वायरल फीवर के इस आर्टिकल में, जो सबसे आम प्रकार का वायरल फीवर है, जिसे सर्दी जुकाम का बुखार कहते हैं, उसके बारे में दिया गया है।
इस आर्टिकल में वायरल फीवर के बारे में जो बातें दी गई है वो है –
- वायरल फीवर के लक्षण कौन से हैं?
- वायरल फीवर कितने दिनों तक रहता है?
- वायरल फीवर का उपचार कैसे किया जाता है, और
- कौन सी दवाइयां दी जाती है?
- क्या वायरल फीवर एंटीबायोटिक से ठीक हो सकता है?
- क्या वायरल फीवर में एस्पिरिन ले सकते हैं?
- वायरल फीवर में डॉक्टर से कब संपर्क करें? और
- वायरल फीवर से कैसे बचा जा सकता है।
वायरल फीवर क्या है?
वायरल इन्फेक्शन के कारण, जो बुखार आता है उसे वायरल फीवर अर्थात वायरल बुखार, कहते है।
शरीर का सामान्य तापमान कितना रहता है?
- हमारे शरीर का तापमान लगभग,
- 98.6°F
- 98 डिग्री फ़ारेनहाइट
- 97 से 99 °F के बीच या
- 37°C
- 37 डिग्री सेल्सियस
- 36.1 से 37.2°C के बीच होता है।
यदि शरीर का टेम्परेचर, इससे अधिक होता है, तो उस स्थिति को, फीवर अर्थात बुखार कहा जाता है।
वायरल फीवर में, वायरस के संक्रमण के कारण, शरीर का तापमान बढ़ जाता है। इसलिए, इसे वायरल फीवर कहते है।
वायरल इंफेक्शन में, कौन से वायरस की वजह से, बुखार आता है?
कई प्रकार के वायरस से, इंफेक्शन हो सकता है, और उनकी वजह से बुखार आ सकता है।
लेकिन वायरल फीवर का सबसे आम कारण है, सर्दी जुकाम के वायरस और फ्लू के वायरस।
इसलिए, आम भाषा में, वाइरल फीवर को सर्दी का बुखार या फ्लू कह देते है।
वायरल फीवर के लक्षण क्या हैं?
यदि आपको वायरल बुखार है, तो नीचे दिये गए लक्षण हो सकते हैं:
- बुखार – शरीर का तापमान 99°F से लेकर 103°F (39°C) तक हो सकता है।
- ठंड लगना,
- बदन दर्द,
- सिर दर्द,
- जुकाम,
- सूखी खाँसी,
- नाक से पानी बहना,
- गले में खराश,
- छींके आना,
- कमजोरी का अहसास और
- भूख में कमी
वायरल फीवर कितने दिनों तक रहता है?
वायरल बुखार लगभग, पांच से सात दिनों तक रहता है। आमतौर पर वायरल फीवर, सात दिनों के भीतर ठीक हो जाता है।
वायरल फीवर का निदान कैसे किया जाता है?
चिकित्सक, मरीज़ों के लक्षणों के आधार पर ही, यह निदान कर लेते है की मरीज को जो वायरल फीवर है वह सर्दी जुखाम का बुखार, मतलब सर्दी जुकाम करने वाले वायरस की वजह से है।
किंतु यदि बैक्टीरियल इंफेक्शन या किसी अन्य वायरस इन्फेक्शन की संभावना लगती है, तो रक्त की जांच, जैसे कंप्लीट ब्लड काउंट के लिए भी, कह सकते हैं।
वायरल फीवर का उपचार
वायरल फीवर के लिए, कोई विशेष दवा या इलाज नहीं है।
इसलिए ज्यादातर मामलों में, वायरल बुखार को, किसी विशेष उपचार की, आवश्यकता नहीं होती है।
क्या वायरल फीवर एंटीबायोटिक से ठीक हो सकता है?
एंटीबायोटिक, सिर्फ बैक्टीरियल इनफेक्शन में उपयोगी होते हैं। क्योंकि एंटीबायोटिक, सिर्फ बैक्टीरिया को खत्म कर सकते है।
इसलिए एंटीबायोटिक का उपयोग, सिर्फ बैक्टीरियल इनफेक्शन के लिए ही करना चाहिए।
और यह वायरल फीवर, जैसे कि सर्दी जुखाम का बुखार, वायरस के इंफेक्शन की वजह से होता है।
एंटीबायोटिक, वायरस को खत्म नहीं कर सकते हैं।
इसलिए, एंटीबायोटिक्स का, वायरल फीवर में कोई उपयोग नहीं है।
एंटीबायोटिक, वायरल फीवर में कब देते है?
लेकिन यदि चिकित्सक को लगता है कि, मरीज को वायरल फीवर के साथ-साथ, कोई बैक्टीरिया का इन्फेक्शन भी है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक भी दे सकते हैं।
किंतु वायरल फीवर के लिए, डॉक्टर की सलाह के बिना, या खुद होकर कोई भी एंटीबायोटिक ना लें।
तो, वायरल फीवर के लिए, कौन सी दवाइयां दी जाती है?
वायरल फीवर के इलाज के लिए, बुखार और संबंधित लक्षण, जैसे खांसी, सिर दर्द, बदन दर्द को, नियंत्रण में रखने के लिए ही, दवाइयाँ दी जाती है।
वायरल फीवर के लिए पेरासिटामोल
बुखार को नियंत्रण में रखने के लिए, पैरासिटामोल जैसी बुखार निवारक दवाइयाँ दी जाती है।
- पैरासिटामोल की 500 mg की टेबलेट
- 500 मिलीग्राम की गोली,
- चार या पाँच घंटे के अंतराल पर ली जा सकती है।
यदि बुखार ज्यादा हो तो, माथे पर ठंडे पानी की पट्टी रखने से भी, बुखार में लाभ होता है।
बदन दर्द और सिर दर्द जैसे लक्षणों में भी, पेरासिटामोल से आराम मिल जाता है।
आराम
बुखार में आराम करना अत्यंत आवश्यक होता है, इसलिए वायरल फीवर में, मरीज़ को आराम करना चाहिए।
तरल पदार्थों का सेवन
बुखार में पसीने के कारण, शरीर से काफी पानी बाहर चला जाता है, और शरीर में पानी की कमी हो जाती है।
इसलिए वायरल फीवर में, जूस, गरम दूध, गरम सूप, गरम पानी आदि का अधिक सेवन करना चाहिए।
क्या वायरल फीवर में एस्पिरिन ले सकते है?
एस्पिरिन भी बुखार कम कर सकता है, किंतु वायरल फीवर में एस्पिरिन नहीं लेना चाहिए।
18 साल से कम उम्र के लोगों को, री सिंड्रोम (Reye syndrome) नामक स्थिति के जोखिम के कारण, एस्पिरिन नहीं लेना चाहिए।
पेप्टिक अल्सर के मरीजों में, एस्पिरिन से, पेट में जलन और खून की उल्टी हो सकती है।
यदि वायरल फीवर का कारण डेंगू है, तो एस्पिरिन के कारण, शरीर में प्लेटलेट्स और भी कम हो जाते हैं, और ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है।
क्या वायरल फीवर, किसी भी व्यक्ति को हो सकता है?
वायरल फीवर, किसी भी आयु के व्यक्ति को और कभी भी हो सकता है।
किंतु इसके होने की संभावना, मानसून में, बरसात में, ठण्ड के मौसम में अधिक होती है।
बच्चों और बुजुर्गों में और जिन व्यक्तियों की रोग प्रतिकारक शक्ति कम है, उनमें वायरल फीवर होने की संभावना ज्यादा रहती है।
वायरल फीवर से कैसे बचा जा सकता है?
वायरल फीवर कैसे फैलता है?
कॉमन कोल्ड और फ्लू जैसे कई तरह के इंफेक्शन, हवा के जरिये ही, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलते है।
यदि किसी व्यक्ति को फ्लू या कॉमन कोल्ड है, और वह जब खांसता या छींकता है, तो उस रोग के वायरस हवा में फैल जाते हैं।
और हवा के जरिये, रोग के वायरस, पास के व्यक्ति के शरीर में, साँस के जरिए प्रवेश कर जाते हैं।
वायरल फीवर और रोगप्रतिकारक शक्ति
यदि उस व्यक्ति की, जिसके शरीर में वायरस प्रवेश कर गए है, उसकी रोगप्रतिकारक शक्ति, मतलब इम्युनिटी अच्छी हो, तो वह शक्ति, उन वायरस को नष्ट कर देती है। और मनुष्य स्वस्थ रहता है।
इसलिए जरूरी नहीं कि, वायरस शरीर के अंदर आ जाने पर, व्यक्ति को वायरल फीवर होगा ही।
लेकिन, यदि उस व्यक्ति की, इम्युनिटी, रोग प्रतिकारक शक्ति कमजोर हो, तो एक-दो दिन में वह व्यक्ति भी, इस बुखार से पीड़ित हो जाता है।
वायरल फीवर से बचाव के लिए क्या करें?
इसलिए बारिश के मौसम में और ठंड में, वायरल फीवर से बचाव के लिए, भीड़भाड़ वाली जगहों में, अपने नाक और मुंह पर, साफ रुमाल या कपड़ा रख ले।
हमेशा संतुलित और सेहतमंद भोजन ले, जिससे कि शरीर की रोग प्रतिकारक शक्ति स्वस्थ रहे और शरीर किसी भी प्रकार के इंफेक्शन, वायरस हो या बैक्टीरिया, का सामना कर सके।
खाना खाने से पहले, हाथ साबुन से अच्छी तरह से धो लेना चाहिए।
वायरल फीवर में डॉक्टर से कब संपर्क करें?
- आमतौर पर सर्दी जुकाम का वायरल फीवर,
- तीन-चार दिनों के बाद कम होना शुरू हो जाता है।
- लेकिन यदि नीचे दी गई स्थितियां है,
- तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए –
- यदि 3 से 4 दिनों के बाद भी बुखार कम ना हो रहा हो या फिर,
- बुखार 103 से ज्यादा है तो डॉक्टर को संपर्क करें।
- यदि बुखार के साथ-साथ,
- नीचे दिए गए लक्षण भी दिखाई दे रहे हो,
- तो भी डॉक्टर से कांटेक्ट करें –
- सांस लेने में तकलीफ होना
- छाती में दर्द
- बहुत ज्यादा सिर में दर्द
- पेट में दर्द
- उल्टी होना
- गर्दन में अकड़न महसूस होना खास तौर पर गर्दन सामने झुकाते समय
- शरीर में कहीं पर चकत्ते (rash) आना
- भ्रम की स्थिति अर्थात कन्फ्यूजन होना