेकिन हाइपोथायराइडिज्म में ऊर्जा की कमी के कारण मरीज ठंड के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है और उसे ज्यादा ठंड लगने लगती है।
- कब्ज
- शुष्क या रूखी त्वचा
- चेहरे पर सूजन
- आवाज में भारीपन
- मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होना
- मांसपेशियों में दर्द या अकड़न
- जोड़ों में सूजन दर्द या अकड़न
- रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ना
- ह्रदय गति कम होना
- सामान्य से अधिक मासिक धर्म
- बालों का झड़ना
- डिप्रेशन
- याददाश्त में कमी
हाइपरथायरायडिज्म का यदि उपचार नहीं किया गया तो इसके लक्षण धीरे-धीरे गंभीर होते जाते हैं।
डॉक्टर से कब संपर्क करें?
यदि आपको ऊपर दिए गए हाइपोथायरायडिज्म के लक्षणों में से कुछ लक्षण नजर आते हैं या फिर आपको बिना किसी कारण थकावट महसूस होती हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।
निम्नलिखित बातों के लिए भी समय-समय पर थायराइड फंक्शन टेस्ट के लिए आपको डॉक्टर से संपर्क करना पड़ेगा –
- यदि आपकी थायराइड सर्जरी की गई है,
- आपका रेडियोएक्टिव आयोडीन से उपचार किया गया है,
- आप एंटी थायराइड दवाएं ले रहे हैं,
- आपके सिर, गर्दन या छाती के ऊपरी हिस्से में रेडियोथैरेपी दी गई है।
हाइपोथायराइडिज्म क्यों होता है?
Causes of Hypothyroidism
हाइपोथायराइडिज्म के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि ऑटोइम्यून रोग, भोजन में आयोडीन की कमी, हाइपरथायराइडिज्म का उपचार, थायराइड की सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी आदि।
आयोडीन की कमी और ऑटोइम्यून रोग यह हाइपोथायराइडिज्म के सबसे प्रमुख कारण है।
हाइपोथायराइडिज्म निम्नलिखित कारणों से हो सकता है –
हाशीमोटो थायरायडाइटिस – ऑटोइम्यून रोग
(Autoimmune Disease – Hashimoto’s Thyroiditis)
हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम (अर्थात प्रतिरक्षा प्रणाली) हमें इंफेक्शन से बचाने का कार्य करता है।
इम्यून सिस्टम एंटीबॉडीज तैयार करता है। एंटीबॉडीज की सहायता से इम्यून सिस्टम बैक्टीरिया और वायरस को खत्म करता है और हमें इंफेक्शन से बचाता है।
परंतु हमारा इम्यून सिस्टम कभी-कभी ऐसी एंटीबॉडीज तैयार करता है, जो हमारे किसी एक अंग को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देते हैं।
हाशीमोटो थायरायडाइटिस (हाशीमोटो रोग) ऐसा ही एक रोग है जिसमें एंटीबॉडीज थायराइड ग्रंथि को नुकसान पहुंचाते हैं और नष्ट करने लगते है। इसलिए थायराइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन का निर्माण नहीं कर पाती है और हाइपोथायरायडिज्म रोग की शुरुआत हो जाती है।
आयोडीन की कमी
(Iodine Deficiency)
थायराइड हार्मोन में आयोडीन (iodine) एक प्रमुख तत्व है। यदि भोजन में आयोडीन की कमी हो जाए तो थायराइड ग्रंथि सही मात्रा में थायराइड हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाती है।
आयोडीन हमें आयोडीन युक्त नमक से और सी फ़ूड से (समुद्री खाद्य पदार्थों से) मिलता है।
“आयोडीन की कमी” यह कई देशों में हाइपोथायराइडिज्म का प्रमुख कारण है। किंतु विकसित देशों में आयोडीन युक्त भोजन के कारण यह हाइपोथायरायडिज्म का प्रमुख कारण नहीं है
हाइपरथायराइडिज्म का उपचार
(Hyperthyroidism Treatment)
हाइपरथायराइडिज्म एक ऐसी अवस्था है जिसमें थायराइड ग्रंथि थायराइड हार्मोन का सामान्य से अधिक मात्रा में उत्पादन करती है।
हाइपरथाइरॉयडिज़्म के उपचार के लिए रोगी को रेडियोएक्टिव आयोडीन या एंटी थायराइड दवाइयां दी जाती है। लेकिन कभी-कभी यह उपचार हाइपोथायरायडिज्म का कारण बन जाता है।
थायराइड सर्जरी (Thyroid Surgery)
थायराइड रोग जैसे कि थायराइड की गांठ या कैंसर में सर्जरी द्वारा थायराइड का कुछ हिस्सा निकाल दिया जाता है। ऐसी स्थिति में थायराइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में थायरॉइड हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाती है और रोगी को हाइपोथायराइडिज्म रोग विकसित हो जाता है।
रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा)
(Radiation Therapy)
सिर, गर्दन या छाती के ऊपरी हिस्से में यदि रेडिएशन थेरेपी दी गई है तो हाइपोथायराइडिज्म होने की संभावना बढ़ जाती है।
दवाइयां
(Medications)
कुछ दवाइयां जैसे कि लिथियम, जिसे मानसिक रोग के लिए इस्तेमाल किया जाता है, हाइपोथायराइडिज्म होने की आशंका बढ़ा देती है।
जन्मजात थायराइड का रोग
(Congenital Disease)
कुछ बच्चों में जन्म से ही थायराइड का विकास नहीं हो पाता है या कभी-कभी कुछ बच्चों में अनुवांशिक कारणों के कारण थायराइड ग्रंथि में विकार रहता है।
जन्म के समय हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं किन्तु इसके लक्षण बाद में धीरे-धीरे नजर आने लगते है।
पिट्यूटरी ग्रंथि का रोग
(Pituitary Disorder)
पिट्यूटरी ग्रंथि टी एस एच हार्मोन के द्वारा थायराइड ग्रंथि को नियंत्रित करती है। इसलिए पिट्यूटरी ग्रंथि के रोग जैसे कि पिट्यूटरी ग्रंथि की गाँठ में भी थायराइड ग्रंथि से थायराइड हार्मोन का पर्याप्त उत्पादन नहीं हो पाता है।
गर्भावस्था में हाइपोथायरायडिज्म
(Pregnancy)
कभी-कभी कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के समय थायराइड के विरुद्ध एंटीबॉडीज तैयार हो जाते हैं। यह एंटीबॉडीज (जैसा की हमने हाशीमोटो थायरायडाइटिस – हाशीमोटो रोग में देखा) थायराइड को नुकसान पहुंचाते हैं और हाइपोथायरायडिज्म का कारण बनते हैं।
यदि गर्भावस्था में हाइपोथायराइडिज्म का उपचार नहीं किया गया तो यह कई प्रकार की गर्भावस्था से संबंधित समस्याओं का कारण बन सकता है।
हाइपोथायरायडिज्म के लिए जोखिम कारक
Risk Factors for Hypothyroidism
हाइपोथायरायडिज्म किसी भी व्यक्ति को हो सकता है किन्तु निम्नलिखित बातों में इसके होने की संभावना बढ़ जाती है –
- 60 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में
- यदि आपको किसी प्रकार का ऑटोइम्यून रोग है
- आपके परिवार में किसी भी सदस्य को थायराइड का रोग है
- आपको रेडियोएक्टिव आयोडीन या एंटी थाइरोइड दवाइयां दी गई है
- आपके सिर, गर्दन, या छाती के ऊपरी हिस्से में रेडियो थैरेपी से उपचार किया गया है
- आपकी थायराइड सर्जरी की गई है
- और गर्भावस्था में
हाइपोथायरायडिज्म के दुष्परिणाम
Complications of Hypothyroidism
यदि हाइपोथायराइडिज्म का उपचार नहीं किया गया तो यह कई गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे की गण्डमाला (goitre), ह्रदय रोग, मानसिक रोग, नसों से सम्बंधित समस्याएं, बांझपन आदि।
इसलिए जांच के द्वारा इसकी पहचान कर, चिकित्सक की सलाह के अनुसार योग्य उपचार करना बेहद जरूरी है।
हाइपोथायरायडिज्म के दुष्परिणाम इस प्रकार है –
गण्डमाला, घेंघा, गलगंड, गोइटर
(Goiter, Goitre)
पिट्यूटरी ग्रंथि टी एस एच (TSH) हार्मोन बनाती है।
टी एस एच हार्मोन थायराइड ग्रंथि को थायराइड हार्मोन बनाने के लिए निर्देश देता है।
इस प्रकार पिट्यूटरी ग्रंथि टी एस एच (TSH) हार्मोन के जरिये थायराइड ग्रंथि को नियंत्रित करती है।
यदि थायराइड ग्रंथि में किसी रोग के कारण थायराइड हार्मोन का पर्याप्त उत्पादन नहीं हो पाता है, तो पिट्यूटरी ग्रंथि ज्यादा मात्रा में टीएसएच का उत्पादन करती है।
अधिक टीएसएच थायराइड ग्रंथि को थायराइड हार्मोन बनाने के लिए निरंतर उत्तेजित (स्टिमुलेट – stimulate) करता है जिसके फलस्वरुप थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ता जाता है। बढ़े हुए इस थायराइड ग्रंथि को गलगंड या गायटर कहते हैं।
सामान्य थाइरोइड ग्रंथि
बढ़ी हुई थाइरोइड ग्रंथि – गण्डमाला, घेंघा, गलगंड, गोइटर (Goiter, Goitre)
हृदय रोग
(Heart Problems)
हाइपोथायरायडिज्म के कारण रक्त में खराब कोलेस्ट्रॉल – एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (LDL choleterol) की मात्रा बढ़ जाती है, जिसके कारण ह्रदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
यह खराब कोलेस्ट्रोल हाइपोथायराइडिज्म के शुरुआती दौर से ही बढ़ने लगता है।
यहां तक कि प्रारंभिक अवस्था में जब इस रोग के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, तब भी कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है।
यह एलडीएल कोलेस्ट्रॉल हृदय में रक्त संचार करने वाली धमनियों में जमा होने लगता है, जिसके कारण ह्रदय की कार्य करने की क्षमता कम होती जाती है, और ह्रदय रोग की संभावना बढ़ जाती है।
मानसिक रोग
(Mental Health Problems)
डिप्रेशन या अवसाद हाइपोथायरायडिज्म में प्रारंभिक अवस्था से ही शुरू हो जाता है और रोग बढ़ने के साथ-साथ डिप्रेशन की समस्या भी गंभीर होती जाती है।
हाइपोथायरायडिज्म के कारण मनुष्य की याददाश्त भी कमजोर होने लगती है और उसकी सोचने की क्षमता में भी कमी आने लगती है।
नस (तंत्रिका) संबंधित समस्याएं
(Peripheral Neuropathy)
यदि हाइपोथायराइडिज्म का लंबे समय तक उपचार नहीं किया गया तो शरीर की नसों पर विपरीत असर होना शुरू हो जाता है। इस स्थिति को न्यूरोपैथी (peripheral neuropathy) कहते हैं।
हमारे शरीर की नसें दिमाग (brain) और मेरुदण्ड (spinal cord) से निकलकर शरीर के सभी हिस्सों तक पहुंचती है।
हाइपोथायराइडिज्म में जिस हिस्से की नसें क्षतिग्रस्त होती है, उस हिस्से में न्यूरोपैथी के लक्षण नजर आने लगते हैं जैसे की दर्द, हाथ या पैर सुन्न होना, झुनझुनी आदि। मांसपेशियों में कमजोरी और उनपर नियंत्रण में कमी जैसे लक्षण भी दिखाई देते है।
बांझपन
(Infertility)
हाइपरथायराइडिज्म बांझपन का भी कारण बन सकता है क्योंकि थायराइड हार्मोन की कमी महिलाओं में ओव्युलेशन (ovulation) की प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है। हाइपरथायराइडिज्म यदि ऑटोइम्यून रोग के कारण हैं तो वह भी बांझपन का खतरा बढ़ा देता है।