व्हेन्स – नसें क्या है? समस्याएँ, उपचार और केयर

Veins



व्हेन्स – नसें – पहले संक्षेप में

व्हेन्स वे ब्लड वेसल्स हैं जो ऑक्सीजन-रहित और अशुद्ध रक्त को आपके हार्ट तक ले जाती हैं।

हालांकि, पल्मोनरी वेन्स अपवाद हैं, क्योंकि ये आपके लंग्स से ऑक्सीजन-युक्त रक्त को हार्ट तक ले जाती हैं।

आपके पैरों की नसें ग्रैविटी के खिलाफ काम करती हैं ताकि रक्त को हार्ट की ओर ऊपर की तरफ धकेल सकें।

नसों से संबंधित कुछ सामान्य समस्याओं में क्रॉनिक वेनस इंसफिशिएंसी , डीप वेन थ्रॉम्बोसिस , और वेरीकोज वेन्स शामिल हैं।

निचे की इमेज में राइट साइड में वेन्स दिखाई गयी है, जो रक्त को शरीर के टिश्यूज से हार्ट तक ले जाती है।

इस आर्टिकल में, वेन्स से सम्बंधित मेडिकल शब्दों को बेहतर तरीके से समझाने के लिए उनके हिंदी अर्थ और अंग्रेजी शब्द विभिन्न स्थान पर अलग ब्लॉक्स के रूप में शामिल किए गए हैं।

व्हेन्स – नसें

वेन्स के इस पोस्ट में क्या हैं? – Index

वेन्स से सम्बंधित जिन बातों को हम विस्तार से देखेंगे वो है:

वेन्स की महत्वपूर्ण जानकारी:
व्हेन्स यानी की नसें क्या हैं?
नसों में कौन सा रक्त होता है?
वेन्यूल्स (Venules) क्या हैं?
व्हेन्स का क्या काम है?
वेनस सिस्टम और सर्कुलेटरी सिस्टम के सर्किट में रक्त का प्रवाह कैसे होता है?
पल्मोनरी सर्किट क्यों अलग है?

वेन्स की एनाटॉमी:
नसें कैसी दिखती हैं? शरीर के ऊपरी हिस्से में और शरीर के निचले हिस्से में
नसों का रंग क्या होता है?
नसें किससे बनी होती हैं?
नसों और आर्टरीज में अंतर
नसों के अलग-अलग प्रकार कौन-कौन से हैं?

वेन्स में ब्लड फ्लो:
नसों में रक्त का प्रवाह कैसे होता है?
सेकंड हार्ट (Second Heart) और मूवमेंट का कनेक्शन और स्वस्थ रहने की टीप

बीमारियां, कंडीशन्स और डिसऑर्डर्स:
नसों से जुड़ी आम समस्याएं कौन-कौन सी होती हैं?
नसों की समस्याओं के सामान्य लक्षण क्या हैं?

निदान और उपचार:
नसों की जांच के लिए कौन-कौन से टेस्ट किए जाते हैं?
नसों की समस्याओं के लिए क्या उपचार उपलब्ध हैं?

नसों की केयर – देखभाल और हेल्थ टिप्स:
घर पर नसों की समस्याओं को रोकने और ठीक करने के उपाय
नसों की देखभाल कैसे करें?
स्वस्थ नसों के लिए रोजमर्रा की आदतें
समस्याओं को जल्दी पहचानना क्यों जरूरी है?

नीली वेन्स:
और आर्टिकल के अंत में वेन्स नीली क्यों दिखती है और उससे जुडी ख़ास जानकारी जैसे की:
नसें नीली क्यों दिखाई देती हैं?
नीली नसें ज्यादा दिखने के कारण क्या हैं?
कब नीली नसें समस्या का संकेत देती हैं?


व्हेन्स अर्थात नसें क्या हैं?

व्हेन्स आपके पूरे शरीर में पाई जाने वाली ब्लड वेसल्स हैं, जो ऑक्सीजन-रहित (oxygen-poor blood) और अशुद्ध रक्त को शरीर के विभिन्न हिस्सों से एकत्रित करती हैं और इसे आपके हार्ट तक वापस पहुंचाती हैं।

इन्हें आप शहर की उन पाइप लाइन की तरह समझ सकते हैं जो अशुद्ध पानी को साफ करने के लिए शहर के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक ले जाती हैं, जहां पानी शुद्ध किया जाता है।

ये आपके सर्क्युलेटरी सिस्टम का हिस्सा हैं और अन्य ब्लड वेसल्स तथा हार्ट के साथ मिलकर ये रक्त को गतिशील बनाए रखती हैं।

निचे दी गयी इमेज में दायीं ओर वेनस सिस्टम दिखाई गयी है और बाईं ओर आर्टेरिअल सिस्टम है। हार्ट, आर्टेरिअल सिस्टम और वेनस सिस्टम मिलकर सर्कुलेटरी सिस्टम बनती है जो निचे की इमेज में सेंटर में बताई गई है।

आपके शरीर में लगभग 75% रक्त नसों में मौजूद होता है।

  • वेन – vein – नस, शिरा
  • व्हेन्स – veins – नसें, शिराएँ
  • ब्लड वेसल्स – blood vessels – रक्त वाहिकाएँ
  • ऑक्सीजन-पुअर ब्लड – oxygen-poor blood – ऑक्सीजन-रहित रक्त, ऑक्सीजन-विहीन रक्त
  • ऑक्सीजन-रीच ब्लड – oxygen-rich blood – ऑक्सीजन-युक्त रक्त
  • हार्ट – heart – हृदय, दिल
  • पल्मोनरी व्हेन्स – pulmonary veins – फुफ्फुसीय शिराएँ
  • लंग्स – lungs – फेफड़े
  • ग्रैविटी – gravity – गुरुत्वाकर्षण

व्हेन्स में कौन सा रक्त होता है?

आर्टरीज और व्हेन्स के बीच मुख्य अंतर यह है कि वे किस प्रकार का रक्त ले जाती हैं।

जहां आर्टरीज ऑक्सीजन-युक्त रक्त ले जाती हैं, वहीं नसें ऑक्सीजन-रहित रक्त ले जाती हैं।

इसलिए नसों में आमतौर पर ऑक्सीजन की कमी वाला, कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रक्त होता है जिसे अशुद्ध रक्त कहते हैं।

हालांकि, पल्मोनरी व्हेन्स इस नियम का अपवाद हैं।

ये पल्मोनरी व्हेन्स, जो आपके दिल और फेफड़ों के बीच स्थित हैं, ऑक्सीजन-युक्त रक्त को फेफड़ों से आपके दिल तक वापस ले जाती हैं।

इसके बाद, आपका दिल इस ऑक्सीजन-युक्त रक्त को आपके पूरे शरीर में पंप करता है।


वेन्यूल्स क्या हैं?

वेन्यूल्स बहुत छोटी रक्त नलिकाएं हैं, जो आपकी कैपिलरीज़ और व्हेन्स को जोड़ती हैं।

वेन्यूल्स का मुख्य काम ऐसा रक्त ले जाना है जिसमें ऑक्सीजन की कमी हो और जो वेस्ट प्रोडक्ट्स से भरा हो।

यह रक्त वेन्यूल्स से नसों में पहुंचता है, ताकि यह आपके दिल तक वापस जा सके।

इन्हें आप गली की छोटी पाइप लाइन की तरह समझ सकते हैं, जो घरो से अशुद्ध पानी को लेकर बड़ी पाइप लाइन (यानी की वेन्स) तक ले जाती हैं और फिर वो बड़ी पाइप लाइन उस पानी को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक ले जाती है।

वेन्यूल्स, कैपिलरीज़ से चौड़े लेकिन नसों से पतले होते हैं।

इनकी चौड़ाई अलग-अलग हो सकती है, लेकिन सबसे चौड़ा वेन्यूल भी सामान्य नस से लगभग 16 गुना छोटा होता है।

  • सर्क्युलेटरी सिस्टम – circulatory system – परिसंचरण तंत्र
  • आर्टरीज – arteries – धमनियाँ
  • वेन्यूल्स – venules – शिरिकाएँ, शिरिकाएं
  • कैपिलरीज़ – capillaries – केशिकाएँ, केशिकाएं

वेन्स का कार्य

नसों का काम क्या है?

नसों के दो मुख्य कार्य हैं:

  1. पूरे शरीर से ऑक्सीजन-रहित रक्त को एकत्रित करना और इसे आपके दिल तक पहुंचाना।
  2. आपके फेफड़ों से ऑक्सीजन-युक्त रक्त को आपके दिल तक ले जाना। यह केवल वही समय है जब नसें ऑक्सीजन-समृद्ध रक्त ले जाती हैं।

हर नस का काम इस बात पर निर्भर करता है कि वह आपके शरीर के किस हिस्से में स्थित है।

नसें एक जटिल नेटवर्क, जिसे वेनस सिस्टम कहते हैं, में व्यवस्थित होती हैं।


वेनस सिस्टम

वेनस सिस्टम, सर्कुलेटरी सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

सर्कुलेटरी सिस्टम पूरे शरीर में रक्त के सर्कुलेशन के लिए जिम्मेदार होता है, जबकि वेनस सिस्टम (जो सर्कुलेटरी सिस्टम का ही एक पार्ट है) विशेष रूप से अशुद्ध रक्त को हृदय तक वापस लाने का काम करता है।

वेनस सिस्टम आपके नसों के नेटवर्क और उन रक्त नलिकाओं व अंगों से जुड़े तरीके को दर्शाता है, जो आपके पूरे शरीर में रक्त प्रवाह को बनाए रखते हैं।

यह प्रणाली दो मुख्य हिस्सों या सर्किट्स में बंटी होती है:

  1. सिस्टेमिक सर्किट
  2. पल्मोनरी सर्किट

प्रत्येक सर्किट रक्त को गतिशील रखने के लिए वेन्स, आर्टरीज और कैपिलरीज़ पर निर्भर करता है।

यह सर्किट आपके पूरे शरीर, जिसमें हाथ और पैर भी शामिल हैं, से होकर गुजरता है।

सर्कुलेटरी सिस्टम

एक सर्किट में रक्त का प्रवाह कैसे होता है?

  1. सबसे पहले, ऑक्सीजन-युक्त रक्त आपके दिल से निकलता है और आर्टरीज में प्रवेश करता है। आर्टरीज के बारें में डिटेल में पढ़ने के लिए क्लिक करें:

    आर्टरीज़ क्या है? समस्याएँ, उपचार और केयर
  2. आर्टरीज छोटी रक्त नलिकाओं में बंट जाती हैं, जिन्हें आर्टरियोल्स कहते हैं। इसके बाद रक्त कैपिलरीज़ तक पहुंचता है।
  3. कैपिलरीज़ में, रक्त आपके शरीर के टिशूज़ को ऑक्सीजन देता है और अपशिष्ट पदार्थ जैसे कार्बन डाइऑक्साइड को एकत्रित करता है।
  4. इस प्रक्रिया के बाद, रक्त में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और यह अपशिष्ट पदार्थों से भर जाता है। अब इसे फिर से ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है।
  5. रक्त पहले वेन्यूल्स में प्रवेश करता है और फिर नसों में मिल जाता है।
  6. नसें इस ऑक्सीजन-रहित रक्त को दिल तक वापस ले जाती हैं, जहां यह फिर से ऑक्सीजन ले सकता है।

यह ऑक्सीजन-कम रक्त दिल में दो बड़ी नसों के माध्यम से प्रवेश करता है:

  • सुपीरियर वेना कावा : यह शरीर के ऊपरी हिस्से से रक्त लाती है।
  • इनफीरियर वेना कावा : यह शरीर के निचले हिस्से से रक्त लाती है।

पल्मोनरी सर्किट

जब रक्त वापस दिल में आता है, तो यह सिस्टेमिक सर्किट पूरा कर लेता है।

अब यह पल्मोनरी सर्किट में प्रवेश करता है।

इस सर्किट में, रक्त फेफड़ों की ओर बढ़ता है।

फेफड़ों में: रक्त फिर से ऑक्सीजन प्राप्त करता है और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालता है।

ऑक्सीजन-युक्त रक्त अब पल्मोनरी नसों के माध्यम से दिल में लौटता है।

यह वह इकलौता समय है जब नसें ऑक्सीजन-युक्त रक्त ले जाती हैं!

इसके बाद, दिल इस ऑक्सीजन-युक्त रक्त को पूरे शरीर में पंप करता है, और यह प्रक्रिया फिर से शुरू होती है।

  • फंक्शन – function – कार्य
  • वेनस सिस्टम – venous system – शिरा तंत्र, शिरापरक तंत्र
  • सिस्टेमिक सर्किट – systemic circuit – प्रणालीगत परिसंचरण, दैहिक परिपथ, दैहिक परिसंचरण
  • पल्मोनरी सर्किट – pulmonary circuit – फुफ्फुसीय परिसंचरण, फुफ्फुसीय परिपथ
  • सर्कुलेटरी सिस्टम – circulatory system – परिसंचरण तंत्र
  • आर्टरियोल्स – arterioles – धमनिकाएँ
  • टिशूज़ – tissues – ऊतक
  • वेस्ट प्रोडक्ट्स – waste products – अपशिष्ट उत्पाद, अपशिष्ट पदार्थ
  • सुपीरियर वेना कावा – superior vena cava – ऊर्ध्व वेना कावा, ऊर्ध्व महाशिरा, उच्च महाशिरा
  • इनफीरियर वेना कावा – inferior vena cava – अधो वेना कावा, अधर महाशिरा, निम्न महाशिरा
  • पल्मोनरी वेन्स – pulmonary veins – फुफ्फुसीय शिराएँ

वेन्स एनाटॉमी

नसें कैसी दिखती हैं?

आपकी नसें एक विस्तृत नेटवर्क बनाती हैं, जो पूरे शरीर में फैला हुआ है।

ये पतली, लचीली नलियों जैसी होती हैं और इनकी दीवारें धमनियों की तुलना में पतली होती हैं।

यह नेटवर्क अन्य रक्त नलिकाओं के साथ मिलकर आपके सर्क्युलेटरी सिस्टम का बड़ा हिस्सा बनाता है।

नसें कई जगहों पर वेन्यूल्स और कैपिलरीज़ से जुड़ती हैं।

शरीर के ऊपरी और निचले हिस्से में नसों का नेटवर्क फैला होता है।

शरीर के ऊपरी हिस्से में:

अगर इस नेटवर्क को ड्राइंग में दर्शाया जाए, तो आपके ऊपरी शरीर का सर्क्युलेटरी सिस्टम कंप्यूटर के अंदर के जटिल तारों और सर्किट्स जैसा दिखता है।

शरीर के निचले हिस्से में:

आपके निचले शरीर का सर्क्युलेटरी सिस्टम उल्टे पेड़ की तरह दिखता है, जिसमें दो बड़े ब्रांच होते हैं और हर ब्रांच पर कई छोटे-छोटे टहनियां होती हैं।

नसों का रंग क्या होता है?

बहुत से लोग सोचते हैं कि नसें नीली होती हैं क्योंकि वे हमारी त्वचा के नीचे नीली दिखती हैं।

लेकिन यह सिर्फ हमारी आंखों का भ्रम है।

आपकी नसें वास्तव में गहरे लाल रंग के रक्त से भरी होती हैं, जो आर्टरीज के रक्त से गहरा होता है।

आर्टरीज का रक्त चेरी रेड होता है क्योंकि उसमें ऑक्सीजन भरपूर मात्रा में होती है।

नसों का रक्त गहरा लाल होता है क्योंकि इसमें ऑक्सीजन की कमी होती है।

नसें नीली इसलिए दिखती हैं क्योंकि त्वचा के अंदर प्रकाश किरणें कैसे अवशोषित होती हैं, इसका असर होता है।

ध्यान दें: रक्त, चाहे नसों में हो या आर्टरीज में, हमेशा लाल ही होता है।

नीली वेन्स के बारें में डिटेल जानकारी: वेन्स नीली क्यों दिखाई देती है? उसका स्वास्थ्य से क्या सम्बन्ध है, अधिक नीली वेन्स दिखाई देने के क्या कारण है? और अधिक नीली वेन्स कब समस्या का संकेत देती है? इसके बारें में इस आर्टिकल के आखरी पार्ट में विस्तार से दिया गया है।

  • एनाटॉमी – anatomy – शारीरिक रचना, शरीर रचना
  • इलुशन – illusion – भ्रांति, भ्रम
  • लाइट रेज़ – light rays – प्रकाश किरणें
  • फाइबर्स – fibers – रेशे, तंतु

नसें किससे बनी होती हैं?

हर नस तीन परतों के टिशूज़ और फाइबर्स से बनी होती है:

ट्यूनिका एडवेंटीशिया :

यह सबसे बाहरी परत नस को संरचना और आकार देती है, साथ ही साथ नस को सुरक्षा प्रदान करती है।

ट्यूनिका मीडिया :

यह मिडल लेयर अर्थात बीच की परत है, जिसमें स्मूथ मसल सेल्स और इलास्टिक टिशू होते हैं।

ये सेल्स नस को चौड़ा या संकरा होने देते हैं ताकि रक्त आसानी से गुजर सके।

ट्यूनिका इंटिमा :

यह नस की इनर लेयर यानी की सबसे अंदर की परत है जो रक्त के संपर्क में रहती है।

इस इनर लेयर में स्मूथ एंडोथीलियल सेल्स होते हैं, जो रक्त को नस के अंदर आसानी से बहने में मदद करते हैं।

नसों और आर्टरीज में अंतर

वन-वे वॉल्व्स:

नसों और आर्टरीज की संरचना समान होती है, लेकिन नसों में कभी-कभी वन-वे वॉल्व्स भी होते हैं।

ये वॉल्व रक्त को सही दिशा में बहने में मदद करते हैं।

ये विशेष रूप से पैरों की नसों में महत्वपूर्ण होते हैं, जहां ये रक्त को दिल की ओर ऊपर ले जाने में मदद करते हैं।

अगर ये वॉल्व खराब हो जाएं, तो रक्त उल्टा बह सकता है और वेरीकोज वेन्स या अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

आर्टरीज में वाल्व नहीं होते हैं।

वेन्स और आर्टरीज की दीवारों में फर्क:

नसों की दीवारें आर्टरीज की दीवारों की तुलना में पतली और कम मांसपेशियों वाली होती हैं।

दूसरे शब्दों में कहे तो धमनियों की दीवारें नसों की तुलना में मोटी और अधिक लचीली होती हैं।

ऐसा इसलिए है क्योंकि वेन्स में रक्त का दबाव आर्टरीज की तुलना में कम होता है।

कम दबाव के कारण, नसों की दीवारों को मोटा होने की जरूरत नहीं होती।

दबाव:

धमनियों में रक्त का दबाव नसों की तुलना में अधिक होता है।

रक्त का प्रकार:

धमनियाँ ऑक्सीजन युक्त रक्त ले जाती हैं (पल्मोनरी आर्टरी को छोड़कर), जबकि नसें ऑक्सीजन रहित रक्त ले जाती हैं (पल्मोनरी वेन को छोड़कर)।

  • ट्यूनिका एडवेंटीशिया – tunica adventitia – ट्यूनिका एडवेंटीशिया, बाहरी परत
  • ट्यूनिका मीडिया – tunica media – ट्यूनिका मीडिया, मध्य परत
  • मिडल लेयर – middle layer – मध्य परत
  • स्मूथ मसल सेल्स – smooth muscle cells – चिकनी मांसपेशी कोशिकाएँ, चिकनी पेशी कोशिकाएं
  • ट्यूनिका इंटिमा – tunica intima – ट्यूनिका इंटिमा, अंतर परत
  • इनर लेयर – inner layer – आंतरिक परत, अंतर परत
  • स्मूथ एंडोथीलियल सेल्स – smooth endothelial cells – चिकनी एंडोथीलियल कोशिकाएँ
  • वन-वे वॉल्व्स – one-way valves – एकतरफ़ा वाल्व, एकमार्गी वाल्व

नसों के अलग-अलग प्रकार कौन-कौन से हैं?

आपकी सर्क्युलेटरी सिस्टम को कार्यशील बनाए रखने में तीन प्रकार की नसें मदद करती हैं:

1. डीप वेन्स

ये नसें आपकी मसल्स और हड्डियों के साथ पाई जाती हैं और ये और आमतौर पर धमनियों के साथ चलती हैं।

डीप नसें ऑक्सीजन-कम रक्त को दिल तक ले जाने का महत्वपूर्ण काम करती हैं।

खासकर पैरों में, डीप नसें उस रक्त का लगभग 90% हिस्सा ले जाती हैं, जो दिल तक वापस जाता है।

इनमें वन-वे वॉल्व्स होते हैं, जो रक्त को सही दिशा में प्रवाहित करते हैं।


2. सुपरफिशियल नसें

सुपरफिशियल नसें आमतौर पर डीप नसों की तुलना में छोटी होती हैं।

इनमें भी वॉल्व्स होते हैं, लेकिन ये मसल्स से घिरी नहीं होती हैं।

ये आपकी त्वचा के ठीक नीचे पाई जाती हैं, इसलिए इन्हें आसानी से देखा जा सकता है।

ये नसें त्वचा के पास के बाहरी टिशूज़ से रक्त को डीप नसों तक ले जाती हैं।

यह कार्य परफोरेटिंग नसों के माध्यम से होता है।

सुपरफिशियल नसों में रक्त धीरे-धीरे बहता है क्योंकि इन्हें आसपास की मसल्स द्वारा सीधे गति नहीं मिलती।

विशेष:

आपके शरीर की सबसे बड़ी नस एक सुपरफिशियल नस है, जिसे ग्रेट सैफेनस वेन कहते हैं।

यह नस आपके एंकल से लेकर हर पैर में जांघ तक जाती है।

परफोरेटिंग नसें

परफोरेटिंग नसों को कभी-कभी कनेक्टिंग वेन्स या परफोरेटर वेन्स भी कहा जाता है।

ये छोटी नसें हैं, जो आपके सुपरफिशियल नसों से डीप नसों तक रक्त ले जाती हैं।

इन नसों में वॉल्व्स होते हैं, जो तब बंद हो जाते हैं जब आपकी काफ मसल्स सिकुड़ती हैं।

इससे यह सुनिश्चित होता है कि रक्त डीप नसों से सुपरफिशियल नसों की ओर वापस न बह सके।

  • डीप नसें – deep veins – गहरी शिराएँ, गहरी शिराएं
  • मसल्स – muscles – मांसपेशियाँ, मांसपेशियां
  • सुपरफिशियल नसें – superficial veins – सतही शिराएँ, सतही शिराएं
  • स्किन – skin – त्वचा
  • आउटर टिशूज़ – outer tissues – बाहरी ऊतक
  • डीप नसों – deep veins – गहरी शिराएँ, गहरी शिराएं
  • परफोरेटिंग नसें – perforating veins – छिद्रण शिराएँ, छेदक शिराएं, छिद्रित शिराएँ
  • परफोरेटर वेन्स – perforator veins – छेदन शिराएँ, छेदक शिराएं, छिद्रित शिराएँ
  • कनेक्टिंग वेन्स – connecting veins – जोड़ने वाली शिराएँ, संयोजक शिराएं

नसों में रक्त का प्रवाह कैसे होता है?

नसों में रक्त को सही दिशा में आगे बढ़ाने के लिए बाहरी बल की आवश्यकता होती है।

ये बल निम्नलिखित हैं:

सांस लेना :
जब आप सांस लेते हैं, तो आपके लंग्स फैलते हैं और डायफ्राम हिलता है।

यह एक सक्शन फोर्स बनाता है, जो नसों को रक्त को हार्ट की ओर धकेलने में मदद करता है।

मसल्स की मूवमेंट :

खासकर पैरों की मसल्स रक्त को ऊपर की ओर धकेलने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

आपकी पैर की मसल्स ग्रेविटी के खिलाफ काम करती हैं और रक्त को आपके पैरों से दिल तक पहुंचाती हैं।

इस वजह से, आपकी पैरों की मांसपेशियों को खासकर काफ मसल्स को “सेकंड हार्ट” भी कहा जाता है।


सेकंड हार्ट

आपकी लोअर लेग मसल्स एक शक्तिशाली पंप की तरह काम करती हैं।

यह पंप हर बार सक्रिय होता है जब आप एक कदम चलते हैं।

कैसे काम करता है सेकंड हार्ट?

  1. जब आप अपना पैर ज़मीन पर रखते हैं, तो आपके शरीर का वज़न पैर की डीप नसों को दबाता है।
    • इससे रक्त ऊपर की ओर काफ की ओर धकेला जाता है।
  2. जब आप अपनी एड़ी उठाते हैं, तो आपकी काफ मसल्स डीप नसों को दबाती हैं।
    • इससे रक्त आपके जांघों और उससे ऊपर की ओर बढ़ता है।

यह सिस्टम इतना प्रभावी है कि आपके पैरों और तलवे से रक्त ग्रेविटी के खिलाफ दिल की ओर पहुंचता है।

इसलिए, शारीरिक गतिविधि रक्त परिसंचरण के लिए महत्वपूर्ण है। लंबे समय तक बैठे या खड़े रहने से पैरों में रक्त जमा हो सकता है, जिससे नसों में सूजन या अन्य समस्याएं हो सकती हैं।


सेकंड हार्ट और मूवमेंट का कनेक्शन:

मुख्य अंतर: छाती में मौजूद हार्ट के विपरीत, आपका सेकंड हार्ट तभी सक्रिय होता है जब आपके पैर हिलते हैं।

पंपिंग स्पीड: अगर आप तेज़ चल रहे हैं या दौड़ रहे हैं, तो आपकी काफ मसल्स नसों को जल्दी-जल्दी दबाती हैं। अगर आप धीरे चल रहे हैं, तो यह गति धीमी हो जाती है।

महत्व: यह सुनिश्चित करता है कि रक्त आपके शरीर में लगातार बहता रहे और आपके अंग और टिशूज़ को ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते रहें। इससे शरीर के सभी हिस्से सही तरीके से काम कर पाते हैं।

  • एंकल – ankle – टखना
  • थाई – thigh – जांघ
  • काफ – calf – पिंडली
  • काफ मसल्स – calf muscles – पिंडली की मांसपेशियाँ
  • ब्रीथिंग – breathing – श्वास
  • लंग्स – lungs – फेफड़े
  • डायफ्राम – diaphragm – डायफ्राम, मध्यपट
  • सक्शन फोर्स – suction force – चूषण बल, उदाहरण: वैक्यूम क्लीनर का चूषक दाब
  • लोअर लेग मसल्स – lower leg muscles – निचले पैर की मांसपेशियाँ
  • हील – heel – एड़ी
  • फ़ीट – feet – पैर

नसों से जुड़ी समस्याएं और बीमारियां

नसों से जुड़ी आम समस्याएं कौन-कौन सी होती हैं?

कई ऐसी बीमारियां हैं जो नसों को ठीक से काम करने से रोकती हैं।

नसों से जुड़ी कुछ आम समस्याएं इस प्रकार हैं:

सुपरफिशियल थ्रॉम्बोफ्लेबाइटिस

यह स्थिति तब होती है जब आपकी स्किन के नीचे क्लॉट बन जाता है।

यह क्लॉट आमतौर पर लंग्स तक नहीं पहुंचता, लेकिन अगर यह डीप वेन्स में चला जाए, तो लंग्स तक पहुंचने का खतरा हो सकता है।

डीप वेन थ्रॉम्बोसिस

यह एक गंभीर स्थिति है, जिसमें डीप नसों में खून के थक्के बन जाते हैं।

यह आमतौर पर पैरों या पेल्विस में होता है।

अगर यह क्लॉट नस से निकलकर लंग्स तक पहुंच जाए, तो यह लाइफ-थ्रेटनिंग पल्मोनरी एम्बोलिज्म का कारण बन सकता है।

वैरिकोज वेन्स

ये सूजी हुई, उभरी हुई नसें होती हैं।

ये कभी-कभी नुकसान नहीं पहुंचातीं, लेकिन खून के थक्के बनने जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती हैं।

क्रॉनिक वेनस इनसफिशियेंसी

यह तब होता है जब पैरों में एक-वे वॉल्व्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और खून को हार्ट तक पंप करने में असमर्थ हो जाते हैं।

डीवीटी अक्सर इस स्थिति का कारण बनता है।

स्पाइडर वेन्स (Spider Veins)

ये वैरिकाज़ वेन्स से छोटी होती हैं और त्वचा की सतह के पास दिखाई देती हैं। ये लाल, नीले या बैंगनी रंग की हो सकती हैं।

फ्लेबिटिस (Phlebitis)

यह नसों में सूजन होती है, जो अक्सर संक्रमण के कारण होती है।

  • कंडीशन्स एंड डिसऑर्डर्स – conditions and disorders – स्थितियाँ और विकार, स्थितियां और विकार
  • सुपरफिशियल थ्रॉम्बोफ्लेबाइटिस – superficial thrombophlebitis – सतही थ्रॉम्बोफ्लेबाइटिस
  • क्लॉट – clot – थक्का
  • डीप वेन्स – deep veins – गहरी शिराएँ, गहरी शिराएं
  • पेल्विस – pelvis – श्रोणि
  • पल्मोनरी एम्बोलिज्म – pulmonary embolism – फुफ्फुसीय एम्बोलिज़्म
  • वैरिकोज वेन्स – varicose veins – वैरिकोज़ शिराएं, वैरिकोज़ नसें
  • क्रॉनिक वेनस इनसफिशियेंसी – chronic venous insufficiency – पुरानी शिरापर्याप्तता, दीर्घकालिक शिरा अपर्याप्तता
  • वन वे वॉल्व्स – one-way valves – एकतरफ़ा वाल्व, एकमार्गी वाल्व
  • डीवीटी – dvt – डीवीटी, डीप वेन थ्रोम्बोसिस
  • सूजन – swelling – सूजन

नसों की समस्याओं के सामान्य लक्षण क्या हैं?

लक्षण आपकी स्थिति पर निर्भर करते हैं। कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:

पैरों, टखनों, या तलवों में सूजन , खासकर लंबे समय तक खड़े रहने के बाद
दर्द या कोमलता
थके हुए, भारी, या धड़कते हुए पैर
पैरों में ऐंठन
पैरों की स्किन का चमड़े जैसा दिखना
पैरों या तलवों पर खुजली या स्किन का छिलना
पैरों में सूजन, खुजली या जलन, खासकर टखनों के आसपास
वैरिकाज़ या स्पाइडर वेन्स का दिखना

ध्यान दें: यदि आप इनमें से कोई भी लक्षण महसूस करते हैं, या यदि आपको कोई पर्पल या उभरी हुई नस दिखाई देती है जो पहले नहीं थी, तो तुरंत हेल्थकेयर प्रोवाइडर से संपर्क करें।

डीवीटी जैसी गंभीर समस्याओं का समय पर इलाज बहुत जरूरी है, क्योंकि यह पल्मोनरी एम्बोलिज्म का कारण बन सकती है।


नसों की जांच के लिए कौन-कौन से टेस्ट किए जाते हैं?

आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में चर्चा।

एक फिजिकल एग्जाम।

डीवीटी या अन्य समस्याओं का पता लगाने के लिए डॉपलर अल्ट्रासाउंड टेस्ट

खून का सैंपल लेकर जांच।

नसों की समस्याओं की जांच के लिए कुछ सामान्य टेस्ट हैं:

  • डुप्लेक्स अल्ट्रासाउंड (Duplex Ultrasound): यह टेस्ट वेन्स में रक्त के प्रवाह की जांच करता है।
  • वेनोग्राम (Venogram): इस टेस्ट में नसों में एक विशेष डाई इंजेक्ट की जाती है और फिर एक्स-रे लिया जाता है।

नसों की समस्याओं के लिए क्या उपचार उपलब्ध हैं?

नसों से जुड़ी समस्याओं का उपचार खून के थक्कों को रोकने, पहले से बने थक्कों को हटाने और लक्षणों को कम करने पर केंद्रित होता है।

ब्लड थिनर्स

इन्हें एंटीकोएगुलेंट थेरेपी भी कहा जाता है।

इनका उपयोग डीवीटी के इलाज और पल्मोनरी एम्बोलिज्म से बचाव के लिए किया जाता है।

उदाहरण: वॉरफेरिन , रिवारोक्साबैन , और एपिक्साबैन ।

हेल्थकेयर प्रोवाइडर नियमित रूप से खून की जांच करेंगे ताकि दवा की डोज़ सही रखी जा सके।

ब्लीडिंग का खतरा कम करने के लिए डोज़ को धीरे-धीरे घटाया जाता है।

क्लॉट-डिसॉल्विंग ड्रग्स

इनका उपयोग अक्सर नहीं किया जाता है।

ये केवल तब प्रभावी होती हैं जब क्लॉट बनने के 48 घंटे के अंदर इस्तेमाल की जाएं।

सर्जिकल प्रक्रियाएं

ये बहुत कम की जाती हैं।

अगर कोई व्यक्ति एंटीकोएगुलेंट्स नहीं ले सकता, तो वेना कावा फिल्टर का उपयोग एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

  • डॉपलर अल्ट्रासाउंड टेस्ट – doppler ultrasound test – डॉपलर अल्ट्रासाउंड परीक्षण, डॉप्लर अल्ट्रासाउंड टेस्ट, डॉप्लर अल्ट्रासाउंड परीक्षण
  • ब्लड थिनर्स – blood thinners – रक्त पतला करने वाली दवाएँ
  • एंटीकोएगुलेंट थेरेपी – anticoagulant therapies – रक्त जमने-रोधक उपचार, प्रतिस्कंदन चिकित्सा
  • ब्लीडिंग – bleeding – रक्तस्राव
  • क्लॉट-डिसॉल्विंग ड्रग्स – clot-dissolving drugs – थक्का घुलाने वाली दवाएँ, थक्का-विघटक दवाएं
  • सर्जिकल प्रोसीजर – surgical procedures – शल्य प्रक्रियाएँ, सर्जिकल प्रक्रियाएं
  • वेना कावा फिल्टर – vena cava filter – वेना कावा फिल्टर
  • कंप्रेशन सॉक्स – compression socks – संपीड़न मोज़े, दाब मोज़े
  • कंप्रेशन थेरेपी – compression therapy – संपीड़न चिकित्सा

घर पर नसों की समस्याओं को रोकने और ठीक करने के उपाय

आप घर पर कई तरीकों से नसों की देखभाल और समस्याओं को रोक सकते हैं।

डॉक्टर आपको कंप्रेशन सॉक्स पहनने की सलाह दे सकते है, जो आपके पैरों में खून के बहाव को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।

इन सॉक्स से अलग-अलग स्तर का दबाव पड़ता है।

सही प्रकार के सॉक्स चुनने में डॉक्टर की सलाह लें।

कंप्रेशन थेरेपी नसों की समस्याओं, खासकर क्रॉनिक वेनस इनसफिशियेंसी के लिए सबसे पुरानी विधियों में से एक है।
इसका उपयोग 2000 सालों से हो रहा है।

लेकिन यह जरूरी है कि सॉक्स का फिट सही हो ताकि वे मदद करें, नुकसान नहीं।


देखभाल

नसों की देखभाल कैसे करें?

नसों की देखभाल के कई आसान तरीके हैं।

अगर आपको नसों की समस्या है या जोखिम है, तो ये बातें ध्यान में रखें:

ज्यादा देर तक बैठे या लेटे न रहें:

अगर आप दिनभर बैठते हैं, तो हर घंटे में कुछ मिनट के लिए उठें और चलें।

बैठते समय अपने पैरों को ऊपर उठाएं और एंकल्स को फ्लेक्स करें।

जितना अधिक आप अपने निचले पैरों को हिलाएंगे, उतना ही आपकी मांसपेशियां नसों को दबाएंगी और खून को हार्ट की ओर पंप करेंगी।

फुट हाइजीन का ध्यान रखें:

अपने पैरों को साफ और सूखा रखें।

स्किन को फटने या खून बहने से बचाने के लिए मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल करें।

एंटीकोएगुलेंट्स का इस्तेमाल:

अपने हेल्थकेयर प्रोवाइडर से चर्चा करें कि क्या ये दवाएं आपके लिए सही हैं।

अगर लक्षणों में कोई बदलाव हो या आप अलग महसूस करें, तो अपने प्रोवाइडर को बताएं।


स्वस्थ नसों के लिए रोजमर्रा की आदतें

अगर आपको नसों की कोई समस्या नहीं है, तो भी आप रोजाना की कुछ सरल आदतों से अपनी नसों को स्वस्थ रख सकते हैं:

जितना हो सके एक्टिव रहें: दिनभर में बार-बार उठकर चलें और खून के बहाव को बनाए रखें।

पैदल चलें: हफ्ते में कम से कम पांच दिन, 30 मिनट की वॉक का लक्ष्य रखें।

हार्ट-हेल्दी डाइट अपनाएं: स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद के लिए पौष्टिक खाना खाएं।

लंबी यात्रा में ब्रेक लें: कार राइड्स या फ्लाइट्स में बार-बार ब्रेक लेकर स्ट्रेच करें और चलें।

लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें: अगर नसों की समस्या के कोई भी लक्षण दिखें, भले ही वे छोटे ही क्यों न लगें, तो हेल्थकेयर प्रोवाइडर को बताएं।

समस्याओं को जल्दी पहचानना क्यों जरूरी है?

अगर नसों की समस्याओं को समय पर पहचान लिया जाए, तो गंभीर दिक्कतों से बचा जा सकता है।

अक्सर हम भूल जाते हैं कि आराम करते समय भी हमारा हार्ट और ब्लड वेसल्स लगातार काम कर रहे होते हैं।

सर्कुलेटरी सिस्टम खून को आपके शरीर में लगातार घुमाता है ताकि आप एक्टिव रह सकें।

इसीलिए यह जरूरी है कि खून का बहाव सही बना रहे।

  • एंकल्स – ankles – टखने
  • फुट हाइजीन – foot hygiene – पैर की स्वच्छता, पैरों की स्वच्छता
  • एंटीकोएगुलेंट्स – anticoagulants – रक्त पतला करने वाली दवाएँ, प्रतिस्कंदक
  • हार्ट-हेल्दी डाइट – heart-healthy diet – हृदय-स्वस्थ आहार, हृदय-स्वास्थ्यकर आहार

निष्कर्ष

आपकी नसें आपके सर्कुलेटरी सिस्टम का एक अहम हिस्सा हैं।

हार्ट , आर्टरीज , और कैपिलरीज के साथ मिलकर नसें आपके शरीर में खून को सही तरीके से घुमाने में मदद करती हैं।

अगर आप लंबी कार यात्रा या फ्लाइट पर हैं, तो समय-समय पर उठकर चलें।

यहां तक कि अपने पैरों को ऊपर उठाना और एंकल्स को फ्लेक्स करना भी खून के बहाव में मदद करता है।

अगर आपको नसों से जुड़ी किसी भी समस्या का शक है, तो तुरंत अपने हेल्थकेयर प्रोवाइडर से संपर्क करें।

नसों की समस्याएं, खासकर अगर समय पर पहचानी जाएं, तो आसानी से ठीक की जा सकती हैं।


नसें नीली क्यों दिखती हैं?

नसें वास्तव में नीली नहीं होतीं। नसें ज्यादातर बिना रंग की होती हैं, और उनका रंग खून के कारण दिखता है।

👉 क्या खून नीला होता है? नहीं, खून हमेशा लाल होता है।

  • ऑक्सीजनेटेड ब्लड , जो आर्टरीज में बहता है, चमकदार लाल होता है।
  • डीऑक्सीजनेटेड ब्लड , जो नसों में बहता है, गहरा लाल होता है।

कई बार खून डोनेट करने वालों या जिनका ब्लड टेस्ट हुआ हो, उन्होंने देखा होगा कि डीऑक्सीजनेटेड ब्लड गहरा लाल होता है, नीला नहीं।


तो फिर नसें नीली क्यों दिखाई देती हैं?

यह एक ऑप्टिकल इल्यूजन है, जो रोशनी के स्किन और नसों से इंटरेक्ट करने के कारण होता है।

  1. लाइट एब्जॉर्प्शन :
    • व्हाइट लाइट में सभी रंग होते हैं, और हर रंग की वेवलेंथ अलग होती है।
    • लाल वेवलेंथ स्किन के अंदर गहराई तक जाती है और खून में मौजूद हेमोग्लोबिन इसे अब्जॉर्ब कर लेता है, जिससे अंदर से खून लाल दिखता है।
    • नीली वेवलेंथ छोटी होती है और उतनी गहराई तक नहीं जाती। यह सतह से रिफ्लेक्ट होती है, जिससे नसें नीली दिखती हैं।
  2. नसों की गहराई :
    • नसें स्किन की सतह के करीब होती हैं, इसलिए वे ज्यादा दिखाई देती हैं।
    • उनकी पतली दीवारें और बड़ी साइज उन्हें और अधिक प्रमुख बनाती हैं।

इस जानकारी का स्वास्थ्य से क्या संबंध है?

नसों का नीला दिखना आम बात है और यह सामान्य है।

लेकिन अगर नसों में दर्द, सूजन, या किसी भी असामान्य लक्षण दिखाई दें, तो हेल्थकेयर प्रोवाइडर से संपर्क करें।

समस्याओं को जल्दी पकड़ने से उपचार आसान हो जाता है और गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है।

नीली नसें ज्यादा दिखने के कारण

कुछ कारणों से नसें ज्यादा स्पष्ट दिखने लगती हैं:

टाइट कपड़े : बहुत टाइट कपड़े पहनने से नसें कुछ समय के लिए ज्यादा दिखाई देने लगती हैं।

सन एक्सपोजर : सूरज की रोशनी के कारण स्किन पतली लग सकती है, जिससे नसें ज्यादा नजर आती हैं।

लंबे समय तक खड़े रहना : लंबे समय तक खड़े रहने से पैरों में खून इकट्ठा हो सकता है, जिससे नसें उभरी हुई दिख सकती हैं।

👉 नोट: ज्यादातर मामलों में उभरी हुई नसें सामान्य होती हैं और कोई समस्या नहीं होती। लेकिन अगर इनके साथ अन्य लक्षण भी दिखें, तो यह किसी समस्या का संकेत हो सकता है।


कब नीली नसें समस्या का संकेत देती हैं?

अगर आपकी नसें बहुत ज्यादा उभरी हुई दिखें या निम्न लक्षणों के साथ हों, तो यह वीनस इंसफिशिएंसी या वेरीकोस वेन्स जैसी स्थिति का संकेत हो सकता है:

पैरों में सूजन ।
पैरों में भारीपन ।
नसों के आसपास खुजली ।
नसों के पास स्किन का रंग बदलना ।
पैरों पर उभरी और टेढ़ी-मेढ़ी नसें दिखना ।


इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें

अगर आप ऊपर दिए गए लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो यह खराब ब्लड सर्कुलेशन या नसों में खून के वापस हार्ट तक नहीं पहुंचने का संकेत हो सकता है। इस स्थिति में किसी विशेषज्ञ से परामर्श लें।

याद रखें: उभरी हुई नसों का सही समय पर उपचार आपकी क्वालिटी ऑफ लाइफ सुधार सकता है।

  • ऑप्टिकल इल्यूजन – optical illusion – दृष्टि भ्रम, प्रकाशीय भ्रम
  • लाइट एब्जॉर्प्शन – light absorption – प्रकाश अवशोषण
  • व्हाइट लाइट – white light – सफेद प्रकाश, श्वेत प्रकाश, सफेद रोशनी
  • वीनस इंसफिशिएंसी – venous insufficiency – शिरापर्याप्तता, शिरा अपर्याप्तता, शिरापरक अपर्याप्तता
  • वेरीकोस वेन्स – varicose veins – वरिकोस शिराएँ, वैरिकोज़ शिराएं, वैरिकाज़ नसें