ध्यान और मन


ध्यान न सिर्फ आपके मन को शांत रखता है, बल्कि आपकी मानसिक शक्ति बढाता है और दिमाग को ताजगी भी देता है।

Meditation

चंचलता मन का सहज स्वभाव है। इधर उधर भागने में उसे आनन्द आता है। मन जब तक विषय वासनाओं में लिप्त रहता है, तब तक उसकी चंचलता में गति रहती है। किन्तु ध्यान के लिए मन की एकाग्रता आवश्यक है।

किसी के स्वभाव को बदलना बहुत कठिन कार्य है। परन्तु उनमें संयम का अभ्यास करने पर वह धीरे-धीरे स्थिर होने लगता है।

संत कबीरदास ने माला द्वारा जप साधन का विरोध इस आशय से किया था, कि, यदि करका मनका, अर्थात हाथ में माला का मनका, फेरने के साथ-साथ मन निर्विषय होकर स्थिर नहीं होता है, तो उस साधना का क्या लाभ हैं?

लाभ तो मन का मनका फेरने में अर्थात मन को स्थिर करने में ही है, जिससे स्थिरता और सिद्धि हो।

कबीरदासजी की चेतावनी को लोग माला का विरोध मात्र मान लेते हैं। वास्तव में उन्होंने मन की एकाग्रता की और विशेष ध्यान देने की ओर प्रेरित किया है।

तनाव के कारण लोगो की सहनशक्ति दिन ब दिन घटती जा रही है। सही ध्यान आपके मन को शांत रखता और आपकी सहनशक्ति को भी बढाता है।

योग और ध्यान से मनुष्य का अज्ञान मिट जाता है. अंधकार दूर हो जाता है। मनुष्य स्वयं के स्वरुप में जीने लगता है, जो की ज्योतिर्मय है, तेजोमय है, शांतिमय और आनंदमय है। क्योकि सब प्रकार की पूर्णता मनुष्य के भीतर ही है।