सूर्य का प्रकाश और स्वस्थ शरीर



सूर्य का प्रकाश – प्रकृति का वरदान

धूप और प्रकाश प्रदान करने वाला सूर्य प्रकृति के उपहारों में से एक बहुमूल्य पदार्थ है।

धूप शरीर को बढ़ाती है, भीतरी गर्मी को स्थिर रखती है और रक्त का संचालन करती है। प्रकाश से आँखों की ज्योति बढ़ती है, और जीवन में रोचकता आती है।

यदि सूर्य प्रकाश ना मिले तो?

परीक्षा के लिए जब कुछ पौधे प्रकाश और धूप से हटाकर गड्ढे या कोठरी में बन्द करके या टोकरे आदि के नीचे रक्खे गये, तो वे मुरझा गये, पीले पड़ गये और अन्त में समय से पहले ही मर गये। मनुष्यों को यदि प्रकृति के उपहारों से वंचित कर दिया जाय, तो उसकी भी यही दशा होगी।

धूप और प्रकाश से वंचित रहने के कारण ही कई लोग की निर्बल और रोगी हो जाते है। इसलिए आवश्यक है कि प्रतिदिन सूर्य की खुली धूप और प्रकाश से तरावट, ताकत और सेहत हासिल करे।

सूर्य प्रकाश से आरोग्य प्राप्ति

सूर्य के उदय होने के समय छत पर चले जाए या मैदान में निकल जाए।

सर्दी हो या गर्मी, 30 से 45 मिनट सूर्य की किरणे शरीर पर पड़ने दें। कभी मुंह सामने हो, कभी पीठ, कभी करवट।

सूर्य निकलते ही प्राणायाम करना अनेक प्रकार से हितकारी है। संयमी लोग यही सब कुछ समुद्र, नदी अथवा नहर के किनारे करें तो कोई भी रोग न सता सकेगा।

दस गुण – अच्छे स्वास्थ्य के लिए

कहते हैं “सूर्य नमस्कार (निकलते सूर्य के सामने व्यायाम करना), हल्का और भूख लगने पर किया हुआ भोजन, महीने में दो बार उपवास, दिन में दो बार दूध या छाछका सेवन, भोग-विलास में संयम, चिन्ता और क्रोध्र का अभाव, मस्तिष्क की अपने कार्य-व्यापार में प्रवृत्ति, वाणी में मधुरता, गहरी श्वास और ह्रदय में भगवान का भय” ये दस गुण जिसमें आ जाएं, मनुष्य तो यथार्थ में वही है और वही जीवन भर स्वस्थ रहता है।